



🚨 खबरी न्यूज विशेष रिपोर्ट | कालाबाजारी पर करारा प्रहार 🚨
(Chief Editor: K.C. Shrivastava, Advocate)
📍 चंदौली | 18 जून, 2025 —
बुधवार की सुबह चंदौली जिले में जब प्रशासन की विशेष टीम औद्योगिक क्षेत्रों की ओर बढ़ी, तो किसी को अंदाजा तक नहीं था कि आज “यूरिया घोटाले” की कालिख को उजागर करने का दिन है। मुख्यमंत्री और कृषि विभाग के स्पष्ट निर्देशों पर प्रमुख सचिव (कृषि) के आदेश से चला एक ऐसा छापेमारी अभियान, जिसने पूरे जिले के कुक्कुट फीड, साबुन-तेल, प्लाईवुड और पेंट उद्योगों को हिलाकर रख दिया।
🔍 5 औद्योगिक इकाइयों पर एक साथ कार्रवाई: पर्दे के पीछे क्या चल रहा था?
जिलाधिकारी चन्द्र मोहन गर्ग के निर्देश पर गठित संयुक्त टीम में जिला कृषि अधिकारी, उप संभागीय कृषि प्रसार अधिकारी, और उपायुक्त उद्योग शामिल थे।
18 जून की अलसुबह इस टीम ने 5 औद्योगिक इकाइयों और उनके गोदामों में एक के बाद एक छापेमारी की।
🧪 एक विशेष नमूना — “टेक्निकल ग्रेड यूरिया” — को परीक्षण हेतु सील किया गया है।
⚠️ क्या है ये अनुदानित यूरिया घोटाला?
किसान की थाली का निवाला… उद्योग में क्यों?
सरकार किसानों को सस्ती दर पर यूरिया मुहैया कराती है ताकि खेत लहलहाएं — लेकिन जब यही अनुदानित यूरिया चोरी-छिपे उद्योगों में रसायन बनाने, प्लाई बोर्ड चमकाने, या साबुन की महक बढ़ाने में लगे, तो यह सिर्फ कानून का उल्लंघन नहीं बल्कि किसान के पेट पर लात है।
💣 लेकिन चौंकाने वाली बात क्या है?
छापेमारी के बाद की गई जांच में किसी भी फर्म द्वारा अनुदानित यूरिया का उपयोग नहीं पाया गया।
लेकिन सवाल ये उठता है —
“यदि कोई गड़बड़ी नहीं थी तो जांच में नमूना क्यों लिया गया?”
“क्या उद्योगों को पहले से भनक लग चुकी थी?”
“क्या इसके पीछे कोई बड़ा सिंडिकेट काम कर रहा है जो जांच से पहले स्टॉक गायब कर देता है?”
📣 डीएम का साफ संदेश: “अब कोई नहीं बचेगा”
जिलाधिकारी चन्द्र मोहन गर्ग का निर्देश है कि जिन भी उत्पादों में यूरिया का उपयोग किया जाता है, वहां अनुदानित यूरिया का उपयोग कदापि स्वीकार नहीं किया जाएगा।
📢 उन्होंने सभी उद्योग संचालकों को चेताया है:
“यदि भविष्य में निरीक्षण या जांच में पाया गया कि किसी औद्योगिक इकाई ने अनुदानित यूरिया का उपयोग किया है, तो उन पर उर्वरक नियंत्रण आदेश, 1985 की सुसंगत धाराओं के तहत कठोर कार्रवाई की जाएगी।”
🧯 अभियान रुकेगा नहीं: अब हर फर्म की होगी निगरानी
🔹 औद्योगिक इकाइयों की गोपनीय निगरानी
🔹 यूरिया बिक्री केंद्रों की छानबीन
🔹 ट्रांसपोर्ट एजेंसियों की लॉगबुक की जांच
🔹 खेतों से शहरों तक की सप्लाई चेन की बारीकी से समीक्षा
यह साफ हो चुका है कि चंदौली प्रशासन ने इस पूरे मामले को “टॉप प्रायोरिटी” पर रखा है।
🔎 पर्दे के पीछे: कौन है इस खेल का मास्टरमाइंड?
👉 क्या कुछ वितरक गोदामों से ‘काली डीलिंग’ के जरिए यूरिया को निकालकर औद्योगिक फैक्ट्रियों तक पहुंचाते हैं?
👉 क्या इस खेल में कुछ बड़े नाम शामिल हैं जिनकी पकड़ अब तक मजबूत रही है?
खबरी न्यूज की इनवेस्टीगेटिव टीम ने पाया है कि बीते 6 महीनों में कुछ औद्योगिक क्षेत्रों में उर्वरक डीलरों के साथ हुई डीलिंग्स पर संदेह जताया गया है। अब प्रशासन इन्हें जांच के घेरे में ला रहा है।
🗣️ खबरी न्यूज की सीधी अपील:
“ये सिर्फ यूरिया की चोरी नहीं, किसानों के हक की डकैती है!”
📢 हम मांग करते हैं:
✅ सभी रसायन-आधारित उद्योगों की मासिक जांच हो
✅ यूरिया खरीद-बिक्री की हर ट्रांजैक्शन को डिजिटल किया जाए
✅ दोषी पाए जाने पर FIR दर्ज कर फर्म सील की जाए
✅ किसान संगठनों को जांच टीमों में प्रतिनिधित्व मिले
📊 क्या कहते हैं आंकड़े?
📦 चंदौली जनपद में वर्ष 2024 में यूरिया की औसत मांग: 2.6 लाख बोरी / महीना
🏭 50+ औद्योगिक इकाइयां हैं जहां नकली रसायन या चमक के लिए यूरिया की मांग रहती है
📈 2023 में हुए दो प्रमुख छापों में 1500 बोरी यूरिया अवैध रूप से जब्त की गई थी
🌾 किसानों की आवाज़ — “अब प्रशासन दिखा रहा है साहस”
✔️ रामाश्रय यादव (धान किसान, नौगढ़) कहते हैं —
“हमें बहुत राहत है कि प्रशासन अब आंखें खोल रहा है। उम्मीद है कि अब असली यूरिया हमारे खेतों तक पहुंचेगा।”
✔️ सुनीता देवी (सब्जी उत्पादक, सकलडीहा) कहती हैं —
“जब भी खाद लेने जाते थे, दुकानदार बोलता था ‘स्टॉक खत्म है’, अब समझ आ रहा है क्यों।”
🧭 खबरी न्यूज की नज़र और नजरिया:
यह छापेमारी एक सख्त कदम है, लेकिन यह शुरुआत है। जब तक पूरे सिस्टम में पारदर्शिता नहीं लाई जाती — यूरिया जैसी सब्सिडी वाली चीज़ें कालाबाजारी के दलदल में फंसी रहेंगी।
👁️🗨️ अब ज़रूरत है ज़िम्मेदार पत्रकारिता और चौकस प्रशासन की साझेदारी की — ताकि न किसान ठगे जाएं, न कानून की धज्जियां उड़ें।
✍️ एडिटर-इन-चीफ के.सी. श्रीवास्तव (एडवोकेट) का विशेष संदेश:
“यह केवल खाद नहीं, किसानों की उम्मीद और आत्मनिर्भर भारत का स्तंभ है। यदि अनुदानित यूरिया पर भी खेल हुआ, तो ये राष्ट्रघात के बराबर है। खबरी न्यूज इसके खिलाफ आवाज़ बुलंद करता रहेगा।”
📌 खबरी न्यूज | चंदौली की ज़मीन से, किसानों की आवाज़ तक
📞 संपर्क: kcsrivastava1969@gmail.com© Khabari News Wave Portal | All rights reserved


