क्या इतिहास अब न्याय मांगेगा? पूरा विश्लेषण पढ़िए खबरी के एक्सक्लूसिव संपादकीय में के.सी.श्रीवास्तव एड.के साथ।
“15 साल बाद पाकिस्तान-बांग्लादेश वार्ता! 1971 के ज़ख्म आज भी ताज़ा हैं—क्या माफ़ी से रिश्ते सुधर सकते हैं?”
बांग्लादेश ने उठाई 4.32 अरब डॉलर के मुआवजे, फंसे हुए पाकिस्तानियों की वापसी और सबसे बड़ी मांग—1971 के लिए Public Apology की। पाकिस्तान मौन, लेकिन इशाक डार का दौरा दे सकता है नई दिशा।
15 साल बाद बांग्लादेश-पाकिस्तान वार्ता: क्या माफी से इतिहास सुधर सकता है?
“History cannot be erased, but it can be acknowledged.” ये शब्द इस समय सबसे ज्यादा प्रासंगिक हैं जब बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच 15 साल के लंबे अंतराल के बाद विदेश सचिव स्तर की वार्ता हुई है। इस मुलाकात ने न केवल पुराने घावों को फिर से कुरेदा, बल्कि एक नई बहस को भी जन्म दिया है—क्या ऐतिहासिक अन्यायों की सार्वजनिक माफी से दो देशों के रिश्तों की नई शुरुआत संभव है?
बांग्लादेश ने उठाई 1971 के अत्याचारों पर माफी की मांग
बांग्लादेश ने इस बैठक में स्पष्ट शब्दों में पाकिस्तान से 1971 में हुए युद्ध के दौरान किए गए अत्याचारों के लिए official public apology की मांग की। बांग्लादेश के विदेश सचिव मोहम्मद जशीम उद्दीन ने साफ कहा कि रिश्तों की नींव मजबूत करनी है तो अतीत का सामना करना होगा। उन्होंने कहा, “Without resolving the past, we cannot build a future.”
1971 में जब बांग्लादेश (तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) ने स्वतंत्रता की घोषणा की, तो पाकिस्तान की सेना द्वारा की गई हिंसा और क्रूरता आज भी लोगों की स्मृतियों में ताजा है। लाखों निर्दोषों की हत्या, हजारों महिलाओं के साथ बलात्कार और मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन, इस युद्ध की भयावहता को दर्शाते हैं।
Silver Bells
4.32 अरब डॉलर का दावा और ‘फंसे हुए पाकिस्तानी’
बांग्लादेश ने पाकिस्तान पर 4.32 अरब डॉलर के आर्थिक दावे को भी दोहराया। यह पैसा वह है जो युद्ध के समय से अब तक बकाया है। इसके अलावा, बांग्लादेश ने उन ‘फंसे हुए पाकिस्तानियों’ (Stranded Pakistanis) का मुद्दा भी उठाया जो 1971 के युद्ध के बाद बांग्लादेश में रह गए और वापस पाकिस्तान नहीं जा सके।
This is not just a political issue, it’s a humanitarian concern,” जशीम उद्दीन ने कहा।
इनके अलावा 1970 में आए भीषण चक्रवात के दौरान मिले विदेशी फंड्स के उपयोग का मुद्दा भी सामने रखा गया, जिसमें यह दावा किया गया कि वो मदद पूर्वी पाकिस्तान के लिए थी लेकिन उसका उचित उपयोग नहीं हुआ।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया: मौन में राज़ या रणनीति?
पाकिस्तान की ओर से विदेश सचिव अमना बलूच इस बैठक में शामिल थीं। हालांकि बैठक के बाद पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कोई औपचारिक बयान जारी नहीं किया। पाकिस्तान ने इन मुद्दों पर “continued engagement” की बात तो की है, लेकिन माफी जैसे मुद्दे पर अभी भी चुप्पी बनी हुई है।
विश्लेषक मानते हैं कि पाकिस्तान की चुप्पी कूटनीतिक रणनीति का हिस्सा हो सकती है, जिससे वह अपने ऐतिहासिक रुख से पीछे हटे बिना संबंध सुधारने की कोशिश कर रहा है।
इशाक डार का दौरा: बर्फ पिघलेगी या और जमेगी?
पाकिस्तान के डिप्टी पीएम और विदेश मंत्री इशाक डार का बांग्लादेश दौरा इस महीने के अंत में तय है। 2012 के बाद यह पहला मौका होगा जब कोई पाकिस्तानी विदेश मंत्री ढाका की यात्रा करेगा।
“His visit could be a game-changer or a diplomatic disaster,” depending on how he addresses the core issues raised by Bangladesh.
बांग्लादेश इस दौरे को बेहद गंभीरता से देख रहा है और उसकी उम्मीद है कि पाकिस्तान इस बार केवल ‘सहयोग’ और ‘व्यापार’ की बात नहीं करेगा, बल्कि moral responsibility को भी समझेगा।
क्या माफी से रिश्ते सुधर सकते हैं?
यह एक बड़ा सवाल है—क्या 1971 के लिए पाकिस्तान की माफी से दोनों देशों के रिश्ते सुधर सकते हैं? ऐतिहासिक रूप से देखें तो कई देशों ने अतीत के अपराधों के लिए सार्वजनिक माफियाँ मांगी हैं। जर्मनी ने होलोकॉस्ट के लिए, अमेरिका ने जापान पर परमाणु बम गिराने और गुलामी के लिए, ऑस्ट्रेलिया ने वहां के आदिवासियों से माफी मांगी। इन माफियों ने न सिर्फ संबंधों में गर्मजोशी लाई बल्कि moral healing की प्रक्रिया भी शुरू की।
बांग्लादेश भी यही चाहता है। उसका मानना है कि केवल आर्थिक और व्यापारिक समझौतों से नहीं, बल्कि ऐतिहासिक न्याय से ही एक स्थायी संबंध स्थापित किया जा सकता है।
व्यापार और सहयोग की भी चर्चा
हालांकि बातचीत में तल्ख मुद्दे उठाए गए, लेकिन दोनों देशों ने यह भी स्पष्ट किया कि वे व्यापार, कनेक्टिविटी और क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। SAARC और BIMSTEC जैसे क्षेत्रीय मंचों पर साथ काम करने की इच्छा दोनों पक्षों ने जताई।
बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच व्यापारिक संबंध अब भी सीमित हैं, लेकिन इसमें व्यापक संभावनाएं हैं। वस्त्र उद्योग, टेक्सटाइल, फार्मा और आईटी सेक्टर में सहयोग से दोनों देश आर्थिक रूप से लाभान्वित हो सकते हैं।
भारत की नजर: रणनीतिक संतुलन या नया तनाव?
भारत इस पूरी कूटनीतिक गतिविधि पर गहरी नजर रखे हुए है। बांग्लादेश भारत का रणनीतिक सहयोगी है और पाकिस्तान के साथ उसका कोई भी नया समीकरण भारत के लिए रणनीतिक चिंता का विषय बन सकता है।
“India would like to see Bangladesh assert historical accountability,” लेकिन साथ ही भारत नहीं चाहता कि क्षेत्र में कोई नया तनाव उत्पन्न हो।
पुरानी दरारों पर नई नींव कब?
15 साल बाद हुई ये विदेश सचिव स्तरीय बैठक केवल एक कूटनीतिक औपचारिकता नहीं थी, बल्कि यह एक संकेत है कि both nations are willing to talk, but not yet ready to heal.
जब तक पाकिस्तान 1971 के जनसंहार पर स्पष्ट और सार्वजनिक माफी नहीं मांगता, तब तक बांग्लादेश के लिए रिश्तों की नई शुरुआत करना कठिन होगा। और यह केवल बांग्लादेश की ही नहीं, पूरे दक्षिण एशिया की स्थिरता का प्रश्न है।
“Apology is not a weakness, it is strength. It acknowledges pain, and opens the door for healing.”
क्या पाकिस्तान इस बात को समझेगा? क्या इशाक डार का दौरा इतिहास बदल पाएगा? और क्या बांग्लादेश अतीत की छाया से निकलकर नए भविष्य की ओर बढ़ेगा?
ये सवाल अभी भी हवा में हैं, लेकिन उत्तर शायद बहुत दूर नहीं।