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चकिया‚चंदौली।गुरुवार की सुबह चकिया नगर का गांधी पार्क तिराहा मानो एक नई सोच, नए विश्वास और नए भारत की तस्वीर बन गया। जैसे ही सूरज की पहली किरणों ने धरती को छुआ, वैसे ही पार्क तिराहे पर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी — हाथों में तख्तियां, चेहरों पर उत्साह और दिलों में एक ही आवाज़ — “नया कानून, नया भारत!”
यह कोई साधारण दिन नहीं था, बल्कि इतिहास रचने जैसा पल था। मौका था — नागरिकों को 2023 में लागू हुए नए आपराधिक कानूनों के प्रति जागरूक करने का। और सच कहें तो ये सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि न्याय की नई सुबह की शुरुआत थी।

🌿 अधिकारियों ने दी नई न्याय व्यवस्था की झलक
कार्यक्रम का शुभारंभ पुलिस क्षेत्राधिकारी रघुराज, पुलिस क्षेत्राधिकारी आकांक्षा गौतम और थाना प्रभारी अर्जुन सिंह ने दीप प्रज्वलित कर किया। जैसे ही तीनों अधिकारियों ने मंच संभाला, पूरा गांधी पार्क तालियों की गूंज से भर गया।
पुलिस क्षेत्राधिकारी रघुराज ने अपने प्रभावशाली संबोधन में कहा —
“नए कानूनों का मकसद सिर्फ अपराध पर अंकुश लगाना नहीं, बल्कि आम आदमी तक न्याय को त्वरित और पारदर्शी तरीके से पहुँचाना है। अब पीड़ित को वर्षों तक अदालतों के चक्कर नहीं लगाने होंगे। न्याय अब तेजी से, ईमानदारी से और तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर होगा।”
उनकी बातें सुनते ही भीड़ ने ज़ोरदार तालियां बजाईं।
उन्होंने बताया कि अब ब्रिटिश शासनकाल के पुराने कानूनों — भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और साक्ष्य अधिनियम — को अलविदा कह दिया गया है।
अब देश की न्याय प्रणाली की नई रीढ़ हैं —
- भारतीय न्याय संहिता 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita)
- भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita)
- भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 (Bharatiya Sakshya Adhiniyam)
न्याय में पारदर्शिता, तकनीक और जनसहभागिता
अधिकारियों ने बताया कि ये कानून सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि अब हर नागरिक के जीवन से सीधे जुड़े होंगे।
अब एफआईआर ऑनलाइन दर्ज होगी,
जांच में तकनीकी साक्ष्य प्राथमिक भूमिका निभाएंगे,
और पीड़ित को न्याय पाने में पहले से कहीं कम समय लगेगा।
महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा को मिला नया कवच
पुलिस क्षेत्राधिकारी आकांक्षा गौतम ने अपने भावनात्मक संबोधन में कहा —
“भारतीय न्याय संहिता में महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के अधिकारों की सुरक्षा को विशेष प्राथमिकता दी गई है। अब कोई भी महिला, बच्चा या वरिष्ठ नागरिक अकेला महसूस नहीं करेगा। कानून अब उनके साथ खड़ा है।”
उन्होंने आगे कहा —
“हर नागरिक को चाहिए कि वह इन नए कानूनों की जानकारी रखे। जब जनता जागरूक होगी, तभी समाज सुरक्षित और सशक्त बनेगा।”
उनके शब्दों में एक महिला अधिकारी की जिम्मेदारी और संवेदना साफ झलक रही थी। मंच पर मौजूद हर महिला दर्शक की आँखों में आत्मविश्वास की चमक थी — “अब कानून हमारे साथ है।”
थाना प्रभारी अर्जुन सिंह का संदेश — ‘पुलिस-जनता संवाद ही सुरक्षा की कुंजी’
थाना प्रभारी अर्जुन सिंह ने जनता से संवाद करते हुए कहा —
“पुलिस और जनता के बीच संवाद जितना मजबूत होगा, समाज उतना सुरक्षित रहेगा। ये कानून सिर्फ अपराधियों के लिए नहीं बने हैं, बल्कि एक संवेदनशील और जागरूक समाज के निर्माण के लिए हैं।”
उन्होंने लोगों से अपील की —
“आप पुलिस का सहयोग करें, गलत सूचना या अफवाह से बचें, और अपने मोहल्ले में कानून व्यवस्था बनाए रखने में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें।”
उनकी बातों ने माहौल को और अधिक आत्मीय बना दिया। कई लोगों ने तुरंत अपने मोबाइल में “नए कानून” से जुड़ी जानकारी सहेज ली।
तकनीक से आएगी जांच में पारदर्शिता
अधिकारियों ने बताया कि अब अपराध की जांच में डिजिटल सबूत, वीडियो रिकॉर्डिंग, और GPS आधारित ट्रैकिंग जैसे आधुनिक साधनों का उपयोग होगा।
हर केस की प्रगति ऑनलाइन ट्रैक की जा सकेगी, जिससे भ्रष्टाचार और लापरवाही पर लगाम लगेगी।
अब “देरी से न्याय, अन्याय” वाली कहावत धीरे-धीरे इतिहास बन जाएगी।
📜 नए कानूनों के खास प्रावधानों की झलक
- महिलाओं के खिलाफ अपराध पर सख्त सजा — ऑनलाइन उत्पीड़न भी अब अपराध की श्रेणी में।
- फरार अपराधियों की संपत्ति जब्ती की प्रक्रिया तेज।
- झूठे साक्ष्य देने वालों पर कठोर दंड।
- डिजिटल साक्ष्य (WhatsApp, ईमेल, CCTV) अब अदालत में वैध प्रमाण के रूप में स्वीकार्य।
- वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा और सम्मान के लिए अलग अध्याय।
🌺 गांधी पार्क तिराहा बना जनचेतना का केंद्र
कार्यक्रम के दौरान चौकी प्रभारी सुनील कुमार, सभासद केसरी नंदन, सभासद प्रतिनिधि सुरेश सोनकर, राजकुमार जायसवाल, विनोद माली, बबलू माली, प्रीतम जायसवाल, सत्यम पटवा, हलचल, दिनेश कसौधन, शाहिद सहित नगर के सैकड़ों गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।
भीड़ में बुजुर्गों से लेकर युवाओं तक, हर कोई मंत्रमुग्ध होकर सुन रहा था। जगह-जगह बैनर लगे थे —
“कानून बदला है, सोच भी बदलो।”
“न्याय अब दूर नहीं, आपके द्वार पर है।”
“सुरक्षित भारत — सशक्त भारत।”
हर चेहरे पर गर्व झलक रहा था कि देश अब औपनिवेशिक सोच से निकलकर आत्मनिर्भर न्याय व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है।
🎙️ सोशल मीडिया पर छाया ‘चकिया मॉडल’
कार्यक्रम खत्म होते ही चकिया का गांधी पार्क सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगा।
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