
खबरी न्यूज नेशनल नेटवर्क



चंदौली, उत्तर प्रदेश।
एक बार फिर जिले की पुलिस व्यवस्था में बड़ा बदलाव हुआ है। पुलिस अधीक्षक आदित्य लांग्हे ने कानून व्यवस्था को और अधिक चुस्त-दुरुस्त बनाने के लिए मंगलवार को थानाध्यक्षों और कोतवालियों के प्रभारियों का कार्यक्षेत्र बदल दिया। इस फेरबदल ने चकिया क्षेत्र को सीधे तौर पर प्रभावित किया है, जहां एक तरफ एसएचओ अतुल कुमार प्रजापति की विदाई ने कई लोगों की आंखें नम कर दीं, तो वहीं दूसरी ओर अर्जुन सिंह के आगमन से नए विश्वास की उम्मीद भी जगी है।

अतुल प्रजापति: चकिया की धड़कनों में बसने वाला इंस्पेक्टर
“चकिया का बेटा बनकर काम किया, अफसर बनकर नहीं” — यह वाक्य क्षेत्रीय जनता की ज़ुबान पर है जब वे अतुल प्रजापति की बात करते हैं। चकिया कोतवाली में उनका कार्यकाल सिर्फ कानून व्यवस्था तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने थाने को आमजन के विश्वास का केंद्र बना दिया।
- जन संवाद में दक्षता:
अतुल प्रजापति का सबसे बड़ा हथियार था—”सुनना”। वे ना सिर्फ पीड़ितों की शिकायत सुनते थे, बल्कि उनके दर्द को समझते भी थे।
गाँव की महिलाएं थाने में आकर बेझिझक अपनी बात रख पाती थीं। - नारी सम्मान की मिसाल:
कई मौकों पर उन्होंने महिला उत्पीड़न के मामलों में त्वरित कार्रवाई कर यह साबित किया कि पुलिस भी संवेदनशील हो सकती है। - युवाओं के साथ संवाद:
थाने में “कानून और करियर” जैसे कैंप आयोजित कर युवा वर्ग को अपराध से दूर रहने और करियर बनाने के लिए प्रेरित किया। - ग्राम पंचायत स्तर तक नेटवर्किंग:
उन्होंने हर ग्राम प्रधान से सीधा संवाद स्थापित किया था ताकि अपराध पर तुरंत नियंत्रण पाया जा सके।

चकिया से विदाई: भावनाओं की बाढ़
प्रजापति जी की विदाई की खबर सुनते ही चकिया के स्थानीय लोग थाने पहुंच गए। फूल, अंगवस्त्र, और नम आंखों से भरी विदाई… ऐसा दृश्य चकिया ने शायद ही पहले देखा हो।
“थानेदार नहीं, परिवार का सदस्य चला गया,” – यह बात एक स्थानीय बुजुर्ग ने पत्रकारों से कही।
नया नाम, नई उम्मीद: अर्जुन सिंह का आगमन
चकिया कोतवाली की नई कमान अब अर्जुन सिंह को मिली है, जो पहले शहाबगंज में तैनात थे। अर्जुन सिंह का नाम प्रशासनिक अनुशासन और तेजतर्रार कार्रवाई के लिए जाना जाता है।
- कड़क कार्यशैली:
शहाबगंज में अर्जुन सिंह ने अपराधियों के खिलाफ कई ऑपरेशन चलाए। उनकी छवि ‘सख्त पर न्यायप्रिय’ अफसर की रही है। - डिजिटल पुलिसिंग में रुचि:
वे सोशल मीडिया के ज़रिए भी आमजन से संवाद में विश्वास रखते हैं। संभावना है कि चकिया में भी जनता अब इंस्टेंट फीडबैक सिस्टम देखेगी। - संवेदनशीलता और कार्रवाई का संतुलन:
अर्जुन सिंह के कार्यकाल में महिलाएं, बुजुर्ग और मजदूर वर्ग राहत महसूस करते हैं। वे पुलिसिंग को जनसेवा मानते हैं, सिर्फ ड्यूटी नहीं।
प्रशासनिक फेरबदल का मकसद: संतुलन और सख्ती दोनों
पुलिस अधीक्षक आदित्य लांग्हे का यह कदम जिले की कानून व्यवस्था को रीसेट करने जैसा है। जो तैनात किए गए हैं, उनके चयन का आधार केवल प्रशासनिक नहीं बल्कि सामाजिक अनुभव और क्षेत्रीय समझदारी भी है।
प्रमुख नियुक्तियां:
- दयाराम गौतम – कंदवा से चकरघट्टा के प्रभारी निरीक्षक बनाए गए।
- हरिनारायण पटेल – सकलडीहा से शहाबगंज स्थानांतरित।
- प्रियंका सिंह – पुलिस कार्यालय से कंदवा थाने की जिम्मेदारी।
- अतुल कुमार प्रजापति – अब सकलडीहा की जिम्मेदारी संभालेंगे।
- अर्जुन सिंह – शहाबगंज से स्थानांतरित होकर चकिया थाने पहुंचे।
चकिया की नई उम्मीद: क्या अर्जुन सिंह भर पाएंगे अतुल की खाली जगह?
यह सवाल अब हर किसी के मन में है। अतुल प्रजापति ने चकिया में जो भरोसे की नींव रखी, उसे बनाए रखना अर्जुन सिंह की सबसे बड़ी चुनौती होगी। लेकिन यह भी सच है कि अर्जुन सिंह जैसे तेजतर्रार अफसर के आने से अपराधियों में खौफ पैदा होगा।
जनता की ज़ुबानी:
सीमा देवी (ग्राम पंचायत सदस्य)
“प्रजापति जी की वजह से बेटियां स्कूल सुरक्षित जाती थीं, उम्मीद है अर्जुन सर इस विरासत को आगे ले जाएंगे।”
रमेश यादव (व्यापारी)
“कभी 5 बजे भी फोन करते तो प्रजापति जी जवाब देते थे, अर्जुन जी भी टेक्नोलॉजी फ्रेंडली हैं, भरोसा है।”
अंतिम पंक्तियां:
चकिया की सड़कों पर अब पुलिसिंग की नई चाल चलेगी। अर्जुन सिंह के कदमों की आहट है, तो अतुल प्रजापति की यादें हर गली में हैं। फेरबदल का उद्देश्य सिर्फ नाम बदलना नहीं, बल्कि भरोसा बनाए रखना है। खबरी इस ट्रांजिशन को सिर्फ एक तबादला नहीं, एक नई शुरुआत मानता है — जहां ‘सख्ती’ और ‘संवेदनशीलता’ दोनों साथ चलें।
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