
Road Accident


Road Accident
खबरी न्यूज़ नेशनल नेटवर्क
चकिया, चंदौली: यह खबर जितनी दर्दनाक है, उतनी ही विडंबनापूर्ण भी। चंदौली जिले के चकिया क्षेत्र से सटे दिरेहूं गांव के 27 वर्षीय युवक मनोज की मौत एक Road Accident में हो गई। वह मंगलवार को चंदौली आरटीओ ऑफिस में लर्निंग लाइसेंस बनवाने गया था, लेकिन उसे क्या पता था कि वह उस दिन लाइसेंस नहीं, बल्कि अपनी जान खोने के लिए घर से निकलेगा।
शादी को हुए थे अभी मात्र 11माह
मनोज की शादी अभी मात्र 11 महीने पहले ही हुई थी। वह अपनी पत्नी के साथ एक खुशहाल जीवन की शुरुआत कर चुका था, लेकिन इस अप्रत्याशित घटना ने उसकी जिंदगी के साथ-साथ उसके परिवार के सपनों को भी चकनाचूर कर दिया।
आखिर क्या है हादसे की कहानी
मनोज ने मंगलवार को चंदौली के आरटीओ ऑफिस में लर्निंग लाइसेंस बनवाने के लिए अपने आधार कार्ड से ओटीपी प्राप्त करने की कोशिश की, लेकिन ओटीपी नहीं मिल पा रहा था। इसे लेकर उसे अपने आधार कार्ड में मोबाइल नंबर बदलवाना पड़ा। यही काम करते-करते शाम के 6:00 बज गए और वह आरटीओ ऑफिस से बाहर निकला। लर्निंग लाइसेंस का काम पूरा कर मनोज चंदौली से वापस घर लौट रहा था, लेकिन उसे इस बात का अहसास नहीं था कि लौटते वक्त उसे एक दर्दनाक Road Accident का सामना करना पड़ेगा।
आ रहा था घर हुआ हादसे का शिकार
मनोज ने अपनी यात्रा को अपनी बुआ के घर से शुरू किया था जो नवहीं के पास स्थित है। वह बुआ के घर से होते हुए अपने घर की ओर बढ़ रहा था, लेकिन कांटा साइफन के पास उसे अज्ञात वाहन ने अपनी चपेट में ले लिया। हादसा इतना भयंकर था कि मनोज की पूरी बॉडी छत विक्षत हो गई।
संपर्क टूट गया और जब तक खबर मिली तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
देखें क्या कह रहे हैं मृतक के पिता
मनोज के पिता शैलेश चंद्र शर्मा बताते हैं कि शाम साढ़े आठ बजे के बाद उनका मनोज से संपर्क टूट गया था। बार-बार फोन करने के बावजूद किसी ने फोन नहीं उठाया। पिता का कहना है, “हम सोच रहे थे कि कहीं वह अपने किसी दोस्त के घर तो नहीं रुक गया, लेकिन जब 12:00 से 1:00 बजे के बीच पुलिस ने फोन किया और बताया कि मनोज का एक्सीडेंट हो गया है और वह अस्पताल में है, तो हम सभी हैरान रह गए।”
बेटे का हाल देख कर रो रहे थे परिजन
इसके बाद परिवार के लोग अस्पताल पहुंचे, लेकिन वहां मनोज का शव देखकर उनका दिल टूट गया। उनके शरीर का ज्यादातर हिस्सा बुरी तरह क्षतिग्रस्त था। सिर के अलावा उनके शरीर के बाकी हिस्से पूरी तरह से छत विक्षत हो गए थे।
सड़कपर पड़ा रहा था शव, किसी ने नहीं देखा
इस घटना की सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि मनोज का शव लगभग चार घंटे तक सड़क पर पड़ा रहा। वह 8:30 बजे से लेकर 12:00 बजे तक सड़कों पर पड़ा रहा, लेकिन किसी ने भी उसकी मदद नहीं की। यहां तक कि पुलिस का पिकेट भी उस समय वहां से नहीं गुजर पाया। जब पुलिस मौके पर पहुंची तो शव को उठाकर अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तब तक मनोज की मौत हो चुकी थी।
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सड़क निर्माण और ट्रकों का अनियंत्रित दौड़ना
यह घटना चकिया क्षेत्र की उस सड़क पर हुई, जो इन दिनों निर्माणाधीन है। इस सड़क पर भारी ट्रकों और डंपरों की अनियंत्रित गति का मुद्दा कई बार उठ चुका है। कांटा साइफन के पास सड़क निर्माण के कारण ट्रकों और डंपरों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है, लेकिन इसके बावजूद सुरक्षा उपायों की स्थिति बहुत खस्ता है। इन भारी वाहनों की गति इतनी तेज रहती है कि आम आदमी का सड़क पर चलना भी खतरनाक हो जाता है।
मनोज की मौत एक और उदाहरण बन गई है कि सड़क निर्माण और ट्रकों के संचालन के बीच सुरक्षा की कितनी बड़ी कमी है। परिवार का कहना है कि अगर सड़क पर सुरक्षा उपायों को और कड़ा किया जाता, तो शायद यह हादसा टाला जा सकता था।
परिवार में मचा कोहराम
मनोज की पत्नी, जो अभी 11 महीने पहले ही अपने नए जीवन की शुरुआत कर चुकी थी, अब अपने पति की मौत से टूट चुकी है। परिवार के अन्य सदस्य भी सदमे में हैं। उनका कहना है कि मनोज का जाना उनके लिए एक बड़ा शॉक है और वे इसे हजम नहीं कर पा रहे हैं। परिवार की स्थिति बेहद कठिन हो गई है। एक ओर जहां उसे खुशियों का सामना करना था, वहीं दूसरी ओर उसे इस तरह के दुख का सामना करना पड़ा।
मनोज के पिता शैलेश चंद्र शर्मा कहते हैं, “मुझे नहीं पता कि अब मेरी बहू और बच्चों का क्या होगा। मनोज बहुत मेहनती लड़का था और पूरी जिंदगी एक अच्छा नागरिक बनकर परिवार का सहारा बनने की सोचता था। लेकिन आज उसकी मौत ने हमें बर्बाद कर दिया।”


जिम्मेदारी का सवाल
इस हादसे ने कई सवाल उठाए हैं, विशेषकर उन लोगों के खिलाफ जो सड़क सुरक्षा और निर्माण के जिम्मेदार हैं। क्या जिम्मेदार अधिकारियों ने सही तरीके से सड़क निर्माण और सुरक्षा उपायों की योजना बनाई थी? क्या ये दुर्घटना प्रशासनिक लापरवाही का परिणाम है? क्या Road Accident को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाए जाएंगे?
मनोज की मौत ने यह सिद्ध कर दिया है कि हमारी सड़क सुरक्षा व्यवस्था में अभी बहुत सुधार की आवश्यकता है। सरकार को इस मामले पर गंभीरता से विचार करना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसे हादसों को रोका जा सके और किसी और परिवार को इस तरह के दुख का सामना न करना पड़े।
यह कहानी न सिर्फ मनोज की मौत को लेकर है, बल्कि उन सभी लोगों की मौतों को लेकर भी है जो Road Accident का शिकार होते हैं। समाज को यह समझने की आवश्यकता है कि सड़क सुरक्षा में सुधार करने से हम कई परिवारों को इस दुख से बचा सकते हैं।
मनोज की मौत के बाद परिवार में मचा कोहराम, सड़क सुरक्षा की गंभीर कमी सामने आई।
