🌳 जंगल लौटाने की जंग: जब वन विभाग बना ढाल और बुलडोजर बना हथियार
चंद्रप्रभा रेंज के अंतर्गत आने वाले जंगल चूड़िया में सोमवार की अपरान्ह वह दृश्य देखने को मिला, जिसने वर्षों से अवैध कब्जा जमाए बैठे अतिक्रमणकारियों की नींद उड़ा दी।
लगातार मिल रही पुख्ता सूचनाओं, ज़मीनी सत्यापन और शासन के स्पष्ट निर्देशों के बाद लगभग 30 से 40 हेक्टेयर अवैध अतिक्रमित वन भूमि पर वन विभाग का बुलडोजर चला और देखते ही देखते हरे-भरे जंगल पर कब्जे की साजिश मिट्टी में मिलती चली गई।
यह कोई सामान्य कार्रवाई नहीं थी—यह सरकार की मंशा, कानून की ताकत और जंगल बचाने के संकल्प का खुला प्रदर्शन था।

🚨 DFO के निर्देश पर चला एक्शन, संयुक्त टीम ने संभाला मोर्चा
इस बड़ी कार्रवाई का नेतृत्व प्रभागीय वनाधिकारी (DFO) के स्पष्ट निर्देश पर किया गया।
मैदान में कमान संभाली—
- चंद्रप्रभा रेंज अधिकारी: अखिलेश दूबे
- चकिया रेंज अधिकारी: अश्विनी चौबे
- डिप्टी रेंजर: आनंद दूबे
- वनकर्मी: श्रृषु चौबे, रामचरित्तर, रामप्रकाश
- चकिया पुलिस विभाग: SSI शिवपूजन बिंद
- राजस्व विभाग: नायब तहसीलदार चकिया संतोष कुमार राय, लेखपाल
- साथ में भारी पुलिस बल और प्रशासनिक अमला
जैसे ही बुलडोजर आगे बढ़ा, वर्षों से अवैध खेती, झोपड़ी, तारबंदी और कब्जे की निशानियां एक-एक कर ध्वस्त होती चली गईं।


🔥 “जंगल चूड़िया” बना अवैध कब्जे का अड्डा, अब नहीं चलेगा खेल
स्थानीय सूत्रों के अनुसार जंगल चूड़िया क्षेत्र में लंबे समय से संगठित तरीके से—
- वन भूमि पर अवैध खेती
- कच्चे-पक्के निर्माण
- जंगल की जमीन पर निजी स्वामित्व का दावा
- अवैध रास्तों और घेराबंदी
जैसी गतिविधियाँ चल रही थीं।
इन पर लगाम लगाने के लिए वन विभाग ने शून्य सहनशीलता (Zero Tolerance) की नीति अपनाते हुए यह निर्णायक कदम उठाया।
⚠️ भारी पुलिस बल की मौजूदगी, कोई बवाल नहीं—कानून का राज
अतिक्रमण हटाने के दौरान किसी भी प्रकार की अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए चकिया पुलिस पूरी तरह मुस्तैद रही।
SSI शिवपूजन बिंद के नेतृत्व में पुलिस बल ने क्षेत्र को घेर रखा था, जिससे—
- अतिक्रमणकारियों की भीड़ नहीं जुट सकी
- कोई अवरोध या हिंसा नहीं हुई
- कार्रवाई शांतिपूर्ण और प्रभावी रही
यह प्रशासनिक समन्वय की एक मिसाल रही।

💥 अखिलेश दूबे: कार्रवाई के नाम से कांपते हैं वन माफिया
यह उल्लेख करना बेहद जरूरी है कि चंद्रप्रभा रेंजर अखिलेश दूबे कोई नया नाम नहीं हैं।
इसके पहले भी उनके नेतृत्व में—
- अवैध बोल्डर खनन पर कार्रवाई
- जंगल से लकड़ी तस्करी के खिलाफ सख्त एक्शन
- अवैध वाहनों की सीजिंग
- वन अपराधियों पर मुकदमे
जैसी कई बड़ी कार्रवाइयाँ हो चुकी हैं।
यही वजह है कि वन माफिया आज भी उनके नाम से घबराते हैं।
🌱 सरकार की मंशा साफ: जंगल बचेगा, माफिया हटेगा
यह कार्रवाई साफ संकेत देती है कि—
“वन भूमि किसी की निजी जागीर नहीं है।”
शासन के निर्देशानुसार वन विभाग अब—
- अवैध कब्जों की पहचान
- त्वरित कार्रवाई
- कानूनी प्रक्रिया के तहत बेदखली
को लगातार अंजाम देगा।

📢 स्थानीय जनता का समर्थन, बोले—‘ऐसी कार्रवाई और हो’
कार्रवाई के दौरान मौजूद ग्रामीणों ने भी खुलकर समर्थन किया।
लोगों का कहना था कि—
- जंगल खत्म होने से जल संकट बढ़ रहा है
- वन्यजीवों का जीवन खतरे में है
- अवैध कब्जों से पर्यावरण को नुकसान
वन विभाग की इस पहल से लोगों में भरोसा जगा है।
✍️ Editor-in-Chief का वर्जन | खबरी न्यूज
के.सी. श्रीवास्तव (एडवोकेट)
Editor-in-Chief, Khabari News
“जंगल केवल पेड़ों का समूह नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों की सांस हैं।
चंद्रप्रभा रेंज में हुई यह कार्रवाई केवल अतिक्रमण हटाने की नहीं, बल्कि शासन की इच्छाशक्ति और कानून के सम्मान की मिसाल है।
खबरी न्यूज ऐसे हर कदम के साथ खड़ा है, जो प्रकृति, कानून और जनता के हित में हो।”
🔚 निष्कर्ष: जंगल चूड़िया ने देखा ‘कानून का बुलडोजर’
यह कार्रवाई एक संदेश है—
जो जंगल की तरफ आंख उठाएगा, उस पर कानून का बुलडोजर चलेगा।
खबरी न्यूज इस लड़ाई में जंगल के साथ, कानून के साथ और सच के साथ खड़ा रहेगा।
📌 बने रहिए खबरी न्यूज के साथ—
क्योंकि… खबरी का कोई सानी नहीं।
