
एडिटर-इन-चीफ़: के. सी. श्रीवास्तव (एडवोकेट)
🔥 खबरी न्यूज विशेष रिपोर्ट – चंदौली



“जहां मिट्टी की हर कण में शौर्य की गाथा लिखी हो, जहां रक्त की हर बूँद ने स्वतंत्रता का दीप जलाया हो, वहां की विरासत सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं रह सकती।”
ऐसा ही ऐतिहासिक दृश्य बुधवार को अग्रवाल सेवा संस्थान, चंदौली में देखने को मिला, जब स्वतंत्रता संग्राम की अमर स्मृतियों को संजोए हुए “चंदौली की क्रांति गाथा” का लोकार्पण हुआ।
यह अवसर केवल पुस्तक लोकार्पण का नहीं था, बल्कि यह कार्यक्रम उन शहीदों की आत्मा को श्रद्धा-सुमन अर्पित करने का भी था, जिनके बलिदान ने चंदौली को स्वतंत्रता आंदोलन के मानचित्र पर स्वर्ण अक्षरों में अंकित किया।



🌹 मुकेश जी की याद में स्वरांजलि – सुरों में बसी संवेदनाएँ
इस दिन की खास बात यह भी रही कि कार्यक्रम की शुरुआत महान गायक स्व. मुकेश जी की पुण्यतिथि पर उन्हें संगीतमय श्रद्धांजलि देकर हुई।
चेतना सांस्कृतिक मंच के कलाकारों ने प्रभारी पीयूष मिश्रा व अध्यक्ष ताहिर वारसी के नेतृत्व में ऐसे गीत गाए कि पूरा सभागार एक क्षण के लिए 60-70 के दशक की मधुर दुनिया में खो गया।
संगीत और शहीदों की गाथा का यह संगम वातावरण को भावुक और ऊर्जावान दोनों बना गया।


✨ दीप प्रज्वलन से उद्घाटन – गाथा के दीप में अमर शौर्य
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन से हुआ।
इस पावन क्षण में मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद माननीय दर्शना सिंह, विशिष्ट अतिथि राज्यसभा सांसद साधना सिंह, स्थानीय विधायक माननीय रमेश जायसवाल, चकिया विधायक माननीय कैलाश आचार्य, भाजपा जिला अध्यक्ष काशीनाथ सिंह, साहित्यकार शिवकुमार पराग, वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी दिनेश चंद्र, वृक्षबंधु डॉ. परशुराम सिंह, काशी काव्य संगम के संयोजक एखलाक खान, स्वतंत्रता सेनानी परिजनों के प्रतिनिधि व वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. आनंद विद्यार्थी तथा अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. उमेश प्रताप सिंह उपस्थित रहे।
दीपक की लौ में आज़ादी के आंदोलन का वही प्रकाश झलक रहा था जिसने 1942 में धानापुर कांड के रणबांकुरों को प्रेरित किया था।

📖 चंदौली की क्रांति गाथा – डॉ. विनय वर्मा की अमर कृति
इस ऐतिहासिक अवसर पर साहित्यकार डॉ. विनय कुमार वर्मा की लिखी “चंदौली की क्रांति गाथा” पुस्तक का लोकार्पण किया गया।
यह कृति न केवल ऐतिहासिक तथ्यों का संकलन है, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों को यह सिखाने का दर्पण है कि आज़ादी मुफ्त में नहीं मिली – इसके लिए बलिदान की नदियां बहानी पड़ी थीं।
लेखक डॉ. विनय वर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा:
“यह गाथा केवल शब्दों की नहीं, यह चंदौली की मिट्टी में धड़कते शौर्य की गाथा है। हर घर-घर से एक सैनिक निकला था, हर खेत से क्रांति की ज्वाला उठी थी। यह पुस्तक उन शहीदों के प्रति मेरा नमन है।”
🕊️ धानापुर कांड का स्मरण – आंखों में भर आया इतिहास
कार्यक्रम के दौरान सबसे भावुक क्षण तब आया जब स्व. कामता प्रसाद विद्यार्थी जी के पौत्र आदरणीय डॉ. आनंद विद्यार्थी ने 1942 के धानापुर कांड का विस्तार से वर्णन किया।
उन्होंने बताया कि कैसे उनके दादा ने अंग्रेजी हुकूमत को चुनौती दी, कैसे क्रांतिकारियों ने गांव-गांव में मशाल जलाकर साम्राज्यवाद को चुनौती दी।
उनकी बातों ने सभागार को सिहरन से भर दिया।
लोगों की आंखें नम थीं, मानो वह दौर फिर से जीवंत हो उठा हो।
🎤 अतिथियों के उद्बोधन – देशभक्ति का जोश
सभी माननीय अतिथियों ने एक स्वर में कहा कि चंदौली की मिट्टी वीरता और बलिदान की गवाही देती है।
माननीय दर्शना सिंह जी ने कहा:
“यह गाथा सिर्फ किताब की पंक्तियां नहीं, यह हमारी आत्मा का आईना है। हर युवा को यह पढ़नी चाहिए ताकि देशभक्ति की ज्वाला हमेशा प्रज्वलित रहे।”
माननीय साधना सिंह जी ने इसे “राष्ट्रीय धरोहर” बताते हुए कहा कि इस पुस्तक को हर विद्यालय की लाइब्रेरी में स्थान मिलना चाहिए।
🌿 वृक्ष बंधु डॉ. परशुराम सिंह का भावपूर्ण वक्तव्य
“क्रांति केवल बंदूकों से नहीं होती, विचार और संस्कार भी उसकी जड़ें हैं।
1942 के रणबांकुरों ने जो मशाल जलायी, उसे हमें पर्यावरण और संस्कृति की रक्षा करके आगे बढ़ाना है।
आज चंदौली की मिट्टी शहीदों की गवाही देती है और यह पुस्तक उनकी अमर याद का संकल्प है।
युवा पीढ़ी को चाहिए कि वह इस गाथा को पढ़कर अपने जीवन में भी देशभक्ति और कर्तव्यनिष्ठा का वृक्ष रोपे।” 🌱
विधायक रमेश जायसवाल व कैलाश आचार्य ने चंदौली की गौरवगाथा को युवाओं तक पहुंचाने की अपील की।
भाजपा जिलाध्यक्ष काशीनाथ सिंह ने इसे “संग्राम की जीवित गाथा” बताया और इसे हर ग्राम पंचायत तक ले जाने का संकल्प लिया।
🌿 संयोजन और संचालन – साहित्य और संगठन का अद्भुत संगम
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो .उमेश सिंह, व संचालन संयोजक डॉ. अनिल यादव व प्रमोद अग्रहरी ने बड़े ही ऊर्जावान और प्रभावशाली अंदाज में किया।
अतिथियों का स्वागत स्वयं लेखक डॉ. विनय कुमार वर्मा ने किया और धन्यवाद ज्ञापन चेतना साहित्यिक मंच के महामंत्री रामजी प्रसाद भैरव ने किया।
🙏 श्रद्धांजलि और स्मरण का क्षण
इस अवसर पर उपस्थित सभी महानुभावों ने स्वतंत्रता सेनानियों को नमन किया।
डॉ. डीपी सिंह, डॉ. ओपी सिंह, सतीश जिंदल, सरदार नरेंद्र पाल सिंह, आनंद सिंह, के.सी.श्रीवास्तव एड.,हाजी वसीम अहमद, प्रकाश चौरसिया, मौलाना खालिक, हरिबंश बवाल, अरुण आर्य, लवकुश मिश्रा, समीर भृगुवंशी, सुजीत मिश्रा, गिरीश प्रसाद, कुंदन सिंह, एडवोकेट रंजीत, मालती गुप्ता, संतोष गुप्ता, रंजन शाह, त्रिभुवन वर्मा, चंद्रप्रकाश शर्मा, जयप्रकाश डेरोलिया, वासुदेव यादव, कुमार नंद, अरुण तिवारी, रेनू सिंह, निधि तिवारी, मंजू वर्मा, अनीता राय, विभा सिंह, सपना पाण्डेय, प्रीति गुप्ता, अंजनी दूबे, सत्यम वर्मा सहित भारी संख्या में लोग इस गाथा के साक्षी बने।
💡 खबरी न्यूज की भावपूर्ण टिप्पणी
👉 यह लोकार्पण सिर्फ एक औपचारिक आयोजन नहीं था।
👉 यह वह क्षण था जब इतिहास ने वर्तमान से हाथ मिलाया।
👉 यह वह समय था जब शहीदों की आत्मा ने इस पुस्तक के माध्यम से आज की पीढ़ी को संदेश दिया –
“देशभक्ति केवल 15 अगस्त और 26 जनवरी की परेड तक सीमित मत रखो, इसे अपने जीवन का संस्कार बनाओ।”
🌏 निष्कर्ष – चंदौली की धरती, क्रांति की धड़कन
“चंदौली की क्रांति गाथा” ने यह साबित कर दिया कि यह मिट्टी सिर्फ खेती और उपजाऊपन की नहीं, बल्कि बलिदान और स्वतंत्रता की भी धरोहर है।
यह पुस्तक आने वाले समय में हर घर की शान बनेगी, हर युवा की प्रेरणा होगी और हर भारतीय के दिल में गर्व का संचार करेगी।
खबरी न्यूज इस ऐतिहासिक अवसर को देश के हर कोने तक पहुंचाने का संकल्प लेता है, क्योंकि इतिहास को याद रखना ही नहीं, उसे जीना भी जरूरी है।
🖋️ रिपोर्ट: Khabari News टीम
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