KRIBHAKO MRIDA PARIKSHAN
ग्राम पचवनिया में 72वें अखिल भारतीय सहकारिता सप्ताह के अवसर पर एक विस्तृत एवं महत्वपूर्ण गोष्ठी का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम न केवल किसानों के ज्ञान को बढ़ाने वाला रहा, बल्कि कृषि क्षेत्र में आधुनिक तकनीकों, मृदा परिक्षण के महत्व, खाद प्रबंधन और बीज चयन जैसे अहम विषयों पर नई रोशनी डालने वाला भी साबित हुआ। गोष्ठी में क्षेत्रीय अधिकारी आदर्श कुमार सिंह और एरिया मैनेजर विवेक सिंह और रमेश चन्द्र शुक्ला ने किसानों को कृषि के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत जानकारी दी, जिससे भविष्य में बेहतर उपज और लाभदायक खेती के रास्ते खुलेंगे।
मृदा परीक्षण: उपजाऊ खेतों की पहली आवश्यकता
किसानों को संबोधित करते हुए क्षेत्रीय अधिकारी आदर्श कुमार सिंह ने मृदा परीक्षण के महत्व को विस्तार से समझाया। उन्होंने बताया कि आज के समय में यदि किसान वैज्ञानिक पद्धति से खेती लागू करें तो कम लागत में भी अधिक उपज प्राप्त की जा सकती है। इसके लिए सबसे पहला और महत्वपूर्ण कदम है—मृदा परिक्षण।
उन्होंने खेत में गड्ढा खोदकर मिट्टी का सही तरीके से नमूना लेने की विधि का लाइव डेमो भी दिया। उन्होंने कहा:
- मिट्टी का नमूना हमेशा 6–9 इंच गहराई से लिया जाना चाहिए।
- खेत के कोने की मिट्टी नहीं, बल्कि खेत की मध्य दिशा की मिश्रित मिट्टी परीक्षण के लिए सर्वश्रेष्ठ होती है।
- खेत में 5–7 विभिन्न स्थानों से नमूने लेकर उन्हें मिलाकर एक मिश्रित नमूना बनाना चाहिए।
- मृदा परीक्षण से यह पता चलता है कि मिट्टी में कौन-सी पोषक तत्व की कमी है और कौन-से तत्व अधिक मात्रा में मौजूद हैं।
- इसी रिपोर्ट के आधार पर ही उर्वरकों की सही मात्रा निर्धारित की जानी चाहिए।
उन्होंने किसानों को इस बात पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी कि अनुमान के आधार पर खाद डालने से खेत की उर्वरता धीरे-धीरे कम होती जाती है, इसलिए वैज्ञानिक पद्धति ही खेती का सही भविष्य है।
अच्छी फसल के लिए खाद चयन और समुचित मात्रा का महत्व
गोष्ठी के दौरान जब किसानों ने खाद और गेहूं के बीज की उपलब्धता के बारे में प्रश्न पूछे, तो एरिया मैनेजर विवेक सिंह ने विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होंने बताया कि:
- कृभको सेंटर पर डीएपी (DAP) पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।
- वहीं यूरिया दो दिनों के अंदर सेंटर पर पहुंच जाएगी।
- उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे समय से कृभको सेंटर जाकर अपनी आवश्यकता के अनुसार खाद प्राप्त करें, ताकि बुवाई में कोई देरी न हो।
- उन्होंने बताया कि खाद और बीज की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु विभाग लगातार कार्य कर रहा है, ताकि किसान बंधुओं को किसी भी प्रकार की समस्या न हो।
इसके अलावा उन्होंने किसानों को यह भी समझाया कि खाद का चयन हमेशा मृदा परीक्षण की रिपोर्ट के अनुसार ही करना चाहिए। अनियंत्रित तरीके से खाद डालने से फसल को नुकसान भी हो सकता है और मिट्टी का संतुलन बिगड़ सकता है।
गेहूं की बुवाई: वैज्ञानिक तरीके से बेहतर पैदावार
एरिया मैनेजर विवेक सिंह ने गेहूं के बीजों की विशेषताओं पर भी प्रकाश डाला और किसानों को यह बताया कि उच्च गुणवत्ता वाले प्रमाणित बीज उपयोग करने से पैदावार में 25–30% तक की वृद्धि संभव है। उन्होंने निम्न सुझाव दिए:
- बीज उपचार अनिवार्य करें ताकि फसल में रोग आने की संभावना कम हो।
- लाइन से बुवाई करें ताकि पौधों को उचित जगह और पोषण मिल सके।
- फसल के शुरुआती दिनों में खरपतवार नियंत्रण पर विशेष ध्यान दें।
- जल प्रबंधन सही तरीके से करें, जिससे फसल को खेती के विभिन्न चरणों में आवश्यक पानी मिलता रहे।
उन्होंने कहा कि खेती केवल परंपरागत तरीका नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है जिसमें हर कदम सोच-समझकर उठाया जाना चाहिए।
किसानों को सहकारिता की शक्ति समझाई गई
चूंकि यह कार्यक्रम सहकारिता सप्ताह के अंतर्गत आयोजित किया गया था, इसलिए दोनों अधिकारियों ने किसानों को यह भी विस्तार से समझाया कि सहकारिता आंदोलन ने भारत में कृषि क्षेत्र को कैसे मजबूत किया है। सहकारिता समितियों के माध्यम से:
- किसानों को समय पर खाद, बीज और कृषि उपकरण उपलब्ध करवाए जाते हैं।
- उचित मूल्य पर कृषि वस्तुएं उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाता है।
- किसानों को एक साथ जोड़कर सामूहिक शक्ति प्रदान की जाती है।
- छोटी पूँजी वाले किसानों को सहकारिता समितियों के माध्यम से कृषि कार्य सुचारू रूप से संचालित करने में मदद मिलती है।
उन्होंने कहा कि यदि किसान सहकारिता मॉडल को अपनाएँगे तो उनका आर्थिक स्तर भी तेजी से उन्नत होगा और विपणन की समस्या भी कम होगी।
ग्राम पचवनिया के किसानों की उत्साहपूर्ण भागीदारी
कार्यक्रम में ग्राम के अनेक सम्मानित किसान बंधुओं ने उपस्थित होकर अपने विचार साझा किए। उपस्थित प्रमुख किसान—
नरोत्तम चौहान, शिव मूरत चौहान, रामजन्म चौहान (पूर्व प्रधान), पंचनाथ चौहान, मेवा सिंह चौहान, राम लाल चौहान, नारसिंह चौहान, बहादुर चौहान, जमुना चौहान, भवानी चौहान, विमल चौहान, हरिद्वार चौहान, राजन चौहान, शैलेन्द्र चौहान, क्रांति चौहान, राम भरोस चौहान, धरम वीर चौहान, नीलाम्बुज चौहान, शमशेर चौहान तथा अन्य ग्रामीण किसान—गोष्ठी में सक्रिय रूप से शामिल हुए।
किसानों ने अधिकारियों के विचारों को ध्यानपूर्वक सुना और खेती से संबंधित अपनी शंकाएँ भी पूछीं, जिनका अधिकारियों ने धैर्यपूर्वक समाधान किया। किसानों ने विशेष रूप से मृदा परीक्षण तकनीक को लेकर दिलचस्पी दिखाई।
किसानों को दिया गया आधुनिक कृषि का संदेश
गोष्ठी का मुख्य उद्देश्य किसानों को यह जागरूक करना था कि:
- कृषि केवल मेहनत का कार्य नहीं, बल्कि तकनीक और ज्ञान का मेल है।
- बढ़ती जनसंख्या के अनुरूप खाद्यान्न की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए उच्च पैदावार वाली तकनीकों का प्रयोग आवश्यक है।
- संसाधनों का संरक्षण, जल प्रबंधन और जैविक खाद का प्रयोग भविष्य की खेती को सुरक्षित बनाएगा।
- सरकारी स्तर पर चल रही योजनाओं और संसाधनों का उपयोग कर किसान अपनी आय को आसानी से दोगुना कर सकते हैं।
अधिकारियों ने किसानों को यह भी भरोसा दिलाया कि विभाग हर कदम पर उनके साथ है, और किसी भी प्रकार की समस्या होने पर किसान उनसे संपर्क कर समाधान प्राप्त कर सकते हैं।
