
एडिटर-इन-चीफ़ खबरी न्यूज के.सी. श्रीवास्तव (एडवोकेट)
चंदौली। वह दिन, वह मैदान और वह उमंग—सब कुछ कुछ अलग ही था! थाना बबुरी के जेएस पब्लिक स्कूल का मैदान उस समय सिर्फ खेल का मैदान नहीं रहा, बल्कि महिला सशक्तिकरण का जीवंत दृश्य बन गया। चारों ओर खेल की गूँज, टीमों की उत्सुकता, और हर खिलाड़ी की आँखों में जीत की चमक—सब कुछ भावनाओं और सस्पेंस से भरा हुआ था।


मुख्य अतिथि मा० सांसद श्री बिनोद बिंद, विशिष्ट अतिथि पूर्व बीजेपी जिलाध्यक्ष राणा प्रताप सिंह और पुलिस क्षेत्राधिकारी सकलडीहा स्नेहा तिवारी ने मैदान में कदम रखते ही एक अलग ही ऊर्जा भर दी। मैदान में मौजूद हर लड़की ने महसूस किया कि केवल खेल ही नहीं, बल्कि उनके अधिकार, उनकी सुरक्षा और उनका आत्मविश्वास भी अब उनकी सबसे बड़ी ताकत है।
उ०प्र० शासन की मंशा के अनुरूप, पुलिस विभाग ने सीबीएसई हैंडबॉल नेशनल चैम्पियनशिप में भाग ले रही राष्ट्रीय 21 और अंतर्राष्ट्रीय 6 टीमों (यूएई, कतर, ओमान, कुवैत सहित अन्य दो देशों) की महिला प्रतिभागियों के साथ लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण के विषय में जागरूकता फैलाने का काम किया।
मैदान में हर शॉट, हर पास, हर छलांग केवल खेल की गति नहीं, बल्कि महिलाओं की शक्ति और साहस का संदेश था। पुलिस विभाग ने पम्पलेट वितरित कर यह दिखाया कि सुरक्षा और सशक्तिकरण केवल शब्द नहीं, बल्कि हर कदम पर लागू होने वाली वास्तविकता है।
महिला सशक्तिकरण योजनाओं की जानकारी:
प्रतिभागियों को यह बताया गया कि उनके अधिकार और सुरक्षा के लिए कई योजनाएँ हैं—जैसे:
- मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना
- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान
- वन स्टॉप सेंटर और 181 महिला हेल्पलाइन
- पति की मृत्युपरांत निराश्रित महिला योजना
- महिला शरणालय, शक्ति सदन और सखी निवास

हर योजना का मकसद सिर्फ मदद करना नहीं, बल्कि उन्हें सशक्त, सुरक्षित और आत्मनिर्भर बनाना है।
कानूनों के तहत सुरक्षा:
कार्यक्रम में महिलाओं और बालिकाओं को उनके अधिकारों के संरक्षण से जुड़े महत्वपूर्ण कानूनों के बारे में भी बताया गया:
- घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005
- कार्यस्थल पर महिलाओं का लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम, 2013
- दहेज निषेध अधिनियम, 1961
- गर्भधारण पूर्व और प्रसवपूर्व निदान तकनीक अधिनियम, 1994
यह सत्र इतना भावनात्मक था कि कई प्रतिभागियों की आँखों में आँसू और चेहरे पर आत्मविश्वास एक साथ झलक रहे थे। यह सशक्तिकरण का ऐसा पल था जिसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है—एक ऐसा पल जो हर लड़की के जीवन को बदल सकता है।



नवस्थापित मिशन शक्ति केंद्र:
पुलिस ने नवस्थापित मिशन शक्ति केंद्र की सेवाओं और उद्देश्यों को विस्तार से समझाया। यह केंद्र अब केवल मदद और सुरक्षा देने का स्थान नहीं, बल्कि हर महिला के लिए भरोसे का प्रतीक बन गया है।
खेल और सशक्तिकरण का रोमांचक संगम:
मैदान में खेल की तेज़ रफ्तार और जागरूकता का मेल इतना रोमांचक था कि हर दर्शक मंत्रमुग्ध हो गया। हर खिलाड़ी की एक-एक छलांग, हर पास, हर गोल महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बन गया। पुलिस ने खिलाड़ियों को यह भरोसा दिलाया कि उनके हर कदम पर उनका संरक्षण और मार्गदर्शन रहेगा।
सोशल मीडिया पर वायरल:
कार्यक्रम की फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गए। फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर पर #MissionShakti, #WomenEmpowerment, #JSHandball जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। लोग कहते नजर आ रहे हैं, “यह केवल खेल नहीं, बल्कि महिला सशक्तिकरण का जिंदा संदेश है!”
प्रतिभागियों ने बताया कि यह आयोजन जीवन बदलने वाला अनुभव था। खेल और जागरूकता ने उन्हें न केवल आत्मविश्वासी बनाया, बल्कि यह विश्वास भी दिया कि हर परिस्थिति में वे मजबूत और सुरक्षित रह सकती हैं।
पुलिस का योगदान और समाज का संदेश:
थाना बबुरी की पुलिस ने साबित कर दिया कि महिला सुरक्षा केवल कानून तक सीमित नहीं। यह समाज को सशक्त, सुरक्षित और आत्मनिर्भर बनाने का संदेश है। बालिकाओं के साथ खेल का यह संगम उन्हें आत्मनिर्भर बनने और अधिकारों के प्रति जागरूक होने का अवसर देता है।
उद्बोधक संदेश:
“जब महिलाएं सशक्त होती हैं, समाज मजबूत होता है।”
मिशन शक्ति अभियान फेज-5.0 ने इसे जीता-जागता उदाहरण बना दिया। यह केवल एक अभियान नहीं, बल्कि महिला सशक्तिकरण की क्रांति है, जो हर लड़की के जीवन में बदलाव लाने के लिए कार्यरत है।
समापन:
कार्यक्रम का समापन उत्साह और उमंग के साथ हुआ। यह स्पष्ट था कि यह अभियान हर महिला और बालिका को सशक्त, सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन देने के लिए तत्पर है। खेल का मैदान अब सिर्फ खेल का नहीं, बल्कि महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बन गया है।
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