




📢 खबरी न्यूज़ ब्रेकिंग स्पेशल रिपोर्ट
पुलिस चौकी का रसोइया बना ज़िंदगी का अंतिम पहर — अंगुद कहार की मौत ने रुला दिया चकिया को
“एक माँ की ममता, दो बेटियों की मासूम आंखें और एक बिन-बाप का बेटा — आज सब खामोश हैं…”
🕯 रिपोर्टिंग: के.सी. श्रीवास्तव (एडवोकेट), खबरी न्यूज़, चकिया
चकिया, चंदौली | 17 जून 2025
सैदूपुर पुलिस चौकी से एक दिल दहला देने वाली ख़बर सामने आई है। चौकी में रसोई का काम करने वाले 25 वर्षीय अंगुद कहार की मंगलवार को अचानक मौत हो गई। वह रोज़ की तरह खाना बनाकर लौट रहा था, तभी रास्ते में गिर गया और फिर कभी नहीं उठा।
जिस अंगुद के हाथों से चौकी के अफसरों के लिए रोज़ाना भोजन तैयार होता था, उसी की मौत के बाद उसकी सुध लेने वाला कोई नहीं दिखा। उसकी मौत एक चुप्पी की तरह पूरे चकिया को जकड़ गई है।
🧵 Zindagi ka Sach: वो सिर्फ रसोइया नहीं, दो मासूम ज़िंदगियों की उम्मीद था
अंगुद का जीवन पहले से ही संघर्षों की आग में तप रहा था। बचपन में ही पिता का साया उठ गया था। उसकी माँ आज भी दूसरों के घरों में बर्तन मांजकर किसी तरह घर चलाती हैं। अंगुद ने शादी के बाद एक नया संसार बसाया था — लेकिन अब वो संसार टूट चुका है।
अंगुद की दो बेटियाँ हैं — एक महज़ 6 साल की और दूसरी सिर्फ 4 साल की। इन मासूम आंखों से अब न कोई सवाल झलकता है, न ही कोई जवाब। उनकी आंखों में अब सिर्फ खामोशी और डर है।
💔 ये मौत नहीं, सिस्टम की एक नंगी हकीकत है
अंगुद की तबीयत अचानक बिगड़ी — कोई बीमारी नहीं थी, कोई लक्षण नहीं था। लोग कहते हैं, “किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था”, लेकिन ये महज़ किस्मत का खेल नहीं, बल्कि एक उपेक्षित और असुरक्षित श्रमिक वर्ग की अनदेखी का नतीजा है।
“अगर चौकी रसोइयों का समय-समय पर स्वास्थ्य परीक्षण होता, तो शायद अंगुद बच सकता था।” — स्थानीय नागरिक
🌐 सोशल मीडिया पर उठी मांग: “अंगुद को न्याय दो!”
अंगुद की मौत के बाद #JusticeForAngud और #AngudKahar जैसे हैशटैग सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगे हैं। यूज़र्स सवाल उठा रहे हैं:
- क्या ऐसे कर्मचारियों को कोई स्वास्थ्य सुविधा मिलती है?
- पुलिस चौकी में कार्यरत सहयोगी स्टाफ के लिए कोई बीमा या सुरक्षा योजना है?
- क्या अंगुद की बेटियों का भविष्य अब अंधेरे में नहीं चला जाएगा?
📌 खबरी न्यूज़ की माँग: अब चुप रहना अन्याय है
🔴 हम मांग करते हैं कि…
- अंगुद की माँ और परिवार को ₹5 लाख की आपदा राहत आर्थिक सहायता दी जाए।
- बेटियों को बालिका शिक्षा योजना के तहत नि:शुल्क शिक्षा व छात्रवृत्ति मिले।
- चौकी स्टाफ को सामाजिक सुरक्षा की श्रेणी में लाया जाए।
📸 गांव की गवाही: सन्नाटे में डूबा सैदूपुर, रो रही है इंसानियत
सैदूपुर गाँव में मातम पसरा हुआ है। अंगुद का अंतिम संस्कार बुधवार को पूरे सम्मान के साथ किया जाएगा। स्थानीय नागरिकों के साथ पुलिसकर्मियों ने भी नम आंखों से श्रद्धांजलि दी।
“वो किसी नेता का बेटा नहीं था, पर हर दिन हमारी सेवा करता था।” — ग्रामीण निवासी
🧠 एडिटोरियल नोट:
“हर मौत खबर नहीं होती, पर कुछ मौतें सवाल छोड़ जाती हैं। अंगुद कहार की मौत इंसाफ की प्रतीक्षा है।”
— K.C. Shrivastava (Adv.), Editor-in-Chief, Khabari News
🕯 ईश्वर अंगुद की आत्मा को शांति दे और उसके परिवार को इस असीम दुख को सहने की शक्ति प्रदान करे।
🔄 इस पोस्ट को ज़रूर शेयर करें — ताकि हर ज़िम्मेदार व्यक्ति तक अंगुद की कहानी पहुंचे।


