
Mukhyamantri Samuhik Vivah Yojana Scam
Mukhyamantri Samuhik Vivah Yojana Scam
जौनपुर — उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गरीब, वंचित और जरूरतमंद वर्गों को सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से चलाई जा रही मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना एक बार फिर विवादों में आ गई है। हाल ही में जौनपुर जनपद में आयोजित इस योजना के तहत आयोजित विवाह समारोह में भाई-बहन सहित छह अपात्र जोड़े शामिल पाए गए हैं। अब इस मामले ने गंभीर मोड़ ले लिया है, और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी शुरू हो गई है।
घटना का पृष्ठभूमि: 1001 नहीं, 1038 जोड़े हुए थे शामिल
12 मार्च 2025 को जौनपुर महोत्सव के अंतिम दिन शाही किले परिसर में भव्य स्तर पर मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं मौजूद थे और उन्होंने नवविवाहित जोड़ों को आशीर्वाद भी दिया।
इस आयोजन की प्रशासनिक तैयारियां कई सप्ताह पहले से चल रही थीं। योजना के अनुसार कुल 1001 जोड़ों का विवाह तय किया गया था। परंतु जांच के दौरान यह सामने आया कि वास्तव में 1038 जोड़े विवाह समारोह में सम्मिलित हुए थे।
धांधली का खुलासा: भाई-बहन समेत अपात्र जोड़े
शुरुआत में इस गड़बड़ी को एक प्रशासनिक त्रुटि के रूप में देखा गया। मगर जब दैनिक जागरण ने अपने 21 मार्च के अंक में ‘मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह का शुरू हुआ सत्यापन’ शीर्षक से इस मामले को प्रमुखता दी, तब प्रशासन हरकत में आया।
मड़ियाहूं ब्लॉक की जांच के दौरान यह खुलासा हुआ कि उसमें भाई-बहन को ही जोड़े के रूप में पंजीकृत कर विवाह करा दिया गया। इसके साथ ही कुल छह अपात्र जोड़े चिन्हित किए गए हैं, जो पात्रता मापदंडों पर खरे नहीं उतरते थे।
वित्तीय अनियमितता: 35-35 हजार रुपये की धनराशि रोकी गई
सरकार द्वारा सामूहिक विवाह योजना के तहत प्रत्येक जोड़े को 35,000 रुपये की आर्थिक सहायता उनके खातों में भेजी जाती है। चूंकि ये छह जोड़े अपात्र पाए गए, इसलिए इनके खातों में भेजी जाने वाली धनराशि को तत्काल प्रभाव से रोक दिया गया है।
यह धनराशि वर-वधु के भविष्य के लिए होती है, जिसमें से कुछ राशि नवविवाहित जोड़े को नकद, कुछ उपहार के रूप में तथा कुछ बैंक खाते में भेजी जाती है।
प्रशासनिक जवाबदेही और कार्रवाई की तैयारी
इस घटना ने प्रशासनिक जवाबदेही को भी कठघरे में ला खड़ा किया है। सामूहिक विवाह योजना में विवाह जोड़ों का सत्यापन ग्राम पंचायत स्तर, ब्लॉक स्तर और जिला स्तर पर संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा किया जाता है।
अब जब इस तरह की धांधली सामने आई है, तो जिला प्रशासन ने इस मामले में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि जल्द ही कुछ कर्मचारियों को निलंबन, प्राथमिक जांच अथवा एफआईआर जैसी सख्त कार्यवाहियों का सामना करना पड़ सकता है।
मुख्यमंत्री की मौजूदगी से कार्यक्रम को मिली थी प्रतिष्ठा
यह आयोजन केवल एक सरकारी योजना नहीं था, बल्कि इसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की व्यक्तिगत उपस्थिति ने इसे और भी महत्व दिया था। उन्होंने विवाह स्थल पर पहुंचकर नवविवाहित जोड़ों को स्नातक जीवन की शुभकामनाएं दी थीं और सरकारी प्रयासों को सामाजिक सुधार का माध्यम बताया था।
अब जब इसी कार्यक्रम में धांधली उजागर हो रही है, तो यह सीधे तौर पर सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है।
क्या कहती है मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना?
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना उत्तर प्रदेश सरकार की एक कल्याणकारी योजना है, जिसका उद्देश्य है:
- समाज के गरीब, निराश्रित, अनुसूचित जाति/जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के जोड़ों का विवाह सरकारी सहायता से करवाना।
- विवाह आयोजन सामूहिक रूप से एक ही स्थान पर होना चाहिए।
- प्रत्येक पात्र जोड़े को ₹35,000 की सहायता — जिसमें ₹20,000 नकद और ₹15,000 उपहार सामग्री के रूप में प्रदान की जाती है।
- योजना के लाभ के लिए दस्तावेज सत्यापन और पंजीकरण अनिवार्य है।
धांधली पर उठते सवाल और सुझाव
इस घटना के बाद सरकार और समाज दोनों के समक्ष कई महत्वपूर्ण सवाल खड़े हो रहे हैं:
- क्या सत्यापन प्रक्रिया में जानबूझकर लापरवाही की गई?
- ऐसे संवेदनशील मामलों में किस स्तर पर निगरानी की कमी हुई?
- क्या आने वाले समय में ऐसे आयोजनों में टेक्नोलॉजी आधारित सत्यापन प्रणाली अपनाई जाएगी?
विशेषज्ञों का सुझाव है कि भविष्य में ऐसे मामलों से बचने के लिए निम्न कदम अपनाए जाएं:
- आधार कार्ड आधारित बायोमैट्रिक सत्यापन
- विवाह से पहले फिजिकल वेरिफिकेशन की अनिवार्यता
- कार्यक्रम की वीडियोग्राफी और डिजिटल ट्रैकिंग
- जिला स्तर पर थर्ड पार्टी ऑडिट की व्यवस्था
- योजनाओं की समीक्षा और फीडबैक सिस्टम को मजबूत करना
योजनाओं की गरिमा बनाये रखना ज़रूरी
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना गरीब और जरूरतमंद वर्गों के लिए आशा की किरण है। इसमें हुई धांधली न केवल सरकारी पैसे की बर्बादी है, बल्कि समाज के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को भी ठेस पहुंचाती है।
इस प्रकार की घटनाएं अगर बार-बार सामने आती रहीं, तो समाज का विश्वास सरकार पर से उठ सकता है। इसलिए जरूरी है कि सख्त कार्रवाई, पारदर्शिता और जागरूकता के माध्यम से ऐसे मामलों पर पूर्ण विराम लगाया जाए।