


खबरी न्यूज नेशनल नेटवर्क
चकिया/चन्दौली।गांव के छोटे से तालाब में एक साधारण-सा रविवार, लेकिन कुछ ही पलों में पूरा गाँव मातम के सागर में डूब गया। मलहर गाँव के निवासी अंगद यादव (उम्र 45 वर्ष), जो हमेशा हंसमुख और मेहनती स्वभाव के लिए जाने जाते थे, अब इस दुनिया में नहीं रहे। भैंस नहलाते समय हुई एक छोटी सी चूक ने उनके जीवन की डोर हमेशा के लिए तोड़ दी।
हादसा कैसे हुआ
रविवार दोपहर लगभग 2 बजे का समय था। गाँव के मझराती खुटा बंधी में अंगद यादव अपनी भैंस को नहला रहे थे। बंधी हाल की बारिशों के कारण पानी से लबालब भरी हुई थी। अचानक पैर फिसलने से वे गहरे पानी में चले गए। तैराकी का ज्यादा अनुभव न होने के कारण वे बाहर नहीं निकल पाए। धीरे-धीरे उनकी आवाज़ भी डूब गई और तालाब की लहरों में सबकुछ शांत हो गया।



गाँव में फैली खबर
आसपास मौजूद चरवाहों ने उन्हें भैंस नहलाते देखा था। लेकिन समय बीतता गया और अंगद घर नहीं लौटे। शाम तक जब उनका पता नहीं चला, तो घरवालों की चिंता बढ़ गई। खोजबीन शुरू हुई और चरवाहों ने बताया कि वे आखिरी बार बंधी की ओर गए थे।
गाँव के लोग बंधी की ओर दौड़े। ग्रामीणों ने रस्सियों, बांस और यहां तक कि हाथों से भी पानी खंगालना शुरू किया। चारों तरफ़ सिर्फ़ एक ही आवाज़ गूंज रही थी – “अंगद को ढूँढो… कहीं तो होंगे।” कई घंटों की मशक्कत के बाद अंगद का निर्जीव शरीर पानी से बाहर निकाला गया। उस क्षण की चीख-पुकार ने पूरे गाँव को झकझोर दिया।
परिवार का दर्द
अंगद यादव के घर का दृश्य किसी को भी पत्थर बना दे। उनकी पत्नी बेसुध पड़ी रहीं। रो-रोकर बच्चों का हाल बेहाल था। खासकर यह खबर सुनकर हर किसी का दिल टूट गया कि उनका बेटा पुलिस विभाग में कार्यरत है। वह ड्यूटी निभा रहा था, लेकिन पिता की मौत की खबर ने उसकी ज़िंदगी की नींव हिला दी।
गाँव की औरतें छाती पीट-पीटकर रो रहीं थीं, बच्चे डर के साये में सिमट गए थे। यह सिर्फ़ एक परिवार का दर्द नहीं था, बल्कि पूरा गाँव इस त्रासदी को महसूस कर रहा था। हर कोई यही कह रहा था – “इतना नेक इंसान, इतना मेहनती, भगवान ने क्यों छीन लिया?”

गाँव में मातम का माहौल
गाँव के हर घर से सिसकियों की आवाज़ें आ रही थीं। लोग एक-दूसरे को संभाल रहे थे लेकिन खुद भी टूट रहे थे। बुजुर्गों ने कहा – “ये मौत नहीं, गाँव का एक सहारा चला गया।” ग्रामीणों ने देखा कि जिस तालाब में रोज़ हंसी-खुशी से भैंस नहलायी जाती थी, वही तालाब आज मौत का मैदान बन गया।

प्रशासन और पुलिस की कार्रवाई
घटना की जानकारी पाते ही स्थानीय पुलिस मौके पर पहुँची। शव को कब्जे में लेकर आवश्यक कागजी कार्यवाही शुरू की गई। लेकिन पुलिस की मौजूदगी भी परिवार को ढाढ़स नहीं बंधा पाई। गाँव के लोग प्रशासन से गहरी नाराज़गी जताते दिखे। उनका कहना था कि बंधियों और गहरे तालाबों में सुरक्षा के लिए कोई पुख्ता इंतज़ाम नहीं है।
ग्रामीणों ने माँग की – “जहाँ पानी गहरा हो, वहाँ चेतावनी बोर्ड लगे। रेलिंग, सुरक्षा जाल, या बैरिकेड की व्यवस्था हो। ताकि दोबारा किसी परिवार का चिराग यूं बुझ न जाए।”
हादसों की पुनरावृत्ति
गाँववालों ने बताया कि यह पहली बार नहीं है। हर साल बारिश के मौसम में ऐसी घटनाएं सामने आती हैं। कभी बच्चे डूबते हैं, कभी पशुपालक। लेकिन प्रशासन सिर्फ़ कागजों में चेतावनी देता है। धरातल पर कोई काम नहीं होता।
अंतिम विदाई
सोमवार सुबह गाँव ने अंगद यादव को अंतिम विदाई दी। हर गली, हर घर से लोग उमड़ पड़े। कोई कांधा देने आया, कोई आंसू बहाने। चिता की आग ने जब अंगद यादव के शरीर को अपनी लपटों में समेटा, तो पूरा गाँव सुन्न था। हर किसी की आंखें नम थीं, हर दिल भारी था। बच्चों ने पिता को खो दिया, पत्नी ने जीवनसाथी को और समाज ने एक ईमानदार इंसान को।
भावनाओं का उफान
यह सिर्फ़ एक मौत नहीं, बल्कि चेतावनी है कि जीवन कितना असुरक्षित है। गाँववालों के अनुसार – “आज अंगद गए, कल कौन जाएगा कौन जाने।” हर माता-पिता, हर पत्नी, हर बच्चा अब इस डर में जी रहा है कि कहीं उनका अपना भी ऐसी ही लापरवाही का शिकार न हो जाए।
सवाल प्रशासन से
ग्रामीणों ने कड़ा सवाल उठाया – “क्या हमारे जीवन की कोई कीमत नहीं? क्या हम गरीब हैं इसलिए हमारी सुरक्षा ज़रूरी नहीं? जब तक कोई वीआईपी तालाब में नहीं डूबेगा, तब तक शायद प्रशासन की नींद नहीं खुलेगी।”
गाँव के युवाओं ने भी आवाज़ उठाई – “हमें सुरक्षा चाहिए, हमें जीवन चाहिए। हमें सरकार से उम्मीद है कि हर तालाब, हर बंधी पर अब सुरक्षा के इंतज़ाम होंगे।”
गाँव की गूंज
मलहर गाँव अब सिर्फ़ एक नाम नहीं, बल्कि दर्द की गूंज बन गया है। हर शख्स यही कह रहा है – “अंगद यादव को खोना सिर्फ़ मलहर का नुकसान नहीं, बल्कि पूरे समाज का नुकसान है।”
निष्कर्ष
यह दर्दनाक घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर कब तक साधारण लोग ऐसी त्रासदियों के शिकार होते रहेंगे। एक जिम्मेदार समाज और प्रशासन का कर्तव्य है कि ऐसी घटनाओं से सबक ले और पुख्ता इंतज़ाम करे। ताकि भविष्य में कोई और परिवार यूं न उजड़े।
अंगद यादव अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें और उनकी मौत से उठे सवाल हमेशा जीवित रहेंगे।
Khabari News | Exclusive Viral Report | Editor-in-Chief: K.C. Shrivastava


