

चंदौली, बहादुरपुर।
आज 15 अगस्त की सुनहरी सुबह… बहादुरपुर की फिज़ाओं में तिरंगे का रंग घुला हुआ था। हर तरफ़ देशभक्ति की खुशबू थी, और इसी माहौल में मदरसा ताजुसरिया का प्रांगण भी देशप्रेम की रौशनी में नहा उठा। स्वतंत्रता दिवस के इस पावन अवसर पर मदरसे में धूमधाम से ध्वजारोहण किया गया, और जैसे ही तिरंगा शान से फहराया… पूरी हवा ‘जन गण मन’ की मधुर ध्वनि से भर गई।
झंडे के लहराते ही बच्चों की आंखों में चमक और चेहरों पर गर्व की लाली साफ झलक रही थी। आसमान में लहराता तिरंगा जैसे उन्हें याद दिला रहा हो — “यह आज़ादी हमें यूं ही नहीं मिली, इसके पीछे लाखों बलिदानों का इतिहास है।”
तिरंगे के साए में देशभक्ति का पाठ
ध्वजारोहण के बाद मदरसे के नन्हे-मुन्ने छात्र-छात्राओं ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की गाथाएं सुनाईं। महात्मा गांधी, भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, अशफाक उल्ला खाँ, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद — हर नाम के साथ एक कहानी थी, हर कहानी के साथ बलिदान और संघर्ष की तस्वीर थी।
मदरसे के शिक्षकों ने बच्चों को यह भी बताया कि आज़ादी का अर्थ केवल ब्रिटिश शासन से मुक्ति नहीं है, बल्कि न्याय, समानता, भाईचारे और एकता की नींव पर देश का निर्माण करना है। एक शिक्षक ने भावुक होकर कहा —
“स्वतंत्रता दिवस सिर्फ एक रस्म नहीं, यह वो दिन है जो हमें अपने पूर्वजों के त्याग की याद दिलाता है और हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हम अपने देश के लिए क्या कर सकते हैं।”
बच्चों की कला और जज़्बा, दिल छू गया
कार्यक्रम में बच्चों के लिए निबंध लेखन, देशभक्ति गीत, कविता पाठ और खेलकूद प्रतियोगिताएं आयोजित हुईं। मंच पर जब एक नन्ही बच्ची ने कांपते स्वर में कवि रामधारी सिंह दिनकर की पंक्तियां सुनाईं — “यदि देश की खातिर जीना है, तो पहले मरना होगा” — तो वहां मौजूद हर शख्स की आंखें भर आईं।
देशभक्ति गीतों पर बच्चों ने ऐसे सुर छेड़े कि दर्शक ताली बजाने से खुद को रोक नहीं पाए। “सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तां हमारा” जब बच्चों की जुबां से निकला तो पूरा बहादुरपुर मानो एक साथ गुनगुना उठा।

पुरस्कार और प्रेरणा का संगम
प्रतियोगिताओं में विजयी बच्चों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। मास्टर मोहम्मद साकिब, प्रबंधक मदरसा ताजुसरिया, ने अपने संबोधन में कहा —
“हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे न केवल पढ़ाई में आगे हों, बल्कि उनमें देश के लिए कुछ करने का जज़्बा भी हो। तिरंगे की शान में सिर झुकाना और दिल में देशभक्ति रखना, यही हमारी शिक्षा का असली मकसद है।”
मौलाना हुसैन मिस्बाही ने भी बच्चों को संबोधित करते हुए कहा —
“देशप्रेम किसी एक वर्ग या मज़हब की जागीर नहीं है, यह हर उस भारतीय का कर्तव्य है जो इस मिट्टी में पैदा हुआ है।”
इतिहास की याद, भविष्य का संकल्प
इस मौके पर वक्ताओं ने आजादी के संघर्ष की ऐतिहासिक झलकियां भी साझा कीं। उन्होंने बताया कि किस तरह लाखों लोगों ने हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूमा, जेल की यातनाएं सही और अपनों से बिछड़ने का दर्द झेला, सिर्फ इस सपने के लिए कि आने वाली पीढ़ियां खुली हवा में सांस ले सकें।
बच्चों ने मंच पर आकर अपनी कविताओं और भाषणों के जरिए यह संदेश दिया कि आज की पीढ़ी को भी देश की अखंडता और विकास के लिए अपना योगदान देना होगा।
मिठास के साथ समापन
कार्यक्रम के अंत में मिष्ठान वितरण किया गया। छोटे-छोटे हाथों में मिठाई और दिल में तिरंगे की चमक… यह नज़ारा अपने आप में अनमोल था। उपस्थित सभी लोगों ने एक स्वर में कहा —



“हम अपने देश को हर हाल में आगे बढ़ाएंगे, इसकी एकता और अखंडता की रक्षा करेंगे।”
Khabari News की अपील
किसी भी कोने में, किसी भी मज़हब या समाज में, देशभक्ति का जज़्बा जब शिक्षा से जुड़ता है तो वह पीढ़ियों को बदल देता है। मदरसा ताजुसरिया, बहादुरपुर की यह पहल बताती है कि आज भी दिलों में तिरंगे के लिए वैसी ही मोहब्बत और इज्जत है जैसी 1947 में थी।
आज जरूरत है कि हम सब — स्कूल, कॉलेज, मदरसे, गुरुकुल, पाठशालाएं — हर जगह बच्चों को यह सिखाएं कि देश सिर्फ जमीन का टुकड़ा नहीं, बल्कि यह हमारी पहचान, हमारी इज्जत और हमारे वजूद का हिस्सा है।
📢 Khabari News आपसे अपील करता है —
इस आज़ादी को सिर्फ एक छुट्टी का दिन न समझें, बल्कि इसे देशप्रेम, एकता और बलिदान की भावना को दिलों में बसाने का दिन बनाएं।
तिरंगे की आन-बान-शान को बनाए रखें… क्योंकि यह सिर्फ कपड़े का टुकड़ा नहीं, यह करोड़ों सपनों की उड़ान है।



