
17 से 19 जुलाई तक चलेगा ‘बिल संशोधन शिविर’, लेकिन उपभोक्ता परिषद ने खोला निजीकरण पर मोर्चा!
🌩️ प्रश्न ये नहीं कि बिल कितना घटेगा… सवाल ये है कि सरकार किसके साथ है? जनता के या प्राइवेट घरानों के साथ?



खबरी न्यूज नेशनल नेटवर्क
चकिया/लखनऊ।
प्रदेश में पहली बार इतने बड़े स्तर पर बिजली बिल सुधार के लिए ‘मेगा शिविर’ का आयोजन किया जा रहा है। 17 से 19 जुलाई तक हर खंड, हर विद्युत उपकेंद्र, हर गाँव, कस्बे, नगर में एक ही नारा—“गलत बिल हटाओ, जनता को राहत दिलाओ!”
लेकिन, इस राहत के पीछे छिपी है एक गहरी साजिश—बिजली के निजीकरण की साजिश!
कब, कैसे और क्यों—इस रिपोर्ट में खोलते हैं पूरा परदा…
🔍 बिल संशोधन शिविर: राहत की उम्मीद या बहाना?
उत्तर प्रदेश पाॅवर काॅर्पोरेशन के अध्यक्ष डॉ. आशीष कुमार गोयल ने आदेश जारी किया है कि 17 से 19 जुलाई तक बिजली उपभोक्ताओं के लिए ‘बिल सुधार महा अभियान’ चलाया जाए। इस अभियान में निम्नलिखित समस्याओं का समाधान किया जाएगा:
- गलत बिजली बिल सुधार
- नये कनेक्शन की मंजूरी
- भार वृद्धि
- खराब मीटर की शिकायत
- विधा परिवर्तन (Domestic से Commercial, आदि)
- भुगतान संबंधित समस्याएं
- 1912 हेल्प डेस्क पर शिकायतों का पंजीकरण
डॉ. गोयल का दावा है कि “हर बिजली शिकायत का समाधान एक सप्ताह में किया जाएगा।” लेकिन क्या यह महज़ एक दिखावा है?

🧨 उपभोक्ता परिषद का खुला वार: “बिजली दर में बढ़ोतरी असंवैधानिक!”
इस बीच, राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने गजब की बात कही है—
“जब तक उपभोक्ताओं का 33122 करोड़ बकाया पैसा नहीं लौटाया जाता, तब तक बिजली दरों में बढ़ोतरी पर कोई चर्चा भी नहीं होनी चाहिए।“
उनका कहना है कि बिजली विभाग “निजीकरण की आड़ में लूट का रास्ता” बना रहा है।
👉 11 जुलाई को विद्युत नियामक आयोग में सुनवाई होनी है। उसमें परिषद विधिक तरीके से विरोध दर्ज कराएगा।
💥 पूर्वांचल में निजीकरण की तैयारी, क्या यह जनता से धोखा नहीं?
एक ओर बिजली बिल शिविर का प्रचार किया जा रहा है, तो दूसरी ओर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम को तीन हिस्सों में बांटने और निजी हाथों में देने का प्रस्ताव तैयार हो गया है।
- प्रस्ताव है कि अप्रैल 2026 से पहले बिजली निजीकरण लागू कर दिया जाए।
- लेकिन परिषद का आरोप है—“ये असंवैधानिक है!”
📌 वर्ष 2025-26 में बिजली की खरीद योजना पर नजर डालिए:
स्रोत | यूनिट (मिलियन) | लागत (करोड़) |
---|---|---|
प्राइवेट सेक्टर | 64805 | ₹35121 |
राज्य विद्युत उत्पादन निगम | 38878 | ₹20670 |
कुल खरीद प्रस्तावित | 162130 | ₹86952 |
तो क्या सरकार खुद की बिजली खरीदने की बजाय प्राइवेट को फायदा दे रही है?
⚖️ जनता की जेब खाली, प्राइवेट घराने मालामाल!
यही असली सस्पेंस है।
➡️ एक तरफ जनता बिजली बिल सुधार शिविर में राहत की उम्मीद लेकर कतार में खड़ी होगी…
➡️ और दूसरी ओर उनके नाम पर सरकारी बिजली को प्राइवेट कंपनियों को बेचा जाएगा!
क्या ये दोहरी चाल नहीं?
🎤 Khabari News के विशेष संवाददाता की रिपोर्ट: जमीन से उठती आवाज
हमारे संवाददाता ने चकिया, मुगलसराय, सकलडीहा, बलुआ, धीना, नियामताबाद और नौगढ़ से बिजली उपभोक्ताओं की ज़मीनी प्रतिक्रिया जानी।
🗣️ “हर महीने बिल 900 का आता था, अब 2700 का आ रहा है। मीटर भी खराब है, लेकिन कोई सुनता नहीं,” — संगीता देवी, बलुआ
🗣️ “अगर प्राइवेट कंपनी आ गई, तो बिल पर चर्चा करने का भी अधिकार नहीं रहेगा,” — प्रमोद विश्वकर्मा, सकलडीहा
🗣️ “बिजली ठीक से आती नहीं, मीटर भागता ज़्यादा है, फिर भी शिविर में समाधान की गारंटी नहीं,” — सुभाष मौर्या, मुगलसराय
💬 “सुधार शिविर या साजिश शिविर?”
“बिल सुधार शिविर की आड़ में यदि निजीकरण की मंजूरी दे दी गई, तो ये आने वाले दशकों का सबसे बड़ा धोखा होगा जनता के साथ। Khabari News इस अभियान की बारीकी से निगरानी करेगा।“
— K.C .Shrivastava (Editor-in-Chief, Khabari News)
🚨 Khabari News की माँग: जनता को चाहिए जवाब, केवल शिविर नहीं!
📢 Khabari News मांग करता है:
- 33122 करोड़ उपभोक्ताओं को लौटाया जाए
- प्राइवेट बिजली खरीद की लागत और प्रक्रिया सार्वजनिक हो
- विद्युत नियामक आयोग की सुनवाई लाइव टेलीकास्ट हो
- पूर्वांचल में निजीकरण की प्रक्रिया को फ्रीज किया जाए
- शिविर में प्राप्त शिकायतों की रिपोर्ट जनपद स्तर पर प्रकाशित की जाए
📸 मीडिया वॉच:
कैमरे की नजर से शिविरों का सच
(📷 17-19 जुलाई के बीच हमारी टीम जनपद स्तर पर वीडियो रिपोर्ट तैयार करेगी, जिसमें पब्लिक फीडबैक, सुधार कार्य, और मीटर रीडिंग की सच्चाई दिखाई जाएगी।)
🔚 अंत में एक सवाल…
“क्या बिजली की दर घटेगी या लोकतंत्र की रोशनी?”
👉 जनता अब खामोश नहीं रहेगी।
👉 सवाल पूछेगी।
👉 और जवाब मांगेगी!
📍 यह रिपोर्ट Khabari न्यूज द्वारा विशेष रूप से तैयार की गई है।
✍🏻 रिपोर्टिंग और संपादन: खबरी इडिटर इन चीफ K.C. Shrivastava (Advocate)
📞 संपर्क करें: 1912 हेल्पलाइन पर शिकायत पंजीकरण हेतु
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