
🌿 Khabari News | रिपोर्ट — संपादक-इन-चीफ: K.C. Shrivastava (Advocate)
खबरी न्यूज नेशनल नेटवर्क चकिया‚ चंदौली।
“प्रकृति हमारी माँ है… और जंगल उसका हृदय।”
इसी भाव को जीवंत करते हुए वन विभाग द्वारा मनाए जा रहे वन्य जीव सप्ताह (2 से 8 अक्टूबर) के तहत आज कमला चंद्र इंटरनेशनल स्कूल, उसरी का वातावरण हरियाली, कला और संवेदनाओं से भर उठा।
यह केवल एक निबंध व चित्रकला प्रतियोगिता नहीं थी — बल्कि यह बच्चों की सोच और धरती के प्रति उनके प्रेम का एक सजीव प्रदर्शन था।



🎨 बच्चों ने रंगों से रचा संदेश: “प्रकृति बचाओ, भविष्य सजाओ”
कक्षा 5 से 8 तक के नन्हें कलाकारों ने जब ब्रश उठाया, तो कैनवस पर सिर्फ रंग नहीं, बल्कि भावनाएँ उतर आईं —
कहीं हिरण भागता दिखा, तो कहीं पेड़ों की छांव में पंछियों की चहचहाहट गूंज उठी।
एक बच्ची ने तो अपनी पेंटिंग में लिखा —
“अगर जंगल हरा रहेगा, तभी जीवन खिला रहेगा।”
और सच कहें तो, इस मासूम आवाज़ में वह सच्चाई थी जो शायद बड़े-बड़े सेमिनारों में भी नहीं गूंज पाती।
✍️ निबंध में बहा बचपन का दर्द, उमड़ा पर्यावरण का प्रेम
निबंध प्रतियोगिता में बच्चों ने शब्दों से ऐसा संसार रचा जिसमें इंसान, पशु-पक्षी और वृक्ष सब साथ थे।
कुछ ने लिखा – “शिकार नहीं, संरक्षण चाहिए।”
तो किसी ने कहा – “जंगल काटने से पहले, अपने भविष्य को सोचो।”
इन शब्दों में वह चेतावनी थी जो हमें आने वाले कल से जोड़ती है।
🏆 जब बच्चों की मेहनत को मिला सम्मान
परिणाम की घोषणा होते ही तालियों की गूंज पूरे स्कूल में फैल गई —
🌟 प्रथम स्थान — आकांक्षा विश्वकर्मा
🌟 द्वितीय स्थान — सुमन यादव
🌟 तृतीय स्थान — प्रियोम सिंह
🌿 सांत्वना पुरस्कार — गौरव केशरी
इन सबके चेहरे पर खुशी के साथ आत्मविश्वास की चमक थी।
सभी विजेताओं को सम्मानित करते हुए डिप्टी रेंजर आनंद दूबे ने कहा —
“आज के बच्चे ही कल के पर्यावरण प्रहरी हैं। हमें इनकी सोच को मजबूत बनाना होगा।”
उनकी यह पंक्ति पूरे आयोजन की आत्मा बन गई।


🌳 जब मंच पर एकजुट हुआ ‘प्रकृति परिवार’
कार्यक्रम के दौरान कमला चंद्र इंटरनेशनल स्कूल उसरी के डायरेक्टर विकाश कुमार पांडेय,
रितु पांडेय, नीलम पांडेय, नारद विश्वकर्मा, ज्योति शर्मा, रुकसार जी,
के साथ वन विभाग की पूरी टीम मौजूद रही —
डिप्टी रेंजर आनंद दूबे, वन दरोगा रामअशीष, वनरक्षक जसवंत सिंह, अमित यादव, और अमित सिंह ने
बच्चों के उत्साह की सराहना करते हुए उन्हें वन्य जीव संरक्षण के महत्व से परिचित कराया।
🗣️ डायरेक्टर विकाश कुमार पांडेय ने कहा —
“बच्चों की सोच में जब हरियाली बस जाती है, तब देश का भविष्य सुरक्षित हो जाता है।
हमें उन्हें सिर्फ पढ़ाई नहीं, बल्कि धरती से प्यार करना भी सिखाना होगा।”
उनके शब्दों ने जैसे पूरे वातावरण में एक भावनात्मक गूंज पैदा कर दी।
🌼 रितु पांडेय ने बच्चों का हौसला बढ़ाते हुए कहा —
“इन मासूम बच्चों की कल्पनाशक्ति हमारे समाज के लिए प्रेरणा है।
जब ये बच्चे पेड़ लगाना सीखेंगे, तो आने वाली पीढ़ियाँ सांस लेना नहीं भूलेंगी।”
उनकी बात सुनकर दर्शकों की आंखें नम हो गईं, और कई शिक्षक भावुक होकर बोले —
“यही है असली शिक्षा — जो किताबों से नहीं, दिल से निकलती है।”
🌏 संदेश स्पष्ट था — “धरती हमारी ज़िम्मेदारी है”
हर बच्चे ने अपनी कलाकृति के जरिए यही कहा कि वन्य जीवों का संरक्षण,
सिर्फ सरकार या वन विभाग का काम नहीं, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है।
पेड़ काटने से पहले अगर हम एक पल ठहरकर सोच लें,
तो शायद आने वाली पीढ़ियों के लिए धरती और भी सुंदर बन सके।
📸 कैमरे में कैद हुआ हरियाली का जज़्बा
स्कूल परिसर में जब कैमरे क्लिक हुए, तो हर तस्वीर बोल उठी —
कहीं बच्चा अपनी पेंटिंग के साथ मुस्कुरा रहा था,
तो कहीं किसी निबंध पृष्ठ पर “जंगल बचाओ” की पुकार थी।
यह दृश्य सिर्फ कार्यक्रम नहीं, एक “भावना” था —
जो बता रहा था कि आज के बच्चे सच में धरती की आवाज़ सुनते हैं।
🌿 वन विभाग की पहल को मिला जनसमर्थन
वन दरोगा रामअशीष और वनरक्षक जसवंत सिंह ने कहा कि
“ऐसे आयोजनों से बच्चों में प्रकृति के प्रति प्रेम और जिम्मेदारी दोनों बढ़ते हैं।”
डिप्टी रेंजर आनंद दूबे ने अंत में पूरे विद्यालय परिवार को धन्यवाद देते हुए कहा —
“प्रकृति की रक्षा ही सबसे बड़ा धर्म है।
आज का यह आयोजन केवल एक शुरुआत है —
हमें हर गांव, हर स्कूल तक यह अभियान पहुँचाना है।”
🌺 भावनाओं से भरा समापन
कार्यक्रम के अंत में सभी बच्चों ने मिलकर एक स्वर में कहा —
“हम पेड़ लगाएंगे, जंगल बचाएंगे,
पशु-पक्षियों से प्यार करेंगे, धरती को हरा-भरा बनाएंगे।”
यह स्वर केवल नारे नहीं थे, बल्कि उस नए भारत की घोषणा थी,
जहाँ बच्चे सिर्फ किताबें नहीं, जीवन की हरियाली भी पढ़ते हैं।
📢 Khabari News की टिप्पणी
👉 “कमला चंद्र इंटरनेशनल स्कूल, उसरी ने जो पहल की है, वह केवल शिक्षा नहीं — संस्कार है।
आज जब दुनिया जलवायु संकट से जूझ रही है, तब ऐसे स्कूल और ऐसे बच्चे ही असली आशा की किरण हैं।”
संपादक-इन-चीफ K.C. Shrivastava (Advocate) का कहना है —
“जब बचपन हरियाली की भाषा बोलने लगे,
तो समझिए धरती मुस्कुराने लगी है।” 🌍💚
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