
pachwaniya-transformer-problem-protest-2025
चकिया, चंदौली (15 जून 2025)।
चकिया तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत पचवनियां पूर्वी इन दिनों भीषण गर्मी और बार-बार ट्रांसफार्मर जलने की वजह से गहरे संकट में है। गांव में स्थित 10 केवीए का ट्रांसफार्मर अपनी कम क्षमता के कारण आए दिन जल जाता है, जिससे लंबे समय तक बिजली आपूर्ति ठप रहती है। इस समस्या से त्रस्त ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों और विद्युत विभाग के अधिकारियों से कई बार गुहार लगाई, परन्तु अब तक कोई सार्थक समाधान नहीं निकल पाया है। हालात ऐसे हो गए हैं कि आक्रोशित ग्रामीणों ने धरने की चेतावनी तक दे डाली है।
गर्मी में बिजली विहीन जीवन: त्रासदी बनती जा रही है पचवनियां की स्थिति
ग्राम पचवनियां में इस समय भीषण गर्मी का प्रकोप झेल रही जनता बुनियादी सुविधाओं से वंचित होकर त्राहि-त्राहि कर रही है। तापमान 44 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच चुका है और बिजली न होने के कारण न तो पंखे चल पा रहे हैं, न ही बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं को राहत मिल पा रही है।
ग्रामवासी अनिल चौहान ने बताया,
“हम लोग किसान हैं, खेत-खलिहान में काम करके जब घर लौटते हैं तो बिजली नहीं रहती। ट्रांसफार्मर बार-बार जल जाता है, कभी 2 दिन, कभी 3 दिन तक अंधेरे में रहना पड़ता है।”
कम क्षमता का ट्रांसफार्मर बना सबसे बड़ा सिरदर्द
ग्राम पचवनियां पूर्वी में लगाए गए 10 केवीए ट्रांसफार्मर की क्षमता गांव की बढ़ती आबादी और बिजली उपयोग की आवश्यकता के अनुसार बेहद कम है। गांव में बिजली का उपयोग अब केवल बल्ब या पंखे तक सीमित नहीं रहा। घरेलू इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों आदि के कारण लोड लगातार बढ़ रहा है, लेकिन विभाग ने अब तक ट्रांसफार्मर की क्षमता नहीं बढ़ाई।
विभागीय उदासीनता से नाराज ग्रामीण, चेताया आंदोलन का रास्ता
ग्राम सभा के युवाओं और बुजुर्गों ने मिलकर अब एकमत होकर निर्णय लिया है कि यदि इस बार विभाग ने गंभीरता नहीं दिखाई, तो ग्रामवासियों को मजबूर होकर विद्युत उपकेंद्र चकिया के समक्ष धरना-प्रदर्शन करना पड़ेगा। ग्रामीणों ने बताया कि वे शांतिपूर्ण प्रदर्शन करेंगे, लेकिन जब तक ट्रांसफार्मर की क्षमता 10 केवीए से बढ़ाकर 25 केवीए नहीं की जाती, तब तक वे पीछे नहीं हटेंगे।
बिजली संकट से प्रभावित हो रहे हैं बच्चों की पढ़ाई और स्थानीय व्यवसाय
पचवनियां में बिजली की लगातार अनुपलब्धता का सबसे बुरा असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है। परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्र-छात्राएं बिजली न होने से परेशान हैं। ऑनलाइन कक्षाएं, मोबाइल चार्जिंग, पढ़ाई का समय – सब अस्त-व्यस्त हो गया है।
जनप्रतिनिधियों पर भी सवाल, ‘केवल चुनाव में दिखते हैं नेताजी’
ग्रामीणों ने नाराज़गी जताते हुए कहा कि स्थानीय जनप्रतिनिधि केवल चुनावों में आकर वादे करते हैं और फिर गायब हो जाते हैं। एक ग्रामीण कन्हैया चौहान कहते हैं,
“नेता लोग केवल वोट मांगने आते हैं। ट्रांसफार्मर की मांग कोई नई नहीं है, कई बार कहा गया कि 25 केवीए का लगेगा लेकिन अभी तक वही पुराना 10 केवीए वाला जलता रहता है।”
ग्राम सभा का संकल्प: अब चुप नहीं बैठेंगे
बैठक के दौरान ग्राम सभा पचवनियां के ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि यदि 7 दिन के भीतर ट्रांसफार्मर की क्षमता नहीं बढ़ाई जाती, तो वे SDO कार्यालय चकिया के समक्ष सामूहिक धरना देंगे और इसके लिए प्रशासन पूरी तरह जिम्मेदार होगा।
एक स्वर में गांववालों ने कहा:
“अब हम चुप नहीं रहेंगे। बिजली हमारा अधिकार है, और हम इसे लेकर ही रहेंगे।”
विकास के दावों के बीच बुनियादी जरूरतों की अनदेखी
चकिया तहसील का पचवनियां गांव आज उस कड़वे सच का उदाहरण बन चुका है जहां विकास के बड़े-बड़े दावे तो किए जाते हैं, लेकिन बुनियादी सुविधाएं जैसे बिजली, पानी और सड़क आज भी संघर्ष का विषय बनी हुई हैं। पचवनियां में ट्रांसफार्मर की लगातार खराबी न केवल तकनीकी विफलता है, बल्कि यह प्रशासनिक उदासीनता का भी प्रतीक है।
यह देखना अब बेहद जरूरी हो गया है कि प्रशासन कितनी तत्परता से ग्रामीणों की इस न्यायोचित मांग पर कार्रवाई करता है। अगर समय रहते समाधान नहीं हुआ, तो पचवनियां की यह चिंगारी चकिया तहसील के अन्य प्रभावित गांवों के लिए भी प्रेरणा बन सकती है — एकजुट होकर अपने हक की लड़ाई लड़ने की।