- द्वय राज्यसभा सांसदों की अध्यक्षता में भव्य रूप से मनाया गया ‘वीर बाल दिवस’
- शौर्य, त्याग और बाल अधिकारों के संदेश से गूंजा कलेक्ट्रेट सभागार
- उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले बालक-बालिकाएं व कर्मी हुए सम्मानित
खबरी न्यूज नेशनल नेटवर्क चंदौली।
जब किसी सभागार में इतिहास बोलने लगे, जब दीवारों से शौर्य की गूंज सुनाई दे और जब बालकों की आंखों में भविष्य की चमक दिखे — तब समझिए कि वह केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय चेतना का उत्सव होता है। कुछ ऐसा ही दृश्य शुक्रवार को चंदौली कलेक्ट्रेट सभागार में देखने को मिला, जहां महिला एवं बाल कल्याण विभाग द्वारा वीर बाल दिवस का भव्य, गरिमामयी और भावनात्मक आयोजन किया गया।
यह आयोजन केवल एक औपचारिक सरकारी कार्यक्रम नहीं था, बल्कि गुरु गोविंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों — बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह — की अमर शहादत को नमन करने का जीवंत प्रयास था। उन बाल वीरों की याद, जिन्होंने कम उम्र में ही धर्म, संस्कृति और राष्ट्र के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया।


प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का सजीव संदेश
कार्यक्रम के दौरान माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा दिए गए वीर बाल दिवस पर संबोधन का सजीव/ऑनलाइन प्रसारण कलेक्ट्रेट सभागार में किया गया। जैसे-जैसे संबोधन आगे बढ़ा, सभागार में उपस्थित हर व्यक्ति के चेहरे पर गर्व, आंखों में संवेदना और मन में राष्ट्रभक्ति का भाव स्पष्ट दिखाई देने लगा।
प्रधानमंत्री के संदेश में साहिबजादों के बलिदान को भारत की आत्मा बताया गया, वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाल संरक्षण, शिक्षा और संस्कार को राष्ट्र निर्माण की नींव बताया।
द्वय राज्यसभा सांसदों की गरिमामयी उपस्थिति
इस ऐतिहासिक आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में माननीय राज्यसभा सांसद श्रीमती दर्शना सिंह एवं श्रीमती साधना सिंह की गरिमामयी उपस्थिति ने कार्यक्रम को विशेष ऊंचाई प्रदान की। दोनों सांसदों ने संयुक्त रूप से कार्यक्रम का नेतृत्व किया और पूरे आयोजन में बाल अधिकार, शिक्षा, सुरक्षा एवं सामाजिक जिम्मेदारी के मुद्दों को प्रमुखता से रखा।
कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती, गुरु गोविंद सिंह जी तथा उनके वीर साहिबजादों के तैल चित्रों पर माल्यार्पण से हुई। यह क्षण केवल औपचारिक नहीं था, बल्कि उपस्थित जनसमूह के लिए आत्मचिंतन और प्रेरणा का पल था।

“बाल विवाह मुक्त भारत” की सामूहिक शपथ
कार्यक्रम का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रभावशाली क्षण तब आया, जब बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत सभागार में उपस्थित सभी जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों, समाजसेवियों और बच्चों ने बाल विवाह के खिलाफ सामूहिक शपथ ली।
यह शपथ केवल शब्दों तक सीमित नहीं रही, बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए एक स्पष्ट संदेश बनकर उभरी —
“अब कोई भी बच्चा मजबूरी में नहीं, मजबूती के साथ आगे बढ़ेगा।”
“हक की बात – जिलाधिकारी के साथ”
कार्यक्रम का सबसे जीवंत और संवादात्मक सत्र रहा — “हक की बात, जिलाधिकारी के साथ”।
इस मंच पर बाल विवाह की चैंपियन बालिकाओं ने सीधे जिलाधिकारी चंद्र मोहन गर्ग से संवाद किया।
बालिकाओं ने अपनी समस्याएं, सामाजिक दबाव, शिक्षा में आने वाली बाधाएं और उनसे बाहर निकलने के रास्तों पर खुलकर बातचीत की। जिलाधिकारी ने भी पूरी संवेदनशीलता और गंभीरता के साथ उनकी बात सुनी और प्रशासनिक सहयोग का आश्वासन दिया।
यह सत्र साबित करता है कि अब प्रशासन केवल आदेश देने वाला नहीं, सुनने वाला भी है।
वीरता की मिसाल: नहर में डूबते बच्चों को बचाने वाला चन्द्रिका
कार्यक्रम का सबसे भावुक और प्रेरक क्षण तब आया, जब ग्राम लेहराखास निवासी बालक चन्द्रिका को मंच पर बुलाया गया।
चन्द्रिका ने नहर में डूब रहे तीन बच्चों की जान बचाकर जो साहस दिखाया, वह किसी वीर सैनिक से कम नहीं था।
माननीय सांसदद्वय द्वारा उसे अंगवस्त्र, प्रमाण पत्र और मोमेंटो प्रदान कर सम्मानित किया गया। तालियों की गड़गड़ाहट और आंखों में गर्व का भाव — यह दृश्य लंबे समय तक याद रखा जाएगा।
शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन का सम्मान
कार्यक्रम में हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट परीक्षा 2024 के जनपद टॉपर्स को भी सम्मानित किया गया।
प्रत्येक टॉपर को ₹5000-₹5000 का चेक प्रदान किया गया, जिससे यह संदेश गया कि —
प्रतिभा को पहचान और प्रोत्साहन, दोनों मिलना चाहिए।



बाल विवाह को नकार कर शिक्षा को चुना — बेटियां बनीं प्रेरणा
समारोह में उन बालिकाओं को विशेष रूप से सम्मानित किया गया, जिन्होंने स्वयं का बाल विवाह रोककर शिक्षा को प्राथमिकता दी।
इनमें प्रमुख रूप से —
- चंचल बनवासी (बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की ब्रांड एंबेसडर)
- मनोरमा बनवासी
- चंचला बनवासी
- करिश्मा
सहित दर्जनों बालिकाओं को अंगवस्त्र, प्रमाण पत्र और मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया। ये बेटियां अब केवल अपने परिवार की नहीं, बल्कि पूरे समाज की बेटियां बन चुकी हैं।
कस्तूरबा विद्यालयों को खेल किट — शिक्षा के साथ स्वास्थ्य पर जोर
जनपद के समस्त कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों को खेल किट प्रदान की गई। यह पहल यह दर्शाती है कि सरकार अब शिक्षा के साथ-साथ शारीरिक और मानसिक विकास को भी समान महत्व दे रही है।
कर्मयोगियों का सम्मान — जो पर्दे के पीछे रहकर काम करते हैं
कार्यक्रम में केवल बच्चों ही नहीं, बल्कि समाज के उन कर्मयोगियों को भी सम्मानित किया गया, जो बाल संरक्षण की नींव मजबूत करते हैं —
- पुलिस विभाग
- शिक्षा विभाग
- आंगनबाड़ी
- आशा कार्यकर्ता
- बीसी सखी
- बाल कल्याण समिति सदस्य
- रेलवे चाइल्ड हेल्प डेस्क (पं. दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन) के कार्मिक सुजीत कुमार सिंह
- एचईडब्ल्यू की पुष्पा कुशवाहा
इन सभी को सम्मानित कर यह स्पष्ट संदेश दिया गया कि सिस्टम केवल फाइलों से नहीं, इंसानों से चलता है।
प्रशासन, विभाग और स्वयंसेवी संस्थाओं की सशक्त भागीदारी
इस आयोजन में जिलाधिकारी चंद्र मोहन गर्ग, मुख्य विकास अधिकारी आर. जगत साई, मुख्य चिकित्साधिकारी वाई.के. राय, परियोजना निदेशक बी.बी. सिंह, क्षेत्राधिकारी अरुण कुमार सिंह, श्रम प्रवर्तन अधिकारी चंद्र प्रकाश सहित
बेसिक, माध्यमिक शिक्षा, स्वास्थ्य, श्रम एवं पुलिस विभाग के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे।
साथ ही ग्राम्या संस्थान, मानव संसाधन एवं महिला विकास संस्थान जैसी स्वयंसेवी संस्थाओं की सहभागिता ने कार्यक्रम को सामाजिक मजबूती प्रदान की।

आयोजन की रीढ़ — जिला प्रोबेशन कार्यालय
इस पूरे आयोजन को सफल बनाने में जिला प्रोबेशन अधिकारी प्रभात कुमार, कनिष्ठ सहायक राजेश सोनी, गौरव कुमार सिंह सहित समस्त स्टाफ की भूमिका सराहनीय रही।
खबरी न्यूज़ विश्लेषण
यह आयोजन यह साबित करता है कि वीर बाल दिवस अब केवल इतिहास की स्मृति नहीं, बल्कि वर्तमान की जिम्मेदारी और भविष्य की तैयारी बन चुका है।
जब प्रशासन, जनप्रतिनिधि, समाज और बच्चे — सभी एक मंच पर हों, तब बदलाव केवल संभव नहीं, बल्कि सुनिश्चित होता है।
खबरी न्यूज़ का सवाल
क्या हम हर दिन अपने आसपास के चन्द्रिका, चंचल और करिश्मा को पहचान रहे हैं?
अगर हां — तो वीर बाल दिवस सफल है।
अगर नहीं — तो यह आयोजन हमें आईना दिखाने आया है।
खबरी न्यूज़ | सच के साथ, समाज के लिए


