
विशेष संपादकीय रिपोर्ट
✍️ Written by Dr. Vinay Prakash Tiwari
Founder – LTP Calculator Financial Technology Pvt. Ltd & Daddy’s International School & Hostel, Bishunpura Kanta, Chandauli, UP
संपादक–इन–चीफ: K.C. Shrivastava (Advocate)

🏏 क्रिकेट का महासंग्राम या राष्ट्रीय अपमान?
14 सितम्बर 2025 – वो तारीख़ जिसका इंतज़ार क्रिकेट प्रेमी पूरे साल से कर रहे थे।
भारत–पाकिस्तान मुकाबला सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि जुनून, रोमांच और जज़्बात का संगम है।
स्टेडियम खचाखच भरे हैं, टीवी चैनलों ने इसे Blockbuster Sunday नाम दिया है, और स्पॉन्सर्स करोड़ों की बोली लगाकर इसे Festival of Asia बना रहे हैं।
लेकिन इन सबके बीच एक सवाल गूंज रहा है –
👉 क्या हमें उस पाकिस्तान के साथ खेलना चाहिए जो दशकों से भारत में आतंकवाद की आग भड़काता रहा है?
💣 आतंकवाद की छाया में क्रिकेट
पाकिस्तान का नाम आते ही क्रिकेट से ज्यादा दिमाग में आती है –
- कारगिल का जख्म,
- पुलवामा का दर्द,
- 26/11 का आतंक,
- और हर रोज़ सीमा पर शहीद होते हमारे जवान।
क्या यह संभव है कि क्रिकेट और आतंकवाद को अलग कर दिया जाए?
क्या बल्ले और गेंद की टकराहट उन माँओं की चीखों को दबा सकती है जिन्होंने अपने बेटों को सरहद पर खो दिया?



🏟️ स्टेडियम का माहौल – रोमांच बनाम गुस्सा
कराची से लेकर कोलकाता तक,
लाहौर से लेकर लखनऊ तक,
हर जगह लोग टीवी पर नजरें गड़ाए बैठे हैं।
भारत के स्टेडियम में गूंज रही है –
“भारत माता की जय” और “वंदे मातरम्” की आवाज़।
दूसरी तरफ़, पाकिस्तान से आ रही है –
“पाकिस्तान जिंदाबाद” और “क्रिकेट हमारा शौक है” का नारा।
लेकिन भारतीय दर्शकों के दिल में कहीं गहरा दर्द है –
👉 क्या इस शोर में हमारे शहीदों की आवाज़ दब जाएगी?
💰 पैसे का खेल – किसकी जेब भर रही है ये जंग?
इस मैच से पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड की झोली में अरबों रुपये गिरेंगे।
स्पॉन्सरशिप, विज्ञापन और प्रसारण अधिकारों की कमाई – सब सीधा पाकिस्तान के खाते में।
अब सोचिए –
👉 क्या यह वही पैसा नहीं होगा जो भारत के खिलाफ़ आतंकी गतिविधियों को और ताक़त देगा?
👉 क्या हम खुद अपने ही घावों को गहरा करने के लिए पैसा दे रहे हैं?
😢 शहीदों के परिवारों की पीड़ा
पुलवामा हमले में शहीद हुए एक जवान की माँ का सवाल –
“क्या मेरे बेटे ने अपनी जान इसलिए दी थी कि आज मेरा देश दुश्मन के साथ क्रिकेट खेले?”
उरी में शहीद हुए एक पिता की आंखों से निकली सिसकियां कहती हैं –
“क्रिकेट इंतज़ार कर सकता है, लेकिन मेरे बेटे की शहादत को कैसे भुला दें?”
हर भारतीय जब टीवी स्क्रीन पर चौका–छक्का देखता है, तो कहीं न कहीं यह दर्द उसके दिल में चुभता है।
📢 सोशल मीडिया पर लहर – #NoCricketWithTerror
फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर (X) पर लोग गूंज रहे हैं –
- #NoCricketWithTerror
- #NationFirst
- #ShaheedKoSalam
युवा लिख रहे हैं –
“हमें रन नहीं चाहिए, हमें न्याय चाहिए।”
“जब तक पाकिस्तान आतंकवाद छोड़ नहीं देता, तब तक क्रिकेट नहीं।”
यह आवाज़ अब सिर्फ सोशल मीडिया तक नहीं, बल्कि गली–मोहल्लों और कॉलेज कैंपसों तक पहुंच चुकी है।
🎭 मैच का सस्पेंस – बल्ला और बम की जंग
मैदान में एक तरफ विराट कोहली का बल्ला,
दूसरी तरफ बाबर आज़म का बैट।
लाखों दर्शक चौके–छक्के की उम्मीद में चीख रहे हैं।
लेकिन इस पूरे शोरगुल में सस्पेंस यही है –
👉 क्या यह मैच सिर्फ रन और विकेट का होगा,
या फिर शहीदों की शहादत पर सवाल उठाएगा?
🕯️ इतिहास के घाव – जो हर बार हरे हो जाते हैं
भारत–पाकिस्तान मैच की हर तारीख़ भारतीयों को याद दिलाती है –
- 1971 का युद्ध,
- कारगिल की बर्फ़ीली चोटियां,
- मुंबई की खून से सनी सड़कों को।
इतिहास गवाह है – पाकिस्तान ने कभी आतंकवाद की नीति नहीं छोड़ी।
तो फिर क्यों हम बार-बार वही गलती करें और उनके साथ खेलें?


🔥 पॉलिटिकल डिबेट – नेताओं और खिलाड़ियों की राय
कुछ नेता कहते हैं –
👉 “क्रिकेट को राजनीति से अलग रखना चाहिए।”
लेकिन जनता पूछती है –
👉 “क्या आतंकवाद को भी अलग रखा जा सकता है?”
कुछ खिलाड़ी कहते हैं –
👉 “खेल से रिश्ते सुधर सकते हैं।”
लेकिन शहीदों के परिवार पूछते हैं –
👉 “क्या हमारे रिश्ते उनके खून से सुधरेंगे?”
⏳ भविष्य का सवाल – कब जागेगा भारत?
जब तक पाकिस्तान आतंकवाद का रास्ता नहीं छोड़ता,
भारत–पाकिस्तान मैच हमेशा विवाद, गुस्सा और दर्द के साये में ही खेला जाएगा।
यह सवाल हर भारतीय के दिल में जिंदा रहेगा –
👉 क्या हमें क्रिकेट चाहिए या राष्ट्रीय सम्मान?
📢 निष्कर्ष – भारत पहले, क्रिकेट बाद में
भारत की जनता का एक ही संदेश –
- क्रिकेट इंतज़ार कर सकता है।
- पैसा इंतज़ार कर सकता है।
- लेकिन देश की सुरक्षा और शहीदों का सम्मान कभी इंतज़ार नहीं कर सकते।
भारत पहले – क्रिकेट बाद में!
✍️ Written by Dr. Vinay Prakash Tiwari
Founder – LTP Calculator Financial Technology Pvt. Ltd & Daddy’s International School & Hostel, Bishunpura Kanta, Chandauli, UP
संपादक–इन–चीफ: K.C. Shrivastava (Advocate)


