
Gas Leakआठ जख्मी, कई ज़िंदगियों पर खतरा”

Gas Leak Pratapgarh आधी रात का धमाका, जमींदोज दीवारें और जली हुई ज़िंदगियाँ
खबरी न्यूज़
प्रतापगढ़। जिले में एक खौफनाक रात ने दो परिवारों की ज़िंदगी पलभर में तहस-नहस कर दी। गैस रिसाव के कारण हुए धमाके से एक घर में भीषण आग लग गई, जिससे आठ लोग बुरी तरह झुलस गए। यह हादसा उदयपुर थाना क्षेत्र के भंवरी गांव में हुआ, जहां लोगों की रात चीखों और आग की लपटों में तब्दील हो गई।
Gas Leak घटना का समय और स्थल
यह हादसा मंगलवार देर रात करीब दो बजे का है। गांव भंवरी, जोकि शांति और सादगी के लिए जाना जाता है, उस रात भय और त्रासदी का केंद्र बन गया। अशोक कुमार नामक व्यक्ति का परिवार खाना खाने के बाद रोज़ की तरह एक ही कमरे में सो गया था। मगर उन्हें क्या पता था कि यह रात उनकी ज़िंदगी का सबसे भयानक सपना लेकर आएगी।
Gas Leak से शुरू हुआ मौत का सिलसिला
कमरे में रखा गैस सिलेंडर अचानक रिसाव करने लगा। धीमे-धीमे गैस पूरे कमरे में भर गई। सब सो रहे थे, किसी को भनक तक नहीं लगी। रात के सन्नाटे में यह अदृश्य ज़हर पूरे वातावरण में फैल चुका था।
करीब दो बजे, गैस का प्रेशर इतना ज़्यादा हो गया कि सिलेंडर के पास अचानक जोरदार धमाका हुआ। धमाके की आवाज़ दूर-दूर तक सुनाई दी। इस धमाके के साथ कमरे में आग लग गई और पूरा परिवार लपटों की चपेट में आ गया।
आग लपटों में फंसे लोग: एक दर्दनाक मंजर
धमाके की चपेट में सबसे पहले अशोक कुमार, उनकी पत्नी रेनू, और तीन बेटे – सनी, रवि और किशन आ गए। कमरे की दीवार इतनी जोर से गिरी कि पक्की ईंटों की मोटी परतें दो तरफ से धराशायी हो गईं। इसी दीवार के उस पार अशोक का भाई विजय अपने परिवार के साथ सो रहा था।
दीवार गिरने से आग उस कमरे तक भी पहुँच गई। विजय की पत्नी गीता और उनकी दो बेटियाँ प्रिया और रियांशी भी झुलस गईं। कुल मिलाकर आठ लोग इस हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गए।
चीखों से पूरा गांव थर्राया
आग, धमाका और झुलसे हुए लोगों की चीखों से पूरा गांव थर्रा गया। ग्रामीण दौड़ते हुए मौके पर पहुंचे और पानी डालकर आग बुझाने की कोशिश की। दरवाजे टूटे, दीवारें गिरीं और धुएं में लिपटी ज़िंदगियाँ मदद की गुहार लगाती रहीं।
गांव वालों ने तत्परता दिखाते हुए घायलों को तत्काल सांगीपुर सीएचसी पहुँचाया। वहां से हालत गंभीर देख सभी को जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। बाद में प्रयागराज भेजा गया, जहां उनका इलाज जारी है।


किस्मत का एक सहारा: सिलेंडर फटा नहीं
इस पूरे हादसे में जो सबसे राहत की बात रही, वह यह कि गैस सिलेंडर में धमाका नहीं हुआ। अगर सिलेंडर फट जाता, तो यह हादसा एक बड़े नरसंहार में बदल सकता था। पूरा मकान उड़ जाता और आसपास के घर भी इसकी चपेट में आ सकते थे।
गैस का प्रेशर और रिसाव ही इतना था कि दीवारें गिर गईं और आग भड़क उठी। इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि सिलेंडर ब्लास्ट की स्थिति में क्या तबाही होती।
घायलों की स्थिति: ज़िंदगी और मौत की जंग
प्रयागराज के अस्पताल में इलाजरत आठों घायलों की हालत चिंताजनक बनी हुई है। डॉक्टरों के अनुसार, कुछ मरीजों की हालत गंभीर है और उन्हें आईसीयू में रखा गया है। शरीर के कई हिस्से जल चुके हैं और सांस संबंधी दिक्कतें भी सामने आई हैं।
झुलसे लोगों में बच्चों की स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक है। रियांशी और प्रिया को सांस लेने में तकलीफ हो रही है, जबकि गीता देवी के हाथ और चेहरा बुरी तरह झुलस चुके हैं।
गांव में मातम, प्रशासन की चुप्पी
घटना के बाद भंवरी गांव में मातम पसर गया है। गांव के लोग दहशत में हैं और पूरे क्षेत्र में अफरातफरी का माहौल है। इस घटना के बाद अभी तक प्रशासन की कोई ठोस प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। सिर्फ प्राथमिक रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है, लेकिन न तो कोई मुआवजे की घोषणा हुई है और न ही राहत टीम भेजी गई है।
गैस एजेंसी पर उठे सवाल
ग्रामीणों और परिजनों का आरोप है कि गैस सिलेंडर में रिसाव पहले से था, जिसकी शिकायत स्थानीय एजेंसी से की गई थी। लेकिन एजेंसी की तरफ से कोई कार्यवाही नहीं की गई। अब इस हादसे के बाद एजेंसी की लापरवाही पर भी सवाल उठने लगे हैं।
क्या यह एक तकनीकी गलती थी, या मानवीय लापरवाही? इसका जवाब जांच के बाद ही सामने आएगा।
सरकारी लापरवाही या तकनीकी चूक?
गैस वितरण प्रणाली की जांच और निगरानी के नाम पर प्रशासन अक्सर कागजी खानापूर्ति कर देता है। गांवों में पुराने सिलेंडर, लीकेज की अनदेखी और खराब रेगुलेटर आम समस्याएं हैं, जिनकी ओर किसी का ध्यान नहीं जाता।
यह हादसा उन सभी सिस्टम फेलियर्स की पोल खोलता है, जिनसे आए दिन मासूम लोग ज़िंदगी और मौत के बीच झूलते रहते हैं।
सवाल जो रह गए अधूरे…
क्या अशोक कुमार के परिवार को कोई मुआवज़ा मिलेगा?
क्या गैस एजेंसी की लापरवाही पर कोई कार्रवाई होगी?
प्रशासन कब जागेगा और ऐसे हादसों की रोकथाम के लिए कदम उठाएगा?
इन सवालों के जवाब आने बाकी हैं। फिलहाल तो आठ जिंदगियाँ अस्पताल में ज़िंदगी की जंग लड़ रही हैं और गांव वालों की नींदें उड़ चुकी हैं।
हादसा जो सबक बन जाए
प्रतापगढ़ की यह घटना एक चेतावनी है। गैस रिसाव जैसी घटनाएं अकसर घरों में अनदेखी रह जाती हैं, लेकिन जब वह विस्फोट बनती हैं, तो पूरा परिवार तबाह कर जाती हैं। इस हादसे से सबक लेने की ज़रूरत है—समय पर जांच, सही उपकरण, और जागरूकता ही ऐसे हादसों को रोक सकती है।
भंवरी गांव में आधी रात को जो हुआ, वह किसी एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की लापरवाही की कहानी है।
