


चकिया, चंदौली के नरकटी गांव में दिल दहला देने वाली घटना, जंगल से लौटते वक्त महिला पर किया जानलेवा हमला
खबरी न्यूज नेशनल नेटवर्क नौगढ से बृजेश केशरी की रिर्पोट
👉 जंगल में मौत से सामना: अनिता देवी पर भालू का जानलेवा हमला
चकिया (चंदौली)। एक ओर जहां ग्रामीण महिलाएं अपने परिवार की रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए जंगल से लकड़ी बीनने जाती हैं, वहीं दूसरी ओर प्रकृति के खतरे उनके जीवन को पल भर में निगलने के लिए तैयार खड़े हैं।
नरकटी गांव की रहने वाली अनिता देवी (50 वर्ष) पत्नी चन्द्रभान की रविवार की शाम को भालू के हमले में गंभीर रूप से घायल हो जाना इसी सच्चाई का गवाह है।
🔥 लकड़ी की तलाश, लेकिन मौत से सामना
रविवार की सायंकाल, जब सूरज अस्त होने को था और जंगलों में हल्का अंधेरा पसरने लगा था, अनिता देवी गांव की अन्य करीब आधा दर्जन महिलाओं के साथ पास के जंगल में जलावन की लकड़ी बीनने गई थीं।
अचानक झाड़ियों के बीच से एक भालू ने उन पर हमला कर दिया।
किसी फिल्मी दृश्य की तरह नहीं, बल्कि एक रोंगटे खड़े कर देने वाली हकीकत की तरह…।

😨 डर से कांप उठी महिलाएं, लेकिन साहस दिखाया
भालू के अचानक हमले ने वहां मौजूद सभी महिलाओं को हिला कर रख दिया।
चीख-पुकार के बीच महिलाएं जान बचाकर भागीं, लेकिन साथ ही उन्होंने हिम्मत भी दिखाई और भालू को भगाने की कोशिश की।
हालांकि अनिता देवी गंभीर रूप से घायल हो चुकी थीं और वहां बेहोश पड़ी थीं।
🚑 गांववालों की तत्परता से बची जान
जानकारी मिलते ही गांववालों और परिजनों ने घटनास्थल पर पहुंचकर अनिता देवी को तुरंत एम्बुलेंस के माध्यम से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, चकिया भेजा।
लेकिन हालत गंभीर होने के कारण चिकित्सकों ने उन्हें तुरंत जिला संयुक्त चिकित्सालय चकिया के लिए रेफर कर दिया।
इस समय उनकी हालत बेहद नाजुक बताई जा रही है।
📍 घटना स्थल: चंदौली जिले का नौगढ़ थाना क्षेत्र
यह घटना नरकटी गांव, जो नौगढ़ थाना क्षेत्र में आता है, की है। यह क्षेत्र जंगलों से घिरा हुआ है और यहां के लोग प्राकृतिक संसाधनों पर काफी हद तक निर्भर हैं।
लेकिन वन्य जीवों की बढ़ती गतिविधियां अब यहां के मानव जीवन को संकट में डाल रही हैं।
📢 सवाल उठते हैं… क्या अब जंगल सुरक्षित हैं?
इस घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं:
- क्या अब ग्रामीण महिलाएं जंगल में लकड़ी लेने नहीं जा सकेंगी?
- क्या वन विभाग को सुरक्षा उपायों पर और सतर्क नहीं होना चाहिए?
- क्या जंगलों के किनारे रहने वाले ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए कोई ठोस नीति है?
👩🦱 कौन हैं अनिता देवी?
अनिता देवी एक सामान्य ग्रामीण महिला हैं, जो हर दिन अपने परिवार के लिए जंगल से लकड़ी लाकर खाना पकाती थीं।
उनका जीवन संघर्षों से भरा रहा है, लेकिन आज उनके ऊपर मौत का साया मंडरा रहा है — केवल इसलिए कि वे अपने घर का चूल्हा जलाने गई थीं।
🌲 जंगल और जान का संघर्ष: एक सच्चाई
ग्रामीण भारत में आज भी हजारों महिलाएं हर दिन इसी जोखिम के साथ जंगलों में जाती हैं।
उनके पास न तो कोई सुरक्षा उपकरण होता है, न ही कोई व्यवस्था जो उनकी मदद कर सके।
वन्य जीवों की मौजूदगी का खतरा हमेशा बना रहता है।
🔍 प्रशासन और वन विभाग की भूमिका पर सवाल
ग्रामीणों का कहना है कि क्षेत्र में पहले भी भालुओं की गतिविधि देखी गई है, लेकिन वन विभाग ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।
क्या अब भी कोई चेतावनी जारी होगी या एक और जान जाने के बाद कोई पहल होगी?
📝 स्थानीय लोगों की मांगें
- जंगल के पास चौकसी बढ़ाई जाए
- ग्रामीणों को सुरक्षा उपकरण और प्रशिक्षण दिया जाए
- वन्य जीवों की निगरानी के लिए कैमरे और गश्ती दल तैनात किए जाएं
- घायल महिला को समुचित मुआवजा और परिवार को आर्थिक सहायता दी जाए
📲 सोशल मीडिया पर उठी आवाज: #JusticeForAnita
इस घटना ने सोशल मीडिया पर भी तूल पकड़ लिया है।
लोग #JusticeForAnita के साथ पोस्ट कर रहे हैं और प्रशासन से जल्द कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
स्थानीय सोशल मीडिया पेजों और व्हाट्सएप ग्रुप्स में भी यह खबर तेज़ी से वायरल हो रही है।
🛑 अब और इंतजार नहीं: जंगल के किनारे रहने वालों को चाहिए सुरक्षा और सम्मान
ये केवल एक महिला की बात नहीं है।
ये उन हजारों ग्रामीण महिलाओं की कहानी है जो हर दिन अपने परिवार के लिए जान की बाज़ी लगाकर जंगल जाती हैं।
अब वक्त है कि प्रशासन और सरकार नीति और सुरक्षा दोनों पर काम करें।
📌 क्या हम अब भी खामोश रहेंगे?आवाज उठाइएं खबरी के साथ
अनिता देवी की ये घटना केवल एक ‘समाचार’ नहीं है — ये एक सिस्टम की असफलता है।
यह उन लोगों की कहानी है जिन्हें देखा नहीं जाता, सुना नहीं जाता — लेकिन अब उनकी आवाज़ को मजबूती से उठाना होगा। अपनी ओपिनियन कमेंट बाक्स में अवश्य दे।
