
चालक फरार, परिजनों में कोहराम
✍️ संपादन – के.सी. श्रीवास्तव (एडवोकेट), संपादक-इन-चीफ, खबरी न्यूज

🚨 सड़क पर खून से रंगा सच
मिर्जापुर ज़िले का वाराणसी-मिर्जापुर मार्ग शनिवार की सुबह एक भयावह हादसे का गवाह बना।
सिकिया गांव के सामने एक अनियंत्रित ट्रेलर ने मां-बेटे को रौंद डाला। कुछ ही सेकंड में ज़िंदगी मौत में बदल गई।
हवा में चीखों का शोर, ज़मीन पर बिखरा ख़ून, और रास्ते पर पसरा मातम—यह मंजर जिसने भी देखा उसकी रूह कांप गई।
🕯️ मां-बेटे का अंतिम सफर
चकिया (चंदौली) के ग्राम नेगुरा निवासी रुची सिंह (39 वर्ष) अपने छोटे बेटे कुलदीप सिंह (18 वर्ष) के साथ अदलहाट थाना क्षेत्र के घरवासपुर जा रही थीं।
जैसे ही वे सिकियां मोड़ पर खड़े हुए, सामने से बेकाबू रफ्तार में आ रहा एक ट्रेलर उन्हें चीरता हुआ निकल गया।
👉 मौके पर ही मां-बेटे ने दम तोड़ दिया।


🏃 चालक की कायरता – वाहन छोड़कर भागा
हादसे के बाद ट्रेलर चालक ज़रा भी नहीं रुका।
जान बचाने के डर से वह कुछ दूर जाकर एक पेट्रोल पंप के सामने ट्रेलर छोड़कर फरार हो गया।
पुलिस ने ट्रेलर को कब्जे में ले लिया है लेकिन चालक अब भी लापता है।
चौकी प्रभारी नारायनपुर अजय मिश्रा ने बताया –
“मृतका के भाई आशीष सिंह की तहरीर पर केस दर्ज कर लिया गया है। शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। चालक की तलाश जारी है।”
👨👩👦 टूट गया परिवार
रुची सिंह के दो बेटे थे –
- बड़ा बेटा आदित्य सिंह बाहर रहकर काम करता है।
- छोटा बेटा कुलदीप, जो कक्षा 12 में पढ़ता था, मां के साथ ही रह रहा था।
पति विजय सिंह, मुंबई में नौकरी करते हैं।
हादसे की खबर मिलते ही वे सब कुछ छोड़कर मुंबई से घर के लिए रवाना हो गए।
आज न केवल विजय सिंह, बल्कि पूरा गांव सदमे में है।
किसी की आंखों में आंसू थम नहीं रहे।



😢 मायका-ससुराल में कोहराम
जैसे ही यह खबर फैली, मायके और ससुराल दोनों तरफ मातम पसर गया।
पुलिस चौकी नारायनपुर पर परिजनों की भीड़ उमड़ आई।
हर कोई स्तब्ध था – “कैसे एक ही पल में मां और बेटे की जिंदगी खत्म हो गई।”
🛑 सड़क सुरक्षा पर बड़ा सवाल
यह हादसा केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि प्रशासन और ट्रैफिक व्यवस्था पर बड़ा सवाल है।
- आखिर क्यों अब भी ओवरस्पीड ट्रक-ट्रेलर खुलेआम सड़कों पर दौड़ रहे हैं?
- क्यों चालक हादसे के बाद इतनी आसानी से फरार हो जाते हैं?
- क्यों हर बड़े हादसे के बाद भी “जांच जारी है” से आगे कुछ नहीं होता?
💔 गवाही बन गए गवाह
हादसे के वक्त मौजूद चश्मदीदों का कहना था –
“ट्रेलर इतनी रफ्तार में था कि कुछ समझने का मौका ही नहीं मिला। आवाज़ सुनते ही सब भागे, लेकिन मां-बेटा ज़मीन पर पड़े थे। किसी का शरीर हिला तक नहीं।”
📰 Khabari News की अपील
हमारी टीम मानती है कि –
👉 यह सिर्फ़ एक सड़क दुर्घटना नहीं है,
👉 यह प्रशासनिक लापरवाही का सबूत है,
👉 यह सड़क सुरक्षा कानूनों की असफलता है।
“No Helmet – No Fuel” जैसी सख्ती जब आम जनता पर लागू होती है,
तो क्या भारी वाहनों पर इसी तरह का नियंत्रण नहीं होना चाहिए?”
⚡ सोशल मीडिया पर गुस्से की लहर
जैसे ही खबर फैली, सोशल मीडिया पर लोगों ने #JusticeForKuldeep और #RoadSafetyUP टैग से पोस्ट करना शुरू कर दिया।
लोगों की मांग है कि –
- दोषी चालक को तत्काल गिरफ्तार किया जाए।
- परिवार को मुआवज़ा और नौकरी मिले।
- ट्रेलरों की बेलगाम रफ्तार पर रोक लगे।
🌹 मां-बेटे की याद में…
गांव के लोग अब भी रुची और कुलदीप को याद कर रो रहे हैं।
👉 कुलदीप का सपना था – बारहवीं के बाद “आर्मी जॉइन करने का।”
👉 मां रुची चाहती थीं कि बेटा “घर का सहारा बने।”
लेकिन अब दोनों की तस्वीरें ही बाकी रह गईं।
✍️ संपादक की टिप्पणी (K.C. Shrivastava)
“यह घटना केवल सड़क हादसा नहीं, यह समाज की आंखें खोलने वाली त्रासदी है।
जब तक कानून कड़ाई से लागू नहीं होंगे,
जब तक चालक जिम्मेदारी नहीं समझेंगे,
तब तक ऐसी मातम की खबरें आती रहेंगी।”
Khabari News जनता से अपील करता है –
👉 सड़क सुरक्षा नियमों को गंभीरता से लें।
👉 प्रशासन से कड़े कदम की मांग करें।
👉 इस परिवार को न्याय दिलाने में साथ दें।
📢 निष्कर्ष
मिर्जापुर के सिकिया मोड़ पर मां-बेटे की मौत ने यह साबित कर दिया कि “सड़क पर मौत का खतरा हर पल मंडरा रहा है।”
आज यह त्रासदी रुची और कुलदीप के परिवार की है,
कल शायद किसी और की बारी हो।


