खबरी न्यूज नेशनल नेटवर्क लखनऊ।
यूपी में सुरक्षा, सम्मान और समता की नई रोशनी…**
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में शनिवार का दिन इतिहास लिख गया।
बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर के 69वें महापरिनिर्वाण दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐसा फैसला सुनाया, जिसे सुनकर पूरा दलित समाज गर्व से भर उठा और विरोधी खेमों में सन्नाटा फैल गया।
कभी रात में तोड़फोड़, कभी साम्प्रदायिक साजिश, कभी शरारती तत्वों की करतूत—
अब ये सब नहीं चलेगा!

सीएम योगी ने ऐलान किया—
“अब उत्तर प्रदेश में जहां भी बाबा साहब की मूर्तियां लगी होंगी, वहां मजबूत बाउंड्रीवाल बनेगी, और हर मूर्ति पर ‘छत्र’ लगाया जाएगा। Baba Saheb will now remain under a permanent protective shield.”
यह सिर्फ एक घोषणा नहीं—
यह बाबा साहब के सम्मान, दलित समाज की सुरक्षा, और संविधान को मिलने वाला राज्य का राजकीय प्रणाम है।
यूपी की राजनीति में यह ऐलान एक बड़ा संदेश है कि—
“आंबेडकर का सम्मान अब किसी उपद्रवी के रहमो-करम पर नहीं, बल्कि सरकार की सुरक्षा कवच में रहेगा।”
क्यों बड़ा है ये फैसला? – खबरी न्यूज़ की खास पड़ताल
यह कोई सामान्य फैसला नहीं।
यह उस पीड़ा का इलाज है जो दशकों से दलित समाज को बार-बार झेलनी पड़ी।
रात के अंधेरे में तोड़ी गई मूर्तियां,
जातिगत तनाव,
सड़क पर उबलता गुस्सा,
थानों और चौकियों तक दौड़ती भीड़…
अब यह सिलसिला थमेगा।
क्योंकि पहली बार किसी सरकार ने घोषणा की है कि—
राज्य खुद बाबा साहब की मूर्तियों की सुरक्षा करेगा।
दीवारें होंगी…
सीसीटीवी होगा…
छत्र होगा…
और मूर्ति को कोई छू भी नहीं सकेगा।
यह समाज के उस हिस्से को भरोसा देने की कोशिश है जिसके लिए आंबेडकर सिर्फ महान व्यक्तित्व नहीं, बल्कि अस्तित्व और सम्मान की पहचान हैं।
“कल तक जो मूर्तियां असुरक्षित थीं, आज वे राज्य के संरक्षण में होंगी” — Khabari News Impact Line
बेहतर वेतन का दूसरा बड़ा ऐलान – सफाई कर्मियों की जिंदगी में रोशनी!
दलित-बहुजन समाज का बहुत बड़ा हिस्सा सफाई कर्मियों के रूप में काम करता है।
और वर्षों से एक ही दर्द—
कम वेतन, असुरक्षा, ठेकेदारों की मनमानी।
लेकिन सीएम का दूसरा बड़ा ऐलान इतिहास का नया पन्ना है—
“एक-दो महीनों में सफाई कर्मियों को न्यूनतम वेतन की गारंटी लागू कर दी जाएगी। सरकार ने इसका कॉरपोरेशन भी बना दिया है।”
यानी—
अब वह दिन गया जब संविदा सफाईकर्मी महीने भर काम करके भी सम्मानजनक राशन नहीं जुटा पाते थे।
अब वेतन पक्का,
कॉरपोरेशन पक्का,
सरकारी गारंटी भी पक्की।
जीरो पॉवर्टी कैंपेन, आयुष्मान कार्ड, आवास—
ये सब दलित समाज की जमीन तक पहुंचने वाली नीतियां हैं।
यही वह भाषा है, जिसे आंबेडकर चाहते थे—
“सामाजिक न्याय जमीनी स्तर पर।”
कांग्रेस नेता पर निशाना – योगी के बयान ने गरमा दी राजनीति
समारोह में सीएम योगी का तीखा तंज चर्चा में है।
उन्होंने एक पुराने कांग्रेस नेता का जिक्र करते हुए कहा कि—
“1923 में उन्होंने वंदे मातरम गाने से इंकार कर दिया था, और अंतिम समय में इच्छा जताई थी कि वे येरूशलम में मरें। बाबा साहब ने तब ही कह दिया था कि जो भारत की धरती को पवित्र न माने, उसकी सोच भारत के हित में नहीं हो सकती।”
यह बयान सिर्फ कांग्रेस पर नहीं—
बल्कि उस पूरी राजनीति पर हमला है जो
तुष्टिकरण, वोट बैंक और राष्ट्र-विरोधी बयानों से जुड़ी है।
योगी ने साफ कहा—
“तुष्टिकरण की नीति बाबा साहब का भी अपमान है और भारत का भी।”
इस बयान का संदेश दो टूक है—
“UP में तुष्टिकरण नहीं, न्याय और समता की राजनीति चलेगी, वही जो बाबा साहब ने संविधान में लिखी थी।”
बाबा साहेब की शिक्षाओं को अगले स्तर पर ले जाने की कोशिश – PM मोदी के नेतृत्व में
सीएम योगी ने पूरे भाषण में एक बात पर बार-बार जोर दिया—
बाबा साहेब के तीन स्तंभ:
न्याय – समता – बंधुता।
यही संविधान की आत्मा है।
यही भारत की पहचान है।
उन्होंने कहा—
PM मोदी ने योजनाओं में “सबका साथ – सबका विकास – सबका विश्वास” का जो आधार रखा है, वह बाबा साहेब की सोच की अगली कड़ी है।
पिछले 10 सालों में—
- पंचतीर्थ निर्माण,
- दलित व पिछड़े बच्चों की छात्रवृत्तियां,
- कनेक्टिविटी,
- आवास,
- स्वास्थ्य,
- डिजिटलीकरण,
- आयुष्मान कार्ड,
- स्कॉलरशिप वितरण—
इन सबको बाबा साहेब की विचारधारा से जोड़कर देखा जा रहा है।
सीएम योगी का संदेश बिल्कुल स्पष्ट था—
“बाबा साहेब ने जो सपना देखा, उसे बीजेपी सरकार साकार कर रही है।”
खबरी न्यूज़ ग्राउंड रिपोर्ट – दलित समाज में जश्न और राहत की लहर
Khabari News संवाददाताओं ने लखनऊ से लेकर चंदौली, प्रयागराज, सहारनपुर, सोनभद्र और वाराणसी तक बात की।
सभी जगह एक ही भाव—
“बाबा साहेब की मूर्तियां अब सुरक्षित रहेंगी, सरकार का धन्यवाद।”
कुछ प्रतिक्रियाएं जोसीली थीं—
● “अब कोई मूर्ति तोड़ेगा तो कानून तो पहले पकड़ता था, अब बाउंड्रीवाल पकड़ लेगी!”
● “छत्र लगने से मूर्तियां सम्मानित दिखेंगी, सुरक्षा भी होगी।”
● “पहली बार लगा कि सरकार को हमारी भावनाओं का ख्याल है।”
● “हमारे बच्चों को स्कॉलरशिप, हमको आयुष्मान कार्ड… यह बदलाव दिख रहा है।”
चंदौली में बाबा साहेब पार्क में मौजूद लोगों ने कहा—
“ये फैसला दलित समाज की आत्मा के लिए टॉनिक जैसा है।”
संदेश गहरा है – राजनीति से हटकर सामाजिक न्याय की बात
सवाल यह भी है कि यह फैसला सिर्फ सुरक्षा का नहीं, बल्कि संदेश का भी है।
संदेश कि—
“हम किसी भी कीमत पर बाबा साहेब की मर्यादा और मूर्तियों का सम्मान करेंगे।”
आज के माहौल में यह निर्णय दलित समाज को मनोवैज्ञानिक सुरक्षा देता है—
जिससे बड़ा कदम राजनीति में कोई नहीं होता।
Khabari News Special Analysis –
क्या दलित राजनीति में नया अध्याय शुरू?**
इस घोषणा के बाद
यूपी की दलित राजनीति में नई हलचल तय है।
क्यों?
✔ क्योंकि बाबा साहेब की मूर्तियों पर हमला सबसे संवेदनशील मुद्दा है।
✔ दलित समाज में इसे लेकर सबसे ज्यादा दर्द और गुस्सा रहता है।
✔ हर चुनाव में मूर्ति विवाद बड़ा मुद्दा बनता है।
✔ अब सरकार ने इसे राज्य की जिम्मेदारी बना दिया।
यह रणनीति सामाजिक और राजनीतिक दोनों स्तरों पर भारी असर डालेगी।
कार्यक्रम में हुआ गरमजोशी से स्वागत – पूरा मंच आंबेडकरमय
कार्यक्रम में मौजूद थे—
- उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य
- उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक
- जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह
- समाज कल्याण राज्यमंत्री असीम अरुण
- महापौर सुषमा खर्कवाल
आंबेडकर महासभा के अध्यक्ष व विधान परिषद सदस्य डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल ने मुख्य अतिथि सीएम योगी का स्वागत किया।
पूरा मंच नीले रंग, संविधान की प्रतियों, आंबेडकर फोटोज़ और जयभीम के नारों से गूंज रहा था।
“मूर्ति की सुरक्षा, समाज की सुरक्षा” — Khabari News का संदेश
बाबा साहेब की मूर्तियां सिर्फ पत्थर या धातु नहीं—
वे समता, न्याय, संविधान और आत्मसम्मान का प्रतीक हैं।
जब किसी मूर्ति को क्षतिग्रस्त किया जाता है,
वह हमला किसी खास धर्म या समुदाय पर नहीं,
बल्कि—
भारत के संविधान पर होता है।
और इसी सोच से सरकार का यह फैसला बेहद ऐतिहासिक माना जा रहा है।

** अंतिम बात — यह सिर्फ एक फैसला नहीं, यह बदलाव की शुरुआत है**
खबरी न्यूज़ के विश्लेषण में यह फैसला चार बड़े प्रभाव लाएगा—
1. शरारती तत्वों पर लगाम
अब मूर्ति क्षतिग्रस्त करना आसान नहीं रहेगा।
2. दलित समाज में विश्वास की बहाली
दशकों में पहली बार सरकार ने मूर्तियों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी है।
3. दलित राजनीति में नई दिशा
यह निर्णय आने वाले चुनावों में बड़ा असर डालेगा।
4. संविधान के प्रति सम्मान का संदेश
यह फैसला आंबेडकर की वैचारिक विजय है।
**Khabari News Verdict —
“UP अब आंबेडकर मिशन की राह पर!”**
छत्र, बाउंड्रीवाल, सुरक्षा, वेतन, स्कॉलरशिप, कनेक्टिविटी—
सब मिलकर यह संदेश देते हैं कि—
बाबा साहेब की विरासत अब और मजबूत होगी।
और यही खबरी न्यूज़ की लाइन है—
**“जब बात बाबा साहेब की हो…
तो फैसला भी ऐतिहासिक होना चाहिए!”**


