
दिशा सूचक बोर्डों से लेकर चेतावनी तक: राजदरी-देवदरी की गूंज अब दूर तक जाएगी!



🌿 Khabari News – विशेष सम्पादकीय प्रस्तुति
✍️ मुख्य संपादक: एडवोकेट के.सी. श्रीवास्तव
चकिया (चंदौली)। कभी आपने कल्पना की है कि हरियाली की चादर ओढ़े पहाड़ों के बीच से कल-कल करती जलधाराएं बह रही हों, पंछियों की मीठी बोली गूंज रही हो और वनों में बसी शांति आत्मा को छू रही हो? यदि नहीं, तो अब समय है पूर्वांचल के गहनों को जानने का – राजदरी और देवदरी।
यह केवल प्राकृतिक स्थल नहीं, बल्कि पूर्वांचल की आत्मा की जीवंत पहचान हैं। लेकिन यह भी कटु सत्य है कि जब देश के उत्तर में बसे जम्मू-कश्मीर जैसे असुरक्षित क्षेत्रों को लोग पर्यटक स्वर्ग मानते हैं, हम अपने ही आँगन की जन्नत को नजरअंदाज कर बैठते हैं।
अब समय है पुनः चिंतन का – आत्मनिरीक्षण का।
🧭 अब नहीं भटकेंगे पर्यटक: दिशा सूचक बोर्डों की पहल
राजदरी क्षेत्र में सैलानियों की भीड़ मानसून में भारी होती है। यह क्षेत्र प्राकृतिक, सांस्कृतिक और पारंपरिक रूप से समृद्ध है, लेकिन अब तक एक बड़ी कमी थी – दिशा और दूरी की स्पष्ट जानकारी का अभाव।
पर्यटक भटक जाते थे, ग्रामीणों से बार-बार रास्ता पूछना पड़ता था, और कई बार तो वह दूसरी दिशा में निकल जाते थे।
इस वर्ष, पर्यटन विभाग और चंदौली वन प्रभाग ने मिलकर इस समस्या का समाधान कर दिया है।
अब पूरे क्षेत्र में दूरी और दिशा सूचक बोर्ड लगाए गए हैं। इन बोर्डों पर स्पष्ट रूप से दूरी, अगला पर्यटन स्थल और दिशा का संकेत दिया गया है। इससे दूर-दराज से आने वाले सैलानियों को अब जंगल के भीतर भी किसी प्रकार की असुविधा नहीं होगी।
📢 वनाधिकारी दिलीप कुमार श्रीवास्तव का बयान
“हमने मानसून आने से पहले ही राजदरी, देवदरी सहित सभी प्रमुख स्थानों पर दिशा और स्वागत बोर्ड लगवा दिए हैं। यह पर्यटकों की सुविधा के लिए बड़ा कदम है। आगामी सीजन में और भी सुविधाएं जोड़ने की योजना है।”
🌊 राजदरी–देवदरी: जहाँ झरनों की गूंज में आत्मा बोल उठे
चकिया मुख्यालय से लगभग 18 किलोमीटर दूर स्थित राजदरी जलप्रपात, और उससे थोड़ी दूरी पर स्थित देवदरी, पूर्वांचल की प्राकृतिक सौंदर्यता के दो अमूल्य रत्न हैं।
यह क्षेत्र कैमूर पर्वत श्रृंखला के भीतर फैला है और चंद्रप्रभा वन्यजीव अभ्यारण्य के अंतर्गत आता है। यहाँ का वातावरण इतना शुद्ध, शांत और आध्यात्मिक है कि हर वर्ष हजारों पर्यटक मानसून में यहां आकर प्राकृतिक आनंद लेते हैं।
🌊 राजदरी–देवदरी: जहाँ हर झरना एक कविता है
राजदरी, चकिया से 18-20 किमी दूर स्थित, एक जलप्रपात नहीं, बल्कि भावना है – प्रकृति का शुद्धतम रूप।
पास ही स्थित देवदरी उस भावना की बहन है – शांत, पवित्र और आकर्षक।
यहां हर मानसून में हजारों पर्यटक आते हैं, लेकिन वे भ्रमित हो जाते थे — संकरे और घुमावदार रास्तों के कारण।अब दिशा सूचक बोर्डों ने इस परेशानी को खत्म कर दिया है।

📍 चकिया से राजदरी कैसे पहुँचें – एक आसान रोडमैप
स्थान | दूरी | रास्ता |
---|---|---|
वाराणसी | 80 किमी | वाराणसी → मुगलसराय → चंदौली → चकिया → राजदरी |
मुगलसराय | 65 किमी | NH-2 → चंदौली → चकिया → राजदरी |
चकिया | 18 किमी | चकिया कस्बा → सीधा जंगल मार्ग |
अब इन मार्गों पर प्रशासन द्वारा सड़क मरम्मत, साइन बोर्ड, टॉयलेट सुविधा और बैठने की व्यवस्था पर काम किया जा रहा है।
📜 देवदरी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
“देवदरी” को स्थानीय जनमानस में देवी का वरदान माना जाता है।
यहां गिरता झरना न केवल देखने में अद्भुत है, बल्कि इसे पवित्र जलधारा के रूप में पूजा भी जाता है। मानसून के समय यहां जल की धाराएं इतनी वेगवान होती हैं कि उसका शोर पूरे जंगल में गूंजता है।
🌳 वन्यजीवों का बसेरा
यह क्षेत्र जैव-विविधता से भरपूर है। यहाँ देखने को मिलते हैं:
- तेंदुआ
- नीलगाय
- सांभर
- काले हिरण
- जंगली सुअर
- रंग-बिरंगे पक्षी
वन विभाग के अनुसार, कैमूर रेंज में हाथी तक देखे जा चुके हैं।
💸 पर्यटन से सरकार को आय
2024-25 की अनुमानित सरकारी आय:
स्रोत | अनुमानित आय |
टिकट बिक्री | ₹40 लाख |
पार्किंग व स्टॉल्स | ₹25 लाख |
गाइड व लोकसेवा शुल्क | ₹50 लाख |
प्रचार व ब्रांडिंग | ₹35 लाख |
कुल अनुमानित | ₹1.5 करोड़+ |
यह आय तभी संभव है जब आधारभूत ढांचे का विकास हो – जिसे अब दिशा सूचक बोर्डों के माध्यम से शुरू कर दिया गया है।
🛑 Khabari News की विशेष चेतावनी – जब सब कुछ है तो क्यों नहीं जा रहे?
यह एक गंभीर प्रश्न है। जब हमारे पास:
- प्राकृतिक सौंदर्य है
- धार्मिक महत्व है
- सस्ती पहुँच है
- स्थानीय भोजन और संस्कृति है
- सुरक्षा है
तो हम कश्मीर जैसे असुरक्षित स्थानों में क्यों जा रहे हैं?
कश्मीर में:
- आए दिन आतंकी हमले होते हैं
- स्थानीय अस्थिरता है
- पर्यटकों के साथ भेदभाव होता है
💔 जब अपने आँगन में कश्मीर छुपा बैठा हो…
“हम कश्मीर की वादियों में जन्नत ढूंढ रहे हैं, जबकि चकिया के जंगलों में वो पहले से मौजूद है।”
राजदरी, देवदरी, चंद्रप्रभा, मटिहनी बाँध, लतीफशाह – ये नाम केवल स्थल नहीं, एक धरोहर हैं।
पर दुख की बात है – हम अपने बच्चों को हनीमून के लिए श्रीनगर भेजते हैं, लेकिन चकिया नहीं लाते।
क्यों न शुरू करें नया ट्रेंड:
- #HoneymoonInRajdari
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📸 Instagram-ready Point
लोकेशन | उपयोग |
बांस ब्रिज | सेल्फी पॉइंट |
रॉक व्यू | Instagram रील |
वॉच टॉवर | YouTube Shorts |
📣 Khabari News की मांग
सरकार को चाहिए कि:
- ऑनलाइन टिकटिंग की सुविधा दे
- स्थानीय युवाओं को गाइड बनाए
- टूरिस्ट ऐप्स में पूर्वांचल को प्रमोट करे
- सड़क, शौचालय, पार्किंग की संख्या बढ़ाए
🙏 सम्पादकीय निष्कर्ष:
यह सम्पादकीय केवल एक खबर नहीं, एक चेतावनी है – अपने ही आँगन की जन्नत को नजरअंदाज मत करो।
पूर्वांचल के राजदरी–देवदरी को पहचानो, बढ़ाओ और गर्व करो। यह हमारी विरासत है, और यही हमारी आने वाली पीढ़ियों की उम्मीद भी।


