



💔 “पानी से जंग” – चकिया की करुण कहानी
चकिया तहसील इन दिनों मानो बाढ़ की गिरफ्त में कैद हो चुकी है। चारों तरफ पानी ही पानी… खेत, खलिहान, मकान सब डूब चुके हैं। मुसाहिबपुर की बहेलिया बंधी के टूटने ने सैकड़ों परिवारों को ऐसी पीड़ा दी है जिसे शब्दों में बयान करना आसान नहीं।
गांव की गलियों में भरे गंदे पानी से लोग बाहर नहीं निकल पा रहे, कच्चे मकान भर-भरकर गिर रहे हैं और खेतों में खड़ी फसलें पानी के नीचे समा चुकी हैं।
👵 बुजुर्ग दबी आवाज़ में कह रहे हैं –
“बेटा, अइसन हाल त जीवन में पहिले कबहूँ ना देखनी…”
🚧 हाईवे काटा गया – गाँव वालों की बेबसी
बाढ़ का पानी निकालने के लिए चकिया-नौगढ़ स्टेट हाईवे को गरला व भभौरा गाँव के पास काटना पड़ा।
👉 हाईवे कटने का मतलब है – पूरा आवागमन बंद!
👉 भभौरा (रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का गांव) और गरला तिराहे के बीच पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर रूट डायवर्जन कर दिया है।
लोगों की शिकायत है –
“जीने-खाने का रास्ता ही बंद हो गया, सरकार सिर्फ कागज़ों में राहत दे रही है।”
📞 ग्रामीणों का आरोप – विभागीय लापरवाही से टूटी बंधी
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि रविवार रात बंधी टूटने से पहले उन्होंने सिंचाई विभाग के जेई को फोन किया था। लेकिन किसी ने कॉल रिसीव तक नहीं किया।
❌ अधिकारियों की यह लापरवाही गांववालों पर भारी पड़ी।
⏳ एक घंटे बाद ही तटबंध टूट गया और पानी पूरे इलाके में फैल गया।
अब सवाल उठ रहा है –
“अगर समय पर कार्रवाई होती तो क्या इतनी बड़ी तबाही टल सकती थी?”
🚜 युद्धस्तर पर मरम्मत का प्रयास – लेकिन काम धीमा
बांध को जोड़ने के लिए हजारों बोरी मिट्टी और बालू भरी जा रही हैं। जेसीबी मशीनें लगातार लगी हुई हैं।
लेकिन तेज बहाव से काम बार-बार बिगड़ रहा है।
अभी भी मरम्मत की गति धीमी है और लोग बेचैन होकर प्रशासन को देख रहे हैं।

🌾 किसान की त्रासदी – ‘धान डूबा, घर टूटा’
किसानों के लिए यह बाढ़ मौत से कम नहीं।
➡️ सैकड़ों हेक्टेयर में फैली धान की फसल पूरी तरह डूब चुकी है।
➡️ जिनके पास कच्चे मकान थे, वे पानी में बह चुके हैं।
➡️ लोग अब स्कूलों और रिश्तेदारों के घरों में शरण ले रहे हैं।
👨🌾 एक किसान ने आंसुओं में कहा –
“धान त गइलs, घर त गइलs, अब पेट कहाँ से भरब?”
मुर्गी पालन कर रहे एक ग्रामीण ने कहा कि हमार त रोजी रोटी ही चल गई।
🆘 प्रशासन की कोशिशें – राहत मगर नाकाफी
जिला प्रशासन, SDRF, NDRF, स्वास्थ्य विभाग और राजस्व विभाग की टीम लगातार राहत कार्य कर रही है।
👉 बाढ़ चौकियां बनाई गई हैं।
👉 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा रहा है।
👉 राशन, पानी, दवा बांटने की कवायद चल रही है।
लेकिन हालात यह हैं कि –
🍚 गांववालों को अब भी भोजन और दवा के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
💊 बीमारियां फैलने का खतरा मंडरा रहा है।
📰 Khabari News का सवाल
👉 जब ग्रामीणों ने विभागीय अधिकारियों को फोन किया तो कॉल क्यों नहीं उठाया गया?
👉 क्यों हर साल बाढ़ आने पर सिर्फ “युद्ध स्तर पर काम” की बातें होती हैं, लेकिन स्थायी समाधान नहीं निकलता?
👉 किसानों की बर्बादी और गरीबों की जिंदगी कौन संभालेगा?
💡 जनता की उम्मीद
लोग उम्मीद कर रहे हैं कि इस बार सिर्फ फोटो खिंचवाने और मुआवजा बांटने से आगे बढ़कर सरकार स्थायी समाधान पर काम करेगी।
👂 गांव की महिलाएं कह रही हैं –
“सरकार सुन ले, अबकी बार जो हमरा हाल भइल बा, फेर ना होखे के चाहीं।”
⚠️ खतरे का नया दौर – बाढ़ बाद बीमारियों का साया
बाढ़ का पानी धीरे-धीरे घट रहा है। लेकिन पानी उतरने के बाद सबसे बड़ा खतरा होगा –
🦠 मलेरिया, डेंगू, डायरिया और संक्रामक बीमारियां।
गांव पहले से ही स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में जूझ रहे हैं।
अगर स्वास्थ्य विभाग ने अभी से तैयारी नहीं की तो यह आपदा और बड़ी महामारी का रूप ले सकती है।

📸 सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरें
ग्रामीण बच्चों की तस्वीरें, जो पानी से घिरे घरों में बैठकर भोजन की तलाश में हैं, सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं।
⛔ यह तस्वीरें किसी भी संवेदनशील दिल को झकझोर देती हैं।
✍️ Khabari News का संकल्प
Khabari News सिर्फ खबर नहीं देगा, बल्कि जनता की आवाज प्रशासन तक पहुंचाएगा।
हमारा वादा है कि हर किसान, हर महिला, हर बच्चा – उनकी आवाज इस पोर्टल के जरिए सरकार तक गूंजेगी।
📍 निचोड़
चकिया तहसील की यह बाढ़ सिर्फ पानी की आपदा नहीं, यह सरकारी लापरवाही और तंत्र की कमजोरी की पोल खोल रही है।
जहां एक तरफ लोग भूख और बीमारी से जूझ रहे हैं, वहीं प्रशासन “सब कंट्रोल में है” का ढोल पीट रहा है।
👉 अब वक्त आ गया है कि बाढ़ को सिर्फ आपदा न मानकर इसे स्थायी समस्या समझा जाए और ठोस समाधान खोजा जाए।
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