
सड़क पर खड़ी सफारी, बीच सड़क मचता घमासान, और दरोगा पर टूटा कहर
तीन गिरफ्तार, कई फरार | पुलिस का ऐक्शन तेज़ | जनता गुस्से में



खबरी न्यूज़ डीडीयू नगर, चंदौली।
एक आम सी शाम, लेकिन घटना ऐसी कि ज़िले भर की रूह कांप गई।
जहां पुलिस कानून का पालन करवाने गई थी, वहीं उसे ही कानून की धज्जियाँ उड़ाने वालों ने घेर लिया।
एक उपनिरीक्षक को सरेआम घेरकर पीटा गया, वर्दी फाड़ी गई, धमकी दी गई – “वर्दी उतरवा देंगे, देख लेंगे”।
ये हमला केवल एक दरोगा पर नहीं, बल्कि पूरे पुलिस सिस्टम, पूरे समाज की सुरक्षा व्यवस्था पर था।
एक बार फिर सवाल खड़ा हुआ — “क्या अब अपराधी इतने बेखौफ हो गए हैं कि वर्दी भी उनके लिए कोई मायने नहीं रखती?”
🔥 घटना का पूरा ब्यौरा
बबुरी थाने में तैनात उपनिरीक्षक प्रमोद कुमार शुक्ला अपने हमराही सिपाही संदीप यादव के साथ क्षेत्र भ्रमण पर थे।
उन्हें सूचना मिली कि नहर पुलिया के पास एक सफारी वाहन बीच सड़क खड़ा कर ऑटो चालक से झगड़ा कर रहा है।
जब दरोगा मौके पर पहुंचे, तो देखा कि तीन युवक—विरेंद्र सिंह, आशीष कुमार सिंह, और अवनीश सिंह—सड़क पर सफारी लगाकर ऑटो चालक से बदसलूकी कर रहे थे।
दरोगा ने शांति बनाए रखने और जाम से बचने के लिए युवकों से वाहन हटाने को कहा।
पर जवाब में मिली गालियां, धमकियां और घातक हमला।
🩸 दरोगा पर हमला, वर्दी फाड़ी, घायल हुए अधिकारी
पहले तो युवकों ने बहस की, फिर बात हाथापाई तक पहुंची।
गवाहों के अनुसार, युवकों ने अपने अन्य 10-15 साथियों को बुला लिया और फिर दरोगा पर चारों ओर से हमला बोल दिया।
वर्दी फाड़ी गई, कंधे में चोट आई, अपमान की सारी हदें पार कर दी गईं।
हमराही सिपाही ने किसी तरह कंट्रोल रूम को सूचना दी, तब जाकर मामला संभाला गया।
🚓 तीन गिरफ्तार, बाकी की तलाश जारी
पुलिस ने तत्परता दिखाई और तीनों मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
इनके खिलाफ संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है:
- धारा 332 – सरकारी कर्मचारी को चोट पहुंचाना
- धारा 353 – सरकारी कार्य में बाधा डालना
- धारा 504 – जानबूझकर अपमान करना
- धारा 506 – धमकी देना
- धारा 147, 149 – दंगा और साजिश में शामिल होना
फरार अन्य आरोपियों की पहचान की जा रही है। पुलिस की कई टीमें छापेमारी में जुटी हैं।
🎥 वीडियो वायरल, जनता में उबाल
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गया।
वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि किस तरह एक वर्दीधारी अधिकारी पर भीड़ ने हमला बोला, गालियां दीं और उसे गिराने की कोशिश की।
जनता का गुस्सा इस बात पर है कि –
“अगर एक दरोगा सुरक्षित नहीं, तो आम नागरिक कैसे खुद को महफूज माने?”
🧠 गंभीर सवाल उठे
- क्या इस हमले के पीछे कोई संगठित नेटवर्क है?
- इतने बड़े झुंड में युवक आखिर कुछ मिनटों में कैसे इकट्ठा हुए?
- क्या यह किसी ‘पावर प्रोटेक्शन’ का परिणाम है?
- और सबसे बड़ा सवाल – क्या अब वर्दी का भी कोई सम्मान नहीं बचा?
🛡️ पुलिस प्रशासन एक्शन में
वरिष्ठ अधिकारियों ने मामले को “अत्यंत गंभीर” मानते हुए सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
सीओ स्तर से मॉनिटरिंग की जा रही है।
फरार आरोपियों को पकड़ने के लिए:
- सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं
- मोबाइल टॉवर लोकेशन ट्रेस की जा रही
- सोशल मीडिया पर आरोपियों की तस्वीरें वायरल करके पहचान करवाई जा रही है
✊ दरोगा की बहादुरी को सलाम
घायल दरोगा प्रमोद कुमार शुक्ला का इलाज चल रहा है, लेकिन उन्होंने घटना के बाद भी हिम्मत नहीं हारी।
उन्होंने हमलावरों की पहचान करवाई, मुकदमा दर्ज करवाया, और अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटे।
यह जज़्बा, यह निष्ठा पूरे पुलिस बल को गौरव दिलाती है।
🗣️ जनता की प्रतिक्रिया
📌 “दरोगा की जगह कोई शिक्षक होता, कोई आम आदमी होता तो क्या जान बचती?”
📌 “जो आज वर्दी फाड़ रहे हैं, कल क्या गोली मारेंगे?”
📌 “अगर अब भी इन पर NSA और गैंगस्टर एक्ट न लगा तो अपराधियों को खुली छूट मिल जाएगी।”
📢 जनता की मांगें
✅ आरोपियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) लगे
✅ सभी फरार अभियुक्तों को तत्काल गिरफ्तार किया जाए
✅ दरोगा को सरकारी बहादुरी सम्मान मिले
✅ पुलिसकर्मियों की सुरक्षा के लिए विशेष दिशा-निर्देश लागू हों
✍️ समाप्ति की ओर एक कटाक्ष
आज वर्दी फाड़ी गई, कल क्या पुलिस थानों को जलाया जाएगा?
अगर समाज का रक्षक ही असुरक्षित महसूस करे, तो फिर कौन बचेगा?
यह सिर्फ हमला नहीं था, ये चेतावनी थी उस सिस्टम को जो अक्सर अपराधियों से समझौता कर लेता है।
अब वक्त आ गया है, जब समाज और प्रशासन दोनों मिलकर ऐसे गुंडों को सबक सिखाएं, ताकि अगली बार कोई वर्दी की तरफ आंख उठाकर देखने की हिम्मत भी न करे।
📌 यह घटना केवल एक केस नहीं – यह एक सामाजिक आपातकाल है।
अब जागो, बोलो, और कानून के साथ खड़े हो जाओ – वरना कल न सड़क सुरक्षित रहेगी, न वर्दी।



