
बच्चों की सुरक्षा के लिए डीएम का बड़ा फैसला, ग्रामीण इलाकों में हाहाकार
🚨 खबरी न्यूज़ की रिपोर्ट 🚨
✍️ Editor-in-Chief K.C. Shrivastava (Advocate)
✍️ खबरी न्यूज़ | चंदौली


🌧️ बारिश बनी आफ़त – नदियों ने तोड़ी सीमाएं
चंदौली ज़िले में आसमान से बरस रही लगातार बारिश अब आफ़त बन चुकी है।
गाँव-गाँव में पानी भर गया है, खेत तालाब बन चुके हैं और कई घरों के आँगन में अब नदी बह रही है।
सबसे खतरनाक हालात चकिया, शहाबगंज और सदर क्षेत्र के बने हुए हैं, जहाँ स्कूल तक जलमग्न हो गए हैं।
सोचिए जरा…
जहाँ कल तक बच्चे हंसते-खेलते पढ़ने जाते थे, वहाँ आज पानी लहरें मार रहा है।
माँ-बाप की आँखों में डर है – कहीं उनके नन्हे लाल की जान किसी हादसे में न चली जाए।



📢 जिला प्रशासन का बड़ा निर्णय – “पहले बच्चे, फिर बाकी सब”
हालात को देखते हुए ज़िला प्रशासन ने एक कड़ा और एहतियाती कदम उठाया है।
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी सचिन कुमार ने आदेश जारी कर दिया है –
👉 चकिया, शहाबगंज और सदर के सभी विद्यालय 26 अगस्त 2025 तक बंद रहेंगे।
यह फैसला इसलिए लिया गया ताकि बच्चों की जान पर कोई जोखिम न आए।

📌 प्रभावित विद्यालयों की सूची
1️⃣ प्राथमिक विद्यालय दुबरी, शहाबगंज
2️⃣ प्राथमिक विद्यालय नवाबाद, सदर
3️⃣ उच्च प्राथमिक विद्यालय गुरुरी, सदर
4️⃣ प्राथमिक विद्यालय दुबे, सदर
5️⃣ कन्या उच्च प्राथमिक विद्यालय दुबे, सदर
इन विद्यालयों में पढ़ाई फिलहाल पूरी तरह से ठप हो चुकी है।
🛑 डीएम चंदौली का साफ़ संदेश – “सुरक्षा से बड़ा कुछ नहीं”
डीएम चन्द्रमोहन गर्ग ने सख्त निर्देश दिए –
➡️ किसी भी कीमत पर कोई हादसा नहीं होना चाहिए।
➡️ जहाँ स्कूल भवनों में पानी भरा है, वहाँ शिक्षण कार्य रोक दिया जाए।
➡️ जिन इलाकों में पानी नहीं भरा है, वहाँ स्कूल सामान्य रूप से चलेंगे।
😢 बच्चों के चेहरे पर मायूसी – किताबों की जगह पानी
खबरी न्यूज़ की टीम ने प्रभावित इलाकों का दौरा किया।
📍 दुबरी प्राथमिक विद्यालय के गेट तक पानी भर चुका है। बच्चे गली में खड़े होकर दूर से अपने स्कूल को देख रहे हैं।
एक बच्चा बोला – “मास्टर साहब कहे रहले कि कल पढ़ाई ना होई। लेकिन हमार किताब त बेंच पर पड़ल बा… पानी से भीग गइल होई।”
यह सुनकर गाँव के बुज़ुर्ग की आँखें नम हो गईं। सच है, किताबें भीग सकती हैं, पर बच्चों का भविष्य भी न भीग जाए, यह सबसे बड़ी चिंता है।
🌊 बाढ़ की तस्वीरें – खेत से घर, अब स्कूल भी डूबे
- कई स्कूलों में ब्लैकबोर्ड तक पानी चढ़ चुका है।
- मैदान, जहाँ बच्चे दौड़ा करते थे, अब तालाब बन गए हैं।
- चकिया बाज़ार से सटे कई स्कूलों के रास्ते तक बंद हो गए हैं।
गाँव के लोग बता रहे हैं –
“इतना पानी कभी-कभी ही देखे में आवेला। अगर स्कूल ना बंद होखित त पता नाहीं कइसन विपत्ति होखित।”
👨👩👧 अभिभावकों का डर – “हम बच्चों को स्कूल भेज ही नहीं सकते”
गाँव की महिलाओं ने खबरी न्यूज़ को बताया –
“हमरा बेटा रोज पैदल स्कूल जाला। लेकिन अब त रास्ता पूरा डूब गइल बा। आवे-जावे में कहीं गिर न जाए, यही डर लागेला।”
कुछ अभिभावक खुद प्रशासन से गुहार लगा रहे थे कि स्कूल बंद कर दिए जाएं।
और जब आदेश आया, तो उन्होंने राहत की सांस ली।
📢 खबरी न्यूज़ की अपील – सुरक्षित रहिए, सावधान रहिए
👉 अपने बच्चों को नदी-नालों के पास खेलने न भेजें।
👉 प्रशासन के आदेश का पालन करें।
👉 यदि कोई आपात स्थिति हो, तो तुरंत 112 या प्रशासन को सूचित करें।
🔥 सोशल मीडिया पर चर्चा – जनता ने कहा “सही समय पर फैसला”
जैसे ही खबरी न्यूज़ ने यह रिपोर्ट जारी की, सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएँ आने लगीं।
- कुछ ने लिखा – “बहुत सही कदम, बच्चों की जान से बढ़कर कुछ नहीं।”
- कुछ ने प्रशासन को धन्यवाद कहा कि उन्होंने समय रहते यह निर्णय लिया।
- वहीं कई लोग अब बाढ़ पीड़ित परिवारों के लिए राहत शिविर की मांग कर रहे हैं।
✍️ खबरी न्यूज़ का सवाल
क्या सिर्फ स्कूल बंद करना ही काफी है?
या फिर बाढ़ से जूझ रहे लोगों के लिए विशेष राहत योजना की भी ज़रूरत है?
यह बड़ा सवाल अब भी प्रशासन के सामने खड़ा है।
🕊️ अंत में – बच्चों की हंसी लौटे, यही दुआ
फिलहाल पढ़ाई भले रुक गई हो, लेकिन बच्चों की जिंदगी सुरक्षित है।
“पढ़ाई बाद में भी हो सकती है, लेकिन जान एक बार गई तो लौटकर नहीं आएगी।”
खबरी न्यूज़ उम्मीद करता है कि हालात जल्द सुधरें और बच्चे फिर से अपने स्कूल की बेंच पर बैठकर मास्टर साहब से “अ आ इ ई” पढ़ सकें।




