

📍 रिपोर्ट: खास ख़बर, खबरी न्यूज़ चकिया से
🔥 “न डॉक्टर, न दवा, न इलाज – बस दर्द, आँसू और सवाल!”
गरीबों की जान से हो रहा खिलवाड़, प्रशासन मौन क्यों है?
नौगढ़, चंदौली – जब किसी परिवार के चिराग को गंभीर चोट लग जाए, जब सड़क हादसे में किसी का लहूलुहान शरीर स्ट्रेचर पर तड़प रहा हो, तब सबसे पहले लोगों की उम्मीदें जुड़ती हैं – सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से। लेकिन नौगढ़ के सरकारी अस्पताल में ये उम्मीदें रोज कुचली जा रही हैं।
बीते कुछ महीनों से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नौगढ़ में ऐसा मंजर आम हो गया है, जहां इमरजेंसी में डॉक्टर और फार्मासिस्ट गायब रहते हैं। नतीजतन, घायल और गंभीर मरीजों को झोलाछाप डॉक्टरों के पास ले जाने की मजबूरी होती है। बाद में हालत बिगड़ने पर वाराणसी, चकिया या सोनभद्र रेफर किया जाता है।
और यह सब हो रहा है उस क्षेत्र में जहां अधिकांश लोग गरीब हैं, जो 100 रुपये की दवा भी सोच-समझकर लेते हैं। ऐसे में एक रिफरल का खर्च 10,000 से 50,000 रुपये तक चला जाता है – यानी बर्बादी की शुरुआत!
😢 “सरकारी अस्पताल की इमरजेंसी में अंधेरा है, मरीजों की चीखें हैं, पर कोई सुनवाई नहीं”
परिजनों की आँखों में आँसू, सरकार की आंखें बंद
एक सड़क हादसे में घायल युवक के पिता रामबचन यादव बताते हैं:
“रात 11 बजे बेटा खून से लथपथ लेकर पहुंचे। अस्पताल में कोई डॉक्टर नहीं मिला, फार्मासिस्ट तक नहीं था। मजबूरी में उसे अमवा रोड के एक झोलाछाप के पास ले गए, जहां हालत और बिगड़ गई। सुबह चकिया ले गए तो डॉक्टर ने कहा – ‘समय पर इलाज होता तो जान बच सकती थी।'”
ये कहानी अकेले रामबचन की नहीं है – ये नौगढ़ क्षेत्र के हर गांव की सच्चाई बन चुकी है।
🕵️♂️ खुलासा: “एक ही डॉक्टर, हफ्ते में एक दिन 24 घंटे की ड्यूटी, बाकी दिन गायब!”
OPD, इमरजेंसी, डिलीवरी – सबकुछ एक डॉक्टर के भरोसे
भाजपा मंडल अध्यक्ष भगवानदास अग्रहरि ने बताया कि
“अस्पताल में लगभग आधा दर्जन डॉक्टर नियुक्त हैं, पर रोज़ाना सिर्फ एक डॉक्टर OPD करता है और वही इमरजेंसी का भार भी उठाता है। हफ्ते में एक बार 24 घंटे की ड्यूटी दी जाती है और बाकी दिन डॉक्टर अपने घर चले जाते हैं। बाकी स्टाफ भी इसी बहाने गैरहाजिर रहते हैं।”
इस तरह का ड्यूटी शेड्यूल न केवल अव्यवस्था की निशानी है, बल्कि इंसानियत के खिलाफ अपराध है।
⚠️ चौंकाने वाला आरोप: “डॉक्टर अस्पताल के सरकारी आवास में नहीं रुकते, मिर्जापुर में निजी अस्पताल चलाते हैं!”
स्वास्थ्य अधीक्षक डॉ. अवधेश कुमार सिंह पटेल पर गंभीर आरोप
स्थानीय लोगों का आरोप है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अवधेश कुमार सिंह पटेल अस्पताल परिसर में बने आवास में कभी रात नहीं बिताते।
बल्कि अधिकतर समय वे मिर्जापुर स्थित अपने निजी अस्पताल के संचालन में व्यस्त रहते हैं।
“सप्ताह में एक-दो दिन आकर खानापूर्ति कर लेते हैं, बाकी दिन अस्पताल भगवान भरोसे रहता है।”
चौंकाने वाली बात ये है कि ये सब कुछ जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी की ‘सैद्धांतिक सहमति’ से हो रहा है! अगर ये आरोप सही हैं, तो पूरा स्वास्थ्य महकमा एक गिरोह की तरह काम कर रहा है।
🧾 अमदहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की हालत और भयावह
यहां फार्मासिस्ट चला रहे अस्पताल, डॉक्टर को नौगढ़ भेज दिया गया है!
PHC अमदहां के चिकित्साधिकारी डॉ. एजाजुद्दीन अंसारी को नौगढ़ भेज दिया गया है, जिससे अमदहां का स्वास्थ्य केंद्र सिर्फ एक आयुर्वेदिक फार्मासिस्ट के भरोसे चल रहा है।
क्या आयुर्वेदिक फार्मासिस्ट इमरजेंसी केस संभाल सकता है?
इस सवाल का जवाब शायद किसी अधिकारी को नहीं चाहिए, लेकिन जनता भुगत रही है।
📱 शिकायतें पहुँचीं सीएम जनसुनवाई पोर्टल तक, लेकिन कार्रवाई ‘शून्य’
क्या प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है?
नाराज ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई है। लेकिन अब तक न तो जांच शुरू हुई, न ही किसी अधिकारी पर कोई कार्रवाई हुई।
क्या मुख्यमंत्री तक जनता की चीखें नहीं पहुंच पा रहीं?
या फिर नौगढ़ का मामला ‘सिस्टम’ की नजर में इतना भी गंभीर नहीं?
📢 जनता की मांग – “तुरंत निलंबन हो, जांच हो, और नए चिकित्सकों की नियुक्ति की जाए”
वरना होगा उग्र आंदोलन!
स्थानीय संगठनों और ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर एक सप्ताह के भीतर अस्पताल की व्यवस्था नहीं सुधारी गई और दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो जोरदार आंदोलन होगा।
ग्राम प्रधान संघ, युवा मोर्चा, और व्यापार मंडल ने संयुक्त बैठक कर कहा:
“ये स्वास्थ्य का मुद्दा है, यहां राजनीति नहीं चलेगी। अब जनता सड़क पर उतरेगी।”
💔 जब दर्द को इलाज नहीं मिलता, तो इंसानियत हार जाती है!
नौगढ़ का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आज ‘मौत का इंतजारगाह’ बन चुका है। जहां डॉक्टर, फार्मासिस्ट और नर्सें अपनी मर्जी से आते-जाते हैं। और गरीब जनता अपने भाग्य के सहारे जीने और मरने को मजबूर है।
अब सवाल ये है कि:
- क्या यूपी सरकार इस मामले में तुरंत एक्शन लेगी?
- क्या स्वास्थ्य अधीक्षक पर जांच बैठाई जाएगी?
- क्या नौगढ़ और अमदहां में योग्य डॉक्टरों की तैनाती होगी?
🔚 “अब बहुत हो चुका – जनता अब चुप नहीं बैठेगी!”
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🖊️ रिपोर्ट: खबरी न्यूज़ चकिया स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम
रिपोर्ट के अंत में स्पष्ट रूप से यह लिखा जाए:
“यह रिपोर्ट प्राप्त साक्ष्यों, जनसूचनाओं एवं जनप्रतिनिधियों के बयानों पर आधारित है। यदि संबंधित पक्ष को कोई आपत्ति हो तो वह खबरारी न्यूज़ के संपादकीय विभाग से संपर्क कर स्पष्टीकरण दे सकते हैं।”
🖋️ एडिटर की टिप्पणी
— के.सी. श्रीवास्तव (एडवोकेट), संपादक-in-Chief, Khabari News
“नौगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की यह स्थिति किसी व्यक्तिगत लापरवाही का मामला नहीं है, यह व्यवस्था की सामूहिक विफलता है। जब सरकारी डॉक्टर अस्पताल छोड़ निजी क्लिनिक चलाने में व्यस्त हों, जब मरीज सरकारी सुविधा की जगह झोलाछाप डॉक्टर के भरोसे हों, और जब गरीब की जान इलाज के अभाव में चली जाए – तो यह मात्र खबर नहीं, एक गंभीर सामाजिक अपराध है।
इस रिपोर्ट के माध्यम से हम न केवल एक सच्चाई उजागर कर रहे हैं, बल्कि सरकार, प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से यह स्पष्ट सवाल पूछ रहे हैं – ‘क्या गरीब की जान की कोई कीमत नहीं?’
हम प्रशासन से मांग करते हैं कि इस रिपोर्ट में उल्लिखित आरोपों की तत्काल उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और दोषी डॉक्टरों व अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही सुनिश्चित की जाए।
खबरारी न्यूज़ ऐसे जनमुद्दों को उजागर करता रहेगा, चाहे कीमत कुछ भी हो। अगर आप भी ऐसी किसी लापरवाही या भ्रष्टाचार के शिकार हैं, तो हमसे संपर्क करें – हम आपकी आवाज़ बनेंगे।”
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