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डलिम्स सनबीम चकिया बना राष्ट्रीय चेतना का केंद्र, 101 पौधों के रोपण के साथ मनाए गए 5 महादिवस
आज का दिन चकिया के लिए केवल एक कैलेंडर डेट नहीं रहा। यह दिन बना इतिहास, राष्ट्रवाद, बलिदान, सुशासन, आस्था और पर्यावरण चेतना का जीवंत संगम। अवसर था—
➡️ महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जयंती
➡️ वीर बाल दिवस
➡️ सुशासन दिवस (अटल बिहारी वाजपेयी जयंती)
➡️ तुलसी पूजन दिवस
➡️ क्रिसमस डे
इन सभी राष्ट्रीय व सांस्कृतिक दिवसों को एक साथ, एक ही विद्यालय परिसर में, डलिम्स सनबीम स्कूल, चकिया में भव्य, गरिमामय और भावनात्मक वातावरण में मनाया गया। इस ऐतिहासिक आयोजन का केंद्रबिंदु रहे—तहसीलदार चकिया श्री देवेंद्र जी, जिनके नेतृत्व में विद्यालय परिसर में 101 विभिन्न प्रजातियों के पौधों का रोपण कर एक सशक्त संदेश दिया गया—
“राष्ट्र निर्माण केवल भाषणों से नहीं, कर्म से होता है।”


महामना मालवीय: शिक्षा से राष्ट्र निर्माण का स्वप्न
कार्यक्रम की शुरुआत महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के विचारों से हुई—
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के महान चिंतक, शिक्षाविद् और काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के संस्थापक।
उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि शिक्षा ही राष्ट्र की आत्मा होती है।
विद्यालय प्रांगण में बच्चों को बताया गया कि कैसे महामना ने—
- शिक्षा को राष्ट्रवाद से जोड़ा
- संस्कार और आधुनिकता के बीच सेतु बनाया
- और भारत को वैचारिक मजबूती दी
महामना की जयंती पर बच्चों की आंखों में गौरव और जिज्ञासा साफ दिख रही थी।
वीर बाल दिवस: मासूम साहस की अमर गाथा
इसके बाद वातावरण अचानक भावुक और गंभीर हो गया, जब वीर बाल दिवस पर
गुरु गोविंद सिंह जी के चार साहिबजादों, विशेषकर छोटे साहिबजादों के बलिदान को याद किया गया।
बच्चों को बताया गया कि—
“धर्म और सत्य के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर देने वाले ये बालक आज भी भारत की आत्मा में जीवित हैं।”
विद्यालय परिसर में कुछ क्षणों के लिए सन्नाटा था, लेकिन वह सन्नाटा गौरव से भरा था।


सुशासन दिवस: अटल जी का भारत
इसके बाद चर्चा हुई भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की—
तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे अटल जी,
जिनकी जयंती को भारत सरकार द्वारा 2014 से ‘सुशासन दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
कार्यक्रम में बताया गया कि—
- अटल जी राजनीति में संवेदनशीलता और शालीनता का चेहरा थे
- उन्होंने सुशासन को नारा नहीं, संस्कृति बनाया
- और लोकतंत्र को मजबूती दी
बच्चों को यह भी बताया गया कि अटल जी को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था और उनका जीवन आज भी लीडरशिप का पाठ पढ़ाता है।
तुलसी पूजन दिवस और क्रिसमस: आस्था और मानवता का संदेश
कार्यक्रम में तुलसी पूजन दिवस के माध्यम से
भारतीय संस्कृति में प्रकृति और आस्था के गहरे संबंध को रेखांकित किया गया।
वहीं क्रिसमस डे के अवसर पर
प्रभु यीशु मसीह के प्रेम, करुणा और सेवा के संदेश को बच्चों के सामने रखा गया।
यह पल साबित कर गया कि—
भारत की आत्मा विविधता में एकता है।
101 पौधे, 101 संकल्प: पर्यावरण का शाही संदेश
कार्यक्रम का सबसे प्रभावशाली और दृश्यात्मक क्षण तब आया जब
तहसीलदार चकिया श्री देवेंद्र जी ने विद्यालय परिसर में
101 विभिन्न प्रजातियों के पौधों का रोपण किया।
हरा-भरा परिसर, बच्चों की तालियां,
और कैमरों के फ्लैश के बीच
यह रोपण केवल औपचारिक नहीं था—
यह था भविष्य के लिए निवेश।



तहसीलदार देवेंद्र जी का वर्जन: मोटिवेशन का तूफान
पौधरोपण के बाद तहसीलदार देवेंद्र जी ने बच्चों को संबोधित किया। उनका वक्तव्य सीधा दिल में उतर गया—
“आज की सबसे बड़ी समस्या यह है कि जब भी आप कोई नया काम करने जाते हैं, सबसे पहले सोचते हैं—लोग क्या कहेंगे।
यही सोच आपको आगे बढ़ने से रोकती है।
इससे ऊपर उठना होगा।
क्योंकि बिना किए जय-जयकार नहीं होती,
और कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।”
उनकी बातें सुनकर
बच्चों की आंखों में चमक थी,
और शिक्षकों के चेहरों पर संतोष।
यह मोटिवेशन नहीं,
जीवन का पाठ था।
MD डॉ. विवेक प्रताप सिंह का वर्जन: शिक्षा + संस्कार
विद्यालय के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. विवेक प्रताप सिंह ने भी बच्चों को संबोधित करते हुए कहा—
“ऐसे महापुरुषों और महादिवसों को एक साथ मनाने का उद्देश्य यही है कि
बच्चों को किताबों से आगे ले जाकर
जीवन मूल्यों से जोड़ा जाए।
Education without values अधूरी होती है।”
उन्होंने विद्यालय की प्रतिबद्धता दोहराई कि
डलिम्स सनबीम केवल परीक्षा परिणाम नहीं,
चरित्र निर्माण पर भी काम करता है।

विद्यालय परिवार की सक्रिय भूमिका
इस पूरे आयोजन में—
- डिप्टी प्रिंसिपल
- वरिष्ठ एवं कनिष्ठ अध्यापकगण
- और विद्यालय स्टाफ
सभी की भूमिका सराहनीय रही।
पूरा परिसर Luxury yet disciplined ambience में नजर आया।
एक साथ सारे दिवस: चकिया के लिए मिसाल
यह आयोजन अपने आप में इसलिए भी खास रहा क्योंकि—
➡️ सभी दिवस एक साथ
➡️ एक ही विद्यालय प्रांगण में
➡️ एक ही संदेश के साथ मनाए गए—
राष्ट्र, संस्कृति, पर्यावरण और भविष्य—सब एक-दूसरे से जुड़े हैं।
खबरी न्यूज़ का विश्लेषण
यह कार्यक्रम केवल एक स्कूल इवेंट नहीं था।
यह था—
- प्रशासन और शिक्षा का सार्थक समन्वय
- बच्चों के लिए Live Inspiration
- और समाज के लिए स्पष्ट संदेश
चकिया में इस तरह का आयोजन
अन्य संस्थानों के लिए Role Model बन सकता है।
खबरी न्यूज़ निष्कर्ष
डलिम्स सनबीम चकिया में आयोजित यह कार्यक्रम
आज की तिथि को
इतिहास के पन्नों में दर्ज करने योग्य बनाता है।
👉 जहां एक ओर
महामना मालवीय की शिक्षा दृष्टि,
साहिबजादों का बलिदान,
अटल जी का सुशासन,
तुलसी की आस्था
और क्रिसमस की करुणा—
वहीं दूसरी ओर
101 पौधों के रूप में
भविष्य की सांसें रोपी गईं।
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खबरी न्यूज़
चीफ एडिटर: के.सी. श्रीवास्तव (एडवोकेट)


