
हजारों टन कोयला बेच डकार गए GST, रेड के बाद व्यापारी से वसूले गए 1.12 करोड़ | चंदासी कोलमंडी में जीएसटी चोरी का महाखेल |



Khabar News की स्पेशल रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के चंदौली ज़िले की चंदासी कोलमंडी एक बार फिर सुर्खियों में है—इस बार वजह है जीएसटी चोरी का महाघोटाला। स्टेट जीएसटी विभाग की विशेष जांच शाखा (SIB) की कार्रवाई में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। चंदासी कोल मंडी में स्थित एक बड़े व्यापारी द्वारा फर्जी बिल और फर्जी फर्मों के जरिए 5000 से 6000 टन कोयले की बिक्री कर जीएसटी की चोरी की गई, जिसका खुलासा SIB के द्वारा हुई छापेमारी में हुआ।
GST की चोरी और ‘काली कमाई’ का काला खेल
कोलमंडी में लंबे समय से लिंकेज कोयले की आड़ में बड़े पैमाने पर टैक्स चोरी की खबरें आ रही थीं। राज्य कर विभाग की वाराणसी जोन-1 की SIB टीम ने मंगलवार शाम जिस व्यापारी के चंदासी स्थित कार्यालय और बहराइच के गोदामों पर छापा मारा, वहां जीएसटी चोरी की परतें एक-एक कर खुलने लगीं।
टीम को जांच के दौरान पता चला कि व्यापारी ने 5000-6000 टन कोयला बेचा था, लेकिन जीएसटी रिटर्न में इसका जिक्र तक नहीं किया गया। करोड़ों के इस घोटाले को छिपाने के लिए व्यापारी ने फर्जी बिल और शेल फर्मों का सहारा लिया था।
1.12 करोड़ रुपये मौके पर वसूले
कार्रवाई की अगुवाई कर रहे संयुक्त आयुक्त (एआईबी) बृजेश कुमार के नेतृत्व में SIB की टीम ने सभी दस्तावेज खंगाले और बिक्री का वास्तविक डेटा निकालने के बाद जब कर चोरी की गणना की, तो व्यापारी को 1.12 करोड़ रुपये की जीएसटी मौके पर ही जमा करनी पड़ी।
टीम देर रात तक व्यापारी के ऑफिस और गोदाम की छानबीन करती रही। यह भी अंदेशा जताया जा रहा है कि और भी बड़े नाम इस खेल में शामिल हो सकते हैं, जिनकी भूमिका की जांच अभी जारी है।
मंडी में कारोबारियों का रिएक्शन – ‘ये तो ट्रेलर है…’
SIB की छापेमारी के बाद चंदासी मंडी में हड़कंप मच गया। कई व्यापारी अपने-अपने दफ्तरों और गोदामों को बंद कर निकल गए। कुछ छोटे कारोबारी इसे ‘नियमित प्रक्रिया’ बताते हुए नजरअंदाज कर रहे हैं, तो कुछ ने ऑफ द रिकॉर्ड यह कहा कि “ये तो बस ट्रेलर है, पूरी फिल्म अभी बाकी है।”
क्या है लिंकेज कोयला और इसमें चोरी का तरीका?
लिंकेज कोयला दरअसल कोल इंडिया से सीधे आवंटित होता है, जो रजिस्टर्ड उद्योगों को सब्सिडी रेट पर मिलता है। लेकिन कई व्यापारी इस कोयले को अवैध रूप से बाजार में ऊंचे दामों पर बेचते हैं और जीएसटी रजिस्ट्रेशन के नाम पर फर्जी कंपनियां बनाकर उसे खपाते हैं।
इन बिलों में मात्रा और रेट के साथ हेराफेरी कर टैक्स की चोरी की जाती है। इस केस में भी कुछ ऐसा ही तरीका अपनाया गया था।
जांच टीम में कौन-कौन थे शामिल?
छापेमारी की यह बड़ी कार्रवाई राज्य कर विभाग की उस टीम ने की जिसमें कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे:
- संयुक्त आयुक्त एआईबी बृजेश कुमार।
- उपायुक्त सुशांत मिश्रा।
- डिप्टी कटियार के मार्गदर्शन में।
- सहायक आयुक्त नीरज मिश्रा।
राज्य कर अधिकारी अजय कुमार भारती और अरुण कुमार पाठक
इन अधिकारियों ने मंडी में घंटों दस्तावेजों को खंगाला और मौके पर ही व्यापारी को बकाया कर अदा करने के लिए बाध्य किया।
‘अब बचेगा कोई नहीं’ – अधिकारियों का सख्त संदेश
संयुक्त आयुक्त बृजेश कुमार ने मीडिया को बताया,
1.12 करोड़ रुपए का जीएसटी मौके पर जमा किया है। दस्तावेजों की और भी जांच जारी है, और अन्य व्यापारियों की भूमिका भी खंगाली जा रही है। हम कड़ाई से कार्रवाई करेंगे।”
Khabari News Perspective
कर चोरी का यह मामला दिखाता है कि चंदासी मंडी में अब भी सिस्टम को चकमा देने की मंशा वाले लोग सक्रिय हैं।
छापेमारी के बाद व्यापारी से करोड़ों की रिकवरी इस बात का सबूत है कि मंडी में कालिख की कमाई का खेल वर्षों से चलता आ रहा है।
फर्जी फर्मों की जांच के जरिए एक बड़ा नेटवर्क उजागर हो सकता है जो प्रदेश की अन्य मंडियों तक फैला हुआ हो।
सवाल जो उठते हैं:
- क्या सिर्फ एक व्यापारी दोषी है या मंडी के और भी खिलाड़ी शामिल हैं?
- फर्जी फर्मों को रजिस्ट्रेशन किसने दिया और कैसे?
- इतने वर्षों तक टैक्स चोरी का पता क्यों नहीं चला?
Khabari का संदेश
कोयले की कालिख अब सिर्फ उद्योगों को नहीं, सिस्टम को भी ढकने लगी है। टैक्स चोरी से सरकार को नुकसान और समाज में भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। इस मामले में हुई कार्रवाई एक अहम शुरुआत है, लेकिन जरूरी है कि हर स्तर पर जवाबदेही तय हो—तभी इस काले कारोबार को रोका जा सकेगा।


