



By – खबरी न्यूज़ नेशनल नेटवर्क ‚चकिया‚चन्दौली।
🌙 रात का वो नज़ारा… जब चकिया का आसमान सुरों और तालियों की गूंज से भर गया।
112 साल से चली आ रही परंपरा… भगवान श्रीकृष्ण की बरही और बाबा बनवारी दास व बाबा लतीफशाह मेला… और उसी की गोद में हर साल की तरह इस बार भी सजी एक सुरों की अनोखी महफिल – विराट कजरी महोत्सव!
📍 स्थान – उपजिलाधिकारी आवास परिसर, वटवृक्ष तले, चकिया।
📌 आयोजक – आदर्श नगर पंचायत चकिया।

🌟 मंच पर दिग्गजों की मौजूदगी
कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ दीप प्रज्वलन के साथ।
मंच पर विराजमान थे –
👉 मुख्य अतिथि – विधायक कैलाश आचार्य, जिलाध्यक्ष भाजपा काशीनाथ सिंह।
👉 विशिष्ट अतिथि – राज्यसभा सांसद साधना सिंह, सांसद छोटेलाल खरवार, पावर ग्रिड भारत सरकार के स्वतंत्र डायरेक्टर शिव तपस्या पासवान।
👉 साथ ही मौजूद रहे – पूर्व जिलाध्यक्ष अभिमन्यु सिंह, जिला महामंत्री उमाशंकर सिंह, बृक्ष बंधु डॉ. परशुराम सिंह, शिक्षाविद और पत्रकार बंधु।


🎤 प्रतियोगिता की शर्तें और रोमांच
लेकिन इस बार महोत्सव की ख़ास बात सिर्फ़ गाने नहीं थे…
बल्कि प्रतियोगिता का ट्विस्ट जिसने पूरे माहौल को और भी रोमांचक बना दिया।
🎯 हर कलाकार को इन्हीं विषयों में से अपनी रचना देनी थी –
- “मानत बात से नाही”
- “बदल दो फिर तस्वीर जवानो”
- “मान जा कहनवा सजनवा”
- “केशव करूण पुकार सुन”
- “चहुंदिशि पानी पानी कइलेश ना”
- “हिन्दी हिन्दुस्तान कहा बा”
⏳ हर गायक दल को दिया गया सिर्फ़ 10 मिनट का वक्त… जिसमें उन्हें 2 गीत गाने थे।
जरा सोचिए, 10 मिनट में वो जादू बुनना, जिससे पूरा पंडाल झूम उठे – यही थी असली चुनौती!
💃 रंजना राय का जादू – जब पूरी भीड़ थिरक उठी
सबसे पहले मंच पर आईं वाराणसी आकाशवाणी की प्रसिद्ध लोकगायिका रंजना राय।
उनकी सरस्वती वंदना और स्वागत गीत ने पूरे वातावरण को भक्तिमय कर दिया।
जैसे ही उन्होंने पारंपरिक कजरी छेड़ी… तो तालियों और हूटिंग की गूंज से पूरा मैदान थर्रा उठा।
लोगों के चेहरों पर चमक थी, पैरों में ठुमक थी और दिल में गूंज रहे थे बोल –
“केशव करूण पुकार सुन…”

😲 सरप्राइज़ मोमेंट – जब सांसद ने गाया कजरी!
महफिल का सबसे मजेदार और रोमांचक पल वो रहा, जब खुद सांसद छोटेलाल खरवार मंच पर आए और कजरी गाने लगे।
दर्शक तो मानो अवाक रह गए – “वाह! ये तो बड़ा सरप्राइज़ है।”
माहौल एकदम पारिवारिक हो गया, लोग झूम उठे और यह पल सोशल मीडिया पर वायरल होने लायक बन गया।
⚖ निर्णायक मंडल – जिनके इशारे पर टिका नतीजा
निर्णायक की जिम्मेदारी थी बड़ी… क्योंकि हर कलाकार अपने सुरों का समंदर बहा रहा था।
मंडल में थे –
- स्वतंत्र कुमार श्रीवास्तव एड०ʺनवल‘‘
- डा. मनोज कुमार ‘मधुर’
- बवाल जी
अब ज़रा सोचिए… इतने बेहतरीन कलाकारों में से विजेता कौन होगा?
यही सस्पेंस पूरे महोत्सव को और रोमांचक बना गया।
🌃 देर रात तक गूंजते रहे लोकगीत
महफिल आगे बढ़ती रही… एक के बाद एक कलाकार मंच पर आते गए, सुर बिखेरते गए और श्रोता झूमते रहे।
देर रात तक गीत-संगीत का सिलसिला चलता रहा।
लोग घर जाना ही भूल गए – मानो समय थम गया हो।
❤️ परंपरा, संस्कृति और भावना का संगम
यह सिर्फ़ एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि चकिया की उस धरोहर का प्रतीक था, जो पीढ़ी दर पीढ़ी संजोई जा रही है।
112 साल की इस परंपरा ने यह साबित कर दिया कि लोकगीत सिर्फ़ गाने नहीं, बल्कि समाज की आत्मा हैं।
❓ अब सबसे बड़ा सवाल – कौन होगा विनर?
समाचार लिखे जाने तक प्रतियोगिता का परिणाम घोषित नहीं हुआ था।
लोगों में उत्सुकता है –
👉 कौन बनेगा विजेता (Winner)?
👉 कौन होगा उपविजेता (Runner-up)?
👉 और किसके सुरों की गूंज 112 साल की इस परंपरा में दर्ज हो जाएगी?

📲 सोशल मीडिया पर वायरल
इस आयोजन की तस्वीरें और वीडियो पहले ही Facebook, Instagram और WhatsApp ग्रुप्स में वायरल हो चुकी हैं।
लोग कमेंट कर रहे हैं –
💬 “चकिया का कजरी महोत्सव सच में लाजवाब है।”
💬 “रंजना राय ने तो दिल जीत लिया।”
💬 “सांसद का कजरी गाना – वाह! ये तो इतिहास बन गया।”
⚡ निष्कर्ष:
ये महोत्सव सिर्फ़ गीतों की रात नहीं थी…
ये संस्कृति, परंपरा, भावना और आधुनिकता का संगम था।
वो भी उस धरती पर… जहाँ 112 वर्षों से वटवृक्ष तले हर साल इसी तरह महफिल सजती आई है।
अब सबकी नज़रें टिकी हैं निर्णायक मंडल पर…
👉 देखते हैं कौन बनेगा इस बार का सुरों का बादशाह और कौन ले जाएगा रनर-अप का ताज!
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