



खबरी न्यूज नेशनल नेटवर्क
नौगढ़‚चंदौली। सोमवार की सुबह मझगाई क्षेत्र स्थित कचरिया जंगल में सात मासूम बच्चे खेलते-घूमते रास्ता भटक गए। दिनभर जंगल में भटकने के बाद बच्चे सायंकाल रोते-बिलखते हुए विशेषरपुर गांव पहुंच गए, जहां ग्रामीणों ने उन्हें अपने घर पर रखकर परिजनों को सूचना दी।
दो दिन पूर्व चंद्रप्रभा सेंचुरी में नर गुलदार (तेंदुआ) छोड़े जाने की खबर ने ग्रामीणों के बीच भय और दहशत पैदा कर दी थी। ऐसे में बच्चों के जंगल में भटकने की सूचना से प्रशासनिक अधिकारियों और ग्रामीणों में खलबली मच गई।
मासूमों का नाम और उम्र
भटके हुए बच्चों में शामिल हैं:
- शिवम पुत्र घमड़ी कोल (06 वर्ष)
- शिवानी पुत्री घमड़ी कोल (04 वर्ष)
- रोशन पुत्र मोहन कोल (08 वर्ष)
- सूरज पुत्र मोहन कोल (06 वर्ष)
- रोशन पुत्र छोटेलाल कोल (06 वर्ष)
- रजनी पुत्री विमलेश कोल (06 वर्ष)
- मुकेश पुत्र विमलेश कोल (03 वर्ष)
माँ-बाप रोजी-रोटी के लिए जनपद सोनभद्र के सीमावर्ती गांवों में मिर्च-टमाटर की खेती करने गए थे। बच्चे सुबह करीब 09 बजे घर के समीप खेलते-खेलते जंगल की ओर चले गए और रास्ता भटककर विशेषरपुर गांव में पहुंचे।
प्रशासन की त्वरित प्रतिक्रिया
सूचना मिलने के बाद उपजिलाधिकारी विकास मित्तल और सीओ ऑपरेशन नामेन्द्र कुमार तुरंत मौके पर पहुंचे। उन्होंने बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और घटनाक्रम की जानकारी लेने के साथ अधीनस्थ अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
साथ ही जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक और प्रभागीय वनाधिकारी के मौके पर पहुंचने की संभावना जताई गई। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने बच्चों को सकुशल परिजनों तक पहुंचाने के लिए संपूर्ण टीम और संसाधन जुटाए।

ग्रामीणों का भय और जंगल का माहौल
दो दिन पहले जनपद बिजनौर के कौड़िया जंगल से नर गुलदार को चंद्रप्रभा वन्य जीव अभयारण्य में छोड़े जाने की खबर ने स्थानीय लोगों को डरा दिया था। ग्रामीणों का मानना था कि गुलदार किसी भी समय हमला कर सकता है।
भटके बच्चों के जंगल में होने की खबर से आसपास के गाँव में हड़कंप मच गया। लोग अपने घरों की खिड़कियों से बाहर झांकते और बच्चों की तलाश में लग गए। ग्रामीण राजकुमार कोल ने सबसे पहले बच्चों को देखा और अपने घर पर सुरक्षित रखा।
बच्चों की खोज और राहत
गायब बच्चों की खोजबीन दोपहर एक बजे से शुरू हुई। 112 नंबर पर सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने जंगल में व्यापक खोजबीन की। उपजिलाधिकारी और सीओ ऑपरेशन ने व्यक्तिगत रूप से बच्चों की सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की और परिजनों को घटना की जानकारी देने में जुटे।
सायंकाल जब बच्चे विशेषरपुर गांव पहुंचे, तो उनकी रोती-बिलखती आवाज सुनकर ग्रामीणों में राहत और खुशी की लहर दौड़ गई। पुलिस ने सभी बच्चों को सकुशल परिजनों को सौंपा।
बच्चों की मासूमियत और ग्रामीणों की भावनाएँ
भटके बच्चों की मासूमियत और रोते-बिलखते उनके चेहरे ने गांववालों को भावुक कर दिया। बच्चे जंगल की राह भूल चुके थे और दोपहर भर भूखे-प्यासे भटकते रहे।
ग्रामीणों ने बताया कि बच्चों की मासूम हँसी और किलकारियाँ अब गांव में लौट आई हैं, और हर कोई इस घटना से राहत की साँस ले रहा है।
प्रशासनिक और मीडिया की भूमिका
उपजिलाधिकारी विकास मित्तल ने कहा:
“सभी बच्चों को सकुशल परिजनों को सौंप दिया गया है। प्रशासन ने हर संभव प्रयास किया ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके। यह घटना बच्चों की सुरक्षा और ग्रामीणों की सतर्कता का प्रतीक है।”
Khabari News के Editor-in-Chief Advocate K.C. Shrivastava ने अपील की:
“इस प्रकार की घटनाओं से हमें सचेत रहना चाहिए। बच्चों की सुरक्षा हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है। सभी माता-पिता और ग्रामीण अपने बच्चों पर विशेष ध्यान दें और जंगल में अकेले न जाने दें।”
जंगल से मासूमों की वापसी: एक इमोशनल सस्पेंस
जंगल की गहनता, तेंदुए की भयावह अफवाह और बच्चों का दोपहर भर भटकना इस कहानी को सस्पेंस और इमोशनल ट्विस्ट देता है।
- जंगल में हर कदम पर भय
- बच्चों की मासूम हँसी और आँसू
- ग्रामीणों की चिंता और प्रशासन की त्वरित कार्रवाई
इस घटना ने चकिया और मझगाई के लोगों को सतर्क कर दिया। प्रशासन और पुलिस की सजगता ने यह सुनिश्चित किया कि कोई अप्रिय घटना न घटे।
निष्कर्ष: शिक्षा और जागरूकता
यह घटना हमें सिखाती है कि बच्चों की सुरक्षा और जंगल की समझ दोनों बेहद महत्वपूर्ण हैं।
- माता-पिता को बच्चों पर नजर रखनी चाहिए
- प्रशासन और पुलिस की तत्परता महत्वपूर्ण है
- ग्रामीणों की जागरूकता और सहयोग अनिवार्य है
“सभी बच्चों का सकुशल घर वापसी इस बात का प्रमाण है कि सहमति, सतर्कता और सामूहिक प्रयास से बड़ी से बड़ी आपदा टाली जा सकती है।” – उपजिलाधिकारी विकास मित्तल
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