



वरिष्ठ पत्रकार सतीश चंद्र शुक्ल सत्पथी का भावुक संबोधन सोशल मीडिया पर हुआ वायरल, बोले– ‘सार्वजनिक सरोकारों से ही पत्रकारिता होती है सार्थक’
Khabari News | जौनपुर से विशेष रिपोर्ट | सम्पादक-इन-चीफ: एडवोकेट के.सी. श्रीवास्तव
🖊️ जौनपुर/उत्तर प्रदेश।
“पत्रकारिता सिर्फ खबरों का माध्यम नहीं, ये वो ताक़त है जो राष्ट्र के टुकड़ों को एक सूत्र में पिरोने का कार्य करती है।”
इन्हीं भावुक शब्दों से वरिष्ठ पत्रकार व भारतीय जननायक पार्टी के जिला अध्यक्ष श्री सतीश चंद्र शुक्ल सत्पथी ने आज पत्रकारों की भूमिका पर एक व्यापक संदेश देकर न केवल चौथे स्तंभ को नई परिभाषा दी, बल्कि डिजिटल युग की पत्रकारिता को भी एक जरूरी नैतिक आईना दिखाया।
📌 “पत्रकारिता को बचाना है, तो समाज के बीच पुल बनना होगा”
श्री सत्पथी का स्पष्ट मानना है कि —
“जिस दिन पत्रकार सत्ता और समाज के बीच सेतु बनना छोड़ देंगे, उस दिन लोकतंत्र की नींव दरकने लगेगी।“
उनकी यह बात न केवल आज की सोशल मीडिया आधारित रिपोर्टिंग के लिए दिशा-सूचक है, बल्कि उन पत्रकारों के लिए भी एक चेतावनी है, जो निष्पक्षता और सार्वजनिक हितों को नजरंदाज कर खुद के प्रचार की होड़ में लगे हैं।
🏛️ “लोकतंत्र का चौथा स्तंभ” – अब और ज्यादा सशक्त, लेकिन जिम्मेदारी भी उतनी ही भारी!”
श्री सत्पथी कहते हैं कि आज की पत्रकारिता अत्यंत सशक्त, स्वतंत्र और प्रभावकारी बन चुकी है। लेकिन इस ताकत के साथ सबसे बड़ा सवाल यही है कि —
क्या हम इस स्वतंत्रता का उपयोग सामाजिक सरोकारों और जनहित में कर रहे हैं?
या फिर TRP, लाइक्स और व्यूज की चकाचौंध में पत्रकारिता की आत्मा को गिरवी रख चुके हैं?

🌐 डिजिटल युग में पत्रकारिता की भूमिका – इंटरनेट की रफ्तार, लेकिन मूल्य कहां?
वर्तमान समय में सूचना का प्रवाह इतना तेज़ हो गया है कि एक खबर सेकंडों में देश के हर कोने में पहुंच जाती है।
पर सवाल यह है कि —
“क्या इतनी तेज रफ्तार में खबर की सच्चाई और समाज के सरोकार कायम रह पाते हैं?”
श्री सत्पथी के अनुसार, इंटरनेट की व्यापकता और Right To Information (RTI) ने पत्रकारिता को बहुआयामी जरूर बना दिया है, लेकिन साथ ही सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक कंटेंट, अफवाहें और अर्धसत्य खबरों का खतरा भी बढ़ गया है।
⚠️ “सोशल मीडिया – आशीर्वाद भी, अभिशाप भी!”
उनका कहना है कि आज इंटरनेट एक दोधारी तलवार है –
जहां एक ओर यह सूचना का महासागर है, वहीं दूसरी ओर विवेकहीन पोस्टिंग और भावनात्मक भटकाव पत्रकारिता के मूल्यों को मिटा रहे हैं।
“पत्रकारों को चाहिए कि वे बहस करें, सुझाव दें, शिकायतें करें – लेकिन सच्चाई के साथ, समाज के लिए, राष्ट्र के लिए।“
– सतीश चंद्र शुक्ल सत्पथी
📊 “सर्वे, समीक्षा, मूल्यांकन – पत्रकारिता की आत्मा”
खबर छापना आसान है, लेकिन खबर की आत्मा में उतरना कठिन।
सत्पथी जी का मानना है कि हर पत्रकार को रिपोर्टिंग से पहले सर्वेक्षण, ग्राउंड रिपोर्ट, सामाजिक समीक्षा और परिणामों का विश्लेषण जरूर करना चाहिए।
“तभी पत्रकार की कलम को सम्मान मिलेगा और लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कभी नहीं डगमगाएगा।“
🧭 “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता – अधिकार नहीं, ज़िम्मेदारी है!”
“पत्रकारिता को पूरी तरह स्वतंत्र और निष्पक्ष रहने देना चाहिए – क्योंकि यही पत्रकारिता का हित है।”
यह बात कहकर सत्पथी जी ने उन सभी को निशाने पर लिया, जो खबरों को पक्षपातपूर्ण तरीके से तोड़-मरोड़कर पेश करते हैं।
“कलम अगर बिक गई, तो सत्ता बेलगाम हो जाएगी।“
“पत्रकार अगर डर गया, तो जनता मौन हो जाएगी।“
🎯 समाज के लिए, ना कि समाज से ऊपर!
वरिष्ठ पत्रकार का मानना है कि आज पत्रकारों को ‘Messiah’ बनने की ज़रूरत नहीं, बल्कि समाज का ईमानदार दर्पण बनने की ज़रूरत है।
“जब तक पत्रकार स्वयं को समाज के सेवक की भूमिका में नहीं देखेंगे, तब तक पत्रकारिता में पवित्रता संभव नहीं।“
💥 “पत्रकार – सिर्फ सूचना वाहक नहीं, बल्कि नैतिक प्रहरी!”
श्री सतीश चंद्र शुक्ल सत्पथी के विचारों ने यह स्पष्ट कर दिया कि पत्रकारिता को अगर राष्ट्र निर्माण की भूमिका निभानी है, तो उसमें नैतिकता, संवेदनशीलता और पारदर्शिता का समावेश अनिवार्य है।



📢 Khabari News की विशेष टिप्पणी | खबरी इडिटर एडवोकेट के.सी. श्रीवास्तव की कलम से
“जब तक पत्रकार झूठ को उजागर करने से डरता रहेगा, तब तक जनता को न्याय नहीं मिलेगा। और जब तक पत्रकार सिर्फ सत्ता के प्रवक्ता बने रहेंगे, तब तक लोकतंत्र अधूरा रहेगा।”
🔚 समाप्ति पर एक सवाल – “क्या हम आज भी पत्रकारिता को राष्ट्र सेवा मानते हैं?”
वरिष्ठ पत्रकार सत्पथी के विचार केवल भाषण नहीं हैं, बल्कि आज के हर पत्रकार, संपादक, रिपोर्टर और सोशल मीडिया क्रिएटर के लिए एक Mirror of Accountability हैं।
“पत्रकारिता को बाजार नहीं, मिशन मानिए। तभी राष्ट्र बचेगा, समाज बचेगा और लोकतंत्र भी बचेगा।“
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🖊️ रिपोर्ट – स्पेशल ब्यूरो टीम, जौनपुर
🪶 संपादन – के.सी. श्रीवास्तव (एडवोकेट), संपादक-in-chief, Khabari News


