
सम्पादक की कलम से सम्पादकीय लेख
“Waqf (Amendment) Bill 2024: A Step Towards Transparency or Government Overreach?”
- वक्फ 2024: सुधार या नियंत्रण?
- विवादों में घिरा वक्फ संशोधन विधेयक
प्रस्तावना
भारत जैसे बहु-धार्मिक और सांस्कृतिक देश में वक्फ संपत्तियाँ मुस्लिम समुदाय के लिए धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। Waqf (Amendment) Bill 2024 को इस उद्देश्य से लाया गया कि इन संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके। हालांकि, यह विधेयक जिस उद्देश्य से लाया गया, उसी पर विभिन्न समुदायों और राजनीतिक दलों ने सवाल उठाए हैं।
The Waqf (Amendment) Bill, 2024 aims to bring transparency and accountability in managing Waqf properties, crucial for the Muslim community in India. However, the bill has sparked debates and criticism across political and social circles.
वक्फ संपत्तियों की पृष्ठभूमि
भारत में वक्फ संपत्तियाँ ऐतिहासिक रूप से धार्मिक और परोपकारी कार्यों के लिए दान की गई थीं। वर्तमान में लगभग 6 लाख से अधिक वक्फ संपत्तियाँ भारत में हैं, जो अस्पताल, मस्जिद, मदरसे, और सामाजिक कल्याण संस्थाओं के रूप में कार्य करती हैं। इन संपत्तियों का प्रबंधन राज्य वक्फ बोर्ड द्वारा किया जाता है, जो वक्फ अधिनियम, 1995 के तहत गठित होते हैं।
Waqf properties in India are historical charitable endowments used for religious and social welfare purposes, with over 600,000 such assets managed under the Waqf Act, 1995 by state Waqf Boards.

1. स्वायत्तता पर सवाल
विधेयक में वक्फ बोर्डों की स्वायत्तता को लेकर चिंताएं उठ रही हैं। पहले वक्फ बोर्डों को अपनी संपत्तियों के प्रबंधन में स्वतंत्रता थी, लेकिन इस विधेयक में राज्य सरकारों को अधिक अधिकार दिए गए हैं, जिससे इन बोर्डों की स्वायत्तता खतरे में पड़ सकती है। कानूनी विशेषज्ञ और कुछ धार्मिक संगठनों का कहना है कि इससे धार्मिक स्वतंत्रता को खतरा हो सकता है, क्योंकि यह सरकार के दखल को बढ़ाएगा।
2. अल्पसंख्यक अधिकारों का उल्लंघन
कुछ मुस्लिम संगठनों और धार्मिक नेताओं का यह तर्क है कि इस संशोधन से अल्पसंख्यकों के संविधानिक अधिकार प्रभावित हो सकते हैं। उनका कहना है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सांप्रदायिक असंतुलन पैदा कर सकता है और धार्मिक संस्थाओं की स्वायत्तता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। इसे अल्पसंख्यकों के अधिकारों का उल्लंघन माना जा रहा है।
3. केंद्र का अत्यधिक नियंत्रण
विधेयक के अनुसार, केंद्रीय सरकार के पास वक्फ संपत्तियों के डिजिटलीकरण और सर्वेक्षण की जिम्मेदारी होगी। इसका विरोध इस दृष्टिकोण से हो सकता है कि सरकार इस प्रक्रिया का उपयोग नियंत्रण बढ़ाने के लिए कर सकती है, जिससे वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग हो सकता है और धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा को चुनौती मिल सकती है।
4. धार्मिक संस्थाओं पर सरकारी दखल
वक्फ संपत्तियों से संबंधित कई विवाद स्थानीय स्तर पर होते हैं, लेकिन इस विधेयक में प्रशासनिक निर्णय को राज्य सरकारों के हाथों में सौंपा गया है, जिससे इन विवादों के समाधान की प्रक्रिया को लेकर सवाल उठ रहे हैं। क्या यह सरकारी दखल धार्मिक संस्थाओं की स्वतंत्रता में बाधा डाल सकता है?
5. विवादित संपत्तियों की कानूनी स्थिति
भारत में वक्फ संपत्तियों की एक बड़ी संख्या विवादित है, और विधेयक का उद्देश्य इन्हें स्वीकृत करना है। हालांकि, इसका तरीका कानूनी प्रश्न पैदा कर सकता है—क्या वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जा करने वाले व्यक्तियों या संस्थाओं के अधिकारों को खत्म करना उचित होगा?
6. राजनीतिक दखल और सांप्रदायिक असहमति
विधेयक को लेकर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी सामने आई हैं। विपक्षी दलों का आरोप है कि यह विधेयक सांप्रदायिक भावना को भड़का सकता है और वोट बैंक की राजनीति के तहत लाया गया है। उन्हें डर है कि इससे अल्पसंख्यक समुदायों में असुरक्षा की भावना बढ़ सकती है। यह भी देखा जा सकता है कि यह विधेयक राजनीतिक फायदे के लिए उपयोग किया जा सकता है।
7. संपत्ति के दुरुपयोग पर नियंत्रण
हालांकि विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि अवैध कब्जों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी, लेकिन सवाल यह है कि यह कार्रवाई कितनी प्रभावी होगी और क्या यह सभी वक्फ संपत्तियों पर लागू होगी, या केवल कुछ चुनिंदा मामलों में ही इसका असर होगा?

विधेयक का उद्देश्य
Waqf (Amendment) Bill 2024 का मुख्य उद्देश्य वक्फ बोर्डों की शक्तियों पर नियंत्रण लाना, प्रबंधन में सुधार करना और आम जनता को संपत्ति संबंधी जानकारी उपलब्ध कराना है। यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण, सत्यापन, और पुनःमूल्यांकन की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की दिशा में एक कदम है।
The bill seeks to regulate the unchecked powers of Waqf Boards, improve management, and enhance public access to property-related information through transparency in registration and verification.
प्रमुख प्रावधान
- सदस्यता में विविधता:
विधेयक के अनुसार, Waqf बोर्डों में मुस्लिम महिलाओं, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, और यहां तक कि गैर-मुस्लिम सदस्यों का प्रतिनिधित्व अनिवार्य किया गया है। - डिजिटल रजिस्ट्री:
सभी Waqf संपत्तियों की एक केंद्रीकृत डिजिटल रजिस्ट्री तैयार की जाएगी, जिसमें सार्वजनिक रूप से जानकारी उपलब्ध रहेगी। - निगरानी तंत्र:
केंद्र और राज्य सरकारों को निगरानी हेतु विशेष अधिकार दिए गए हैं, जिससे वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोका जा सके। - अदालती हस्तक्षेप:
वक्फ विवादों के समाधान के लिए विशेष न्यायाधिकरणों की स्थापना की जाएगी।
Key provisions include mandatory representation of women and minorities in Waqf Boards, creation of a centralized digital registry, increased government oversight, and establishment of dedicated tribunals for dispute resolution.
विधेयक पर प्रतिक्रियाएँ
सकारात्मक प्रतिक्रियाएँ:
कुछ मुस्लिम बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस Waqf विधेयक का समर्थन किया है। उनका मानना है कि इससे वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और बेहतर उपयोग सुनिश्चित होगा। साथ ही महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहन मिलेगा।
Some intellectuals and activists support the bill, seeing it as a move to protect Waqf assets and empower women through increased participation in governance.
नकारात्मक प्रतिक्रियाएँ:
अनेक मुस्लिम संगठन और विपक्षी राजनीतिक दल इस विधेयक को मुस्लिम समुदाय की स्वायत्तता पर हमला मानते हैं। उनका कहना है कि सरकार इसमें गैर-मुस्लिमों को शामिल कर धार्मिक मामलों में अनावश्यक हस्तक्षेप कर रही है।
English Synthesis:
Critics argue that the bill intrudes on the community’s religious autonomy, especially by allowing non-Muslim representation and increasing state interference.
विवाद के बिंदु
- गैर-मुस्लिम प्रतिनिधित्व:
यह प्रावधान संवेदनशील है क्योंकि Waqf एक इस्लामी संस्थान है, और गैर-मुस्लिमों की भूमिका पर आपत्ति जताई जा रही है। - सरकारी हस्तक्षेप:
केंद्र सरकार को वक्फ बोर्डों को भंग करने, संपत्तियों की जांच करने और निर्णयों को पलटने का अधिकार देना समुदाय को असहज कर रहा है। - धार्मिक स्वायत्तता पर सवाल:
वक्फ एक धार्मिक संस्था है, और इसके प्रशासन में सरकारी भूमिका की बढ़ोतरी को संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ बताया जा रहा है।
The bill raises concerns regarding non-Muslim involvement in Islamic institutions, expanded governmental control, and potential threats to religious autonomy.
विधेयक के प्रभाव
सकारात्मक प्रभाव:
- पारदर्शिता में वृद्धि:
डिजिटलीकरण से संपत्तियों की निगरानी आसान होगी। - महिलाओं का सशक्तिकरण:
Waqf से मुस्लिम महिलाओं को प्रतिनिधित्व मिलने से सामुदायिक नेतृत्व में भागीदारी बढ़ेगी। - भ्रष्टाचार में कमी:
सरकारी निगरानी से अवैध कब्जे और कदाचार पर रोक लग सकेगी।
The bill promises better transparency, women’s empowerment, and reduced corruption through digitization and official oversight.
संभावित नकारात्मक प्रभाव:
- सामाजिक तनाव:
धार्मिक समुदायों के बीच अविश्वास पैदा हो सकता है। - राजनीतिक ध्रुवीकरण:
विधेयक को चुनावी मुद्दा बनाकर राजनीतिक लाभ उठाने की आशंका है। - संवैधानिक चुनौती:
विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है क्योंकि यह धार्मिक स्वतंत्रता से जुड़ा है।
However, it could lead to social unrest, political polarization, and legal challenges regarding constitutional religious freedoms.
सुझाव और समाधान
- परामर्श की प्रक्रिया:
Waqf विधेयक को लागू करने से पहले व्यापक परामर्श होना चाहिए, खासकर मुस्लिम समुदाय के नेताओं और धार्मिक संस्थाओं से। - गैर-मुस्लिम प्रतिनिधित्व सीमित करें:
वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों की भूमिका केवल तकनीकी या प्रशासनिक होनी चाहिए। - न्यायिक निगरानी:
विधेयक के अंतर्गत उठाए गए कदमों पर न्यायिक निगरानी आवश्यक है, जिससे दुरुपयोग की संभावना कम हो।
Recommendations include broader community consultation, limiting non-Muslim roles to technical areas, and judicial oversight to prevent misuse.
“Waqf (Amendment) Bill 2024: A New Chapter in Religious Property Management?”
“Waqf (Amendment) Bill 2024: Ensuring Governance or Eroding Religious Autonomy?
“Waqf संशोधन 2024: विरासत की हिफ़ाज़त या हस्तक्षेप?”
भूमिका:
भारत में वक्फ सम्पत्तियों का प्रबंधन एक लंबे समय से संवेदनशील और विवादास्पद विषय रहा है। 2024 में प्रस्तावित वक्फ (संशोधन) विधेयक ने एक बार फिर इस मुद्दे को सार्वजनिक और राजनीतिक विमर्श के केंद्र में ला दिया है।
कानूनी पृष्ठभूमि:
वर्तमान वक्फ अधिनियम, 1995 के अंतर्गत भारत में लाखों एकड़ वक्फ सम्पत्तियाँ आती हैं। यह अधिनियम वक्फ बोर्डों को धार्मिक, शैक्षणिक और परोपकारी कार्यों के लिए सम्पत्तियों का प्रबंधन करने का अधिकार देता है। संशोधन विधेयक 2024 में सरकार ने कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन प्रस्तावित किए हैं—जैसे वक्फ बोर्ड की शक्तियों में पुनर्संरचना, संपत्ति के दस्तावेज़ीकरण की प्रक्रिया को अनिवार्य बनाना, और विवाद समाधान तंत्र को तेज़ करना।

प्रस्तावित संशोधन और उनके प्रभाव:
- Waqf संपत्तियों के सर्वेक्षण और रिकॉर्डिंग को अनिवार्य बनाना
- संपत्ति के दावों पर न्यायिक प्रक्रिया की बजाय प्रशासकीय निर्णयों को वरीयता देना
- अवैध कब्जे और दुरुपयोग को रोकने के लिए सख्त प्रावधान
इन बदलावों को लेकर विशेषज्ञों के बीच मतभेद हैं। कुछ इसे पारदर्शिता और कुशल प्रशासन की दिशा में कदम मानते हैं, वहीं आलोचकों का कहना है कि इससे वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता प्रभावित हो सकती है।
Waqf पर सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं:
- समर्थन: कई नीति-निर्माताओं और सरकारी पक्ष का कहना है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों की बेहतर निगरानी और उपयोग सुनिश्चित करेगा।
- विरोध: कई मुस्लिम संगठनों और बुद्धिजीवियों ने इसे अल्पसंख्यक अधिकारों में हस्तक्षेप और संवैधानिक मूल्यों के विरुद्ध बताया है।
Waqf (संशोधन) विधेयक, 2024 केवल एक कानूनी बदलाव नहीं है — यह भारत में धार्मिक संस्थाओं, सरकारी नीतियों और अल्पसंख्यक अधिकारों के बीच संतुलन का एक परीक्षण भी है। ज़रूरत इस बात की है कि इस विधेयक पर व्यापक विमर्श हो, जिससे पारदर्शिता, जवाबदेही और सामाजिक न्याय—तीनों सुनिश्चित किए जा सकें।
कानूनी पक्ष: संशोधन की धाराएँ और संवैधानिक सवाल
वक्फ अधिनियम की मौजूदा संरचना:
भारत में Waqf संपत्तियों का प्रबंधन वक्फ अधिनियम, 1995 के तहत होता है, जो 1954 के मूल अधिनियम का उन्नत संस्करण है। यह कानून राज्यों में वक्फ बोर्डों को धार्मिक और परोपकारी मुस्लिम संपत्तियों का अभिरक्षण, विकास और संरक्षण सुनिश्चित करने का अधिकार देता है। इन बोर्डों को स्वायत्त संस्थाओं के रूप में परिकल्पित किया गया था।
2024 का संशोधन प्रस्ताव:
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 में सरकार ने कुछ प्रमुख कानूनी बदलाव प्रस्तावित किए हैं:
- संपत्ति सर्वेक्षण की प्रक्रिया अनिवार्य और केंद्रीयकृत करना:
सभी वक्फ संपत्तियों का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार करना, जिससे संपत्ति के दावे और अधिकार पारदर्शी हो सकें। - प्रशासनिक शक्तियों का विस्तार:
राज्य सरकारों को यह अधिकार दिया गया है कि वे वक्फ संपत्तियों से संबंधित विवादों में प्रशासकीय स्तर पर निर्णय ले सकें, जिससे न्यायिक प्रक्रिया की आवश्यकता सीमित हो सके। - दंडात्मक प्रावधानों को सख्त करना:
अवैध कब्जा, संपत्ति का दुरुपयोग, या वक्फ आय का अनुचित प्रयोग करने पर सख्त सज़ा का प्रावधान।

संवैधानिक और विधिक चिंताएं:
- आलोचकों का कहना है कि प्रस्तावित संशोधन वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता को सीमित करते हैं और कार्यपालिका के हस्तक्षेप को बढ़ावा देते हैं।
- यह भी आशंका जताई जा रही है कि संपत्ति विवादों में न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर दिया जाएगा, जिससे संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 25-26 (धार्मिक स्वतंत्रता) पर प्रश्न उठ सकते हैं।
“New Waqf Legislation 2024: A Landmark Change or a Risk to Minority Rights?”
सामाजिक प्रतिक्रिया: समर्थन और असहमति की आवाजें
समर्थन का पक्ष:
- सरकार और उसके समर्थकों का तर्क है कि वक्फ संपत्तियाँ वर्षों से अव्यवस्थित और विवादों से घिरी रही हैं।
- वे इसे पारदर्शिता, जवाबदेही और आर्थिक उपयोगिता बढ़ाने वाला कदम मानते हैं।
- कुछ मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने भी सुझाव दिया है कि वक्फ आय का सही उपयोग तभी संभव है जब उसके प्रबंधन में दक्षता और निगरानी दोनों हों।
विरोध का स्वर:
- कई मुस्लिम संगठनों ने Waqf विधेयक को अल्पसंख्यक अधिकारों के “संवैधानिक अपहरण” की संज्ञा दी है।
- ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमीयत उलेमा-ए-हिंद जैसे संगठनों ने इसे धार्मिक संस्थानों की स्वायत्तता में दखल बताया है।
- विरोध प्रदर्शनों में यह मांग उठी है कि किसी भी तरह के संशोधन से पहले व्यापक परामर्श और संसद की स्थायी समिति की समीक्षा अनिवार्य हो।
राजनीतिक दृष्टिकोण:
- विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधते हुए इसे “एकतरफा फैसला” कहा है।
- वहीं, कुछ दलों ने यह भी आशंका जताई है कि यह विधेयक ज़मीन अधिग्रहण के लिए रास्ता तैयार कर सकता है, जिससे अल्पसंख्यक समुदायों में असुरक्षा की भावना पैदा हो रही है।
Waqf (संशोधन) विधेयक, 2024: एक नया दौर या पुराने विवादों की पुनरावृत्ति?

संपत्ति के परिप्रेक्ष्य में एक जरूरी बदलाव
भारत में वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन एक लंबे समय से चुनौतीपूर्ण रहा है। 2024 में पेश किए गए वक्फ (संशोधन) विधेयक ने वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के तरीके में एक बड़ा मोड़ देने की कोशिश की है। यह विधेयक वक्फ बोर्डों की स्वायत्तता को लेकर सवालों के घेरे में आया है, जबकि इसके उद्देश्य पारदर्शिता, जवाबदेही और संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन करना है। यह भी ध्यान देने योग्य है कि इस विधेयक के तहत वक्फ संपत्तियों का केंद्रीकरण और डिजिटलाइजेशन प्रमुख तत्व हैं।
आंकड़ों की बात करें तो, भारत में 6 लाख से अधिक वक्फ संपत्तियाँ हैं (Bureau of Waqf, 2023), जिनमें से कई का प्रबंधन सही तरीके से नहीं हो रहा था। यह विधेयक इन संपत्तियों के संरक्षण और बेहतर उपयोग की दिशा में एक महत्वाकांक्षी कदम है।
संशोधन का उद्देश्य: पारदर्शिता और कुशल प्रबंधन
विधेयक के अनुसार, अब प्रत्येक Waqf संपत्ति को केंद्रीय रूप से डिजिटल रिकॉर्ड में दर्ज किया जाएगा, जिससे सम्पत्ति की निगरानी और विवादों का समाधान पारदर्शी तरीके से किया जा सकेगा। इसमें सभी संपत्तियों का एक सर्वेक्षण करना अनिवार्य होगा, जिससे कब्जे, रखरखाव, और उपयोग पर निगरानी रखी जा सकेगी।
वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जे की रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में 50,000 से अधिक संपत्तियाँ अवैध कब्जे में पाई गई थीं (Economic Times, 2019), और अब इस विधेयक के माध्यम से इन संपत्तियों का सत्यापन सुनिश्चित किया जा सकेगा।
न्यायिक प्रणाली की भूमिका: क्या यह केंद्रित या विकेंद्रीकृत होगा?
विधेयक में यह भी प्रस्तावित किया गया है कि संपत्ति विवादों को हल करने के लिए एक प्रशासनिक तंत्र का निर्माण किया जाएगा, जो पहले न्यायिक तंत्र से अलग होगा। यह कदम एक ओर जहां समय की बचत कर सकता है, वहीं दूसरी ओर इसके विरोध में यह तर्क दिया जा रहा है कि इससे वक्फ बोर्डों की स्वायत्तता पर असर पड़ सकता है।
इस विधेयक के तहत, राज्य सरकारों को संपत्तियों के प्रबंधन और विवादों के समाधान में बढ़ी हुई भूमिका दी गई है। हालांकि, सवाल यह उठता है कि क्या यह बदलाव सांप्रदायिक तटस्थता और कानूनी अधिकारों को बनाए रख पाएगा या नहीं?
सामाजिक प्रतिक्रिया: समर्थन और विरोध के सुर
नए Waqf (संशोधन) विधेयक पर समाज के विभिन्न वर्गों से मिली-जुली प्रतिक्रिया आई है। सरकार के समर्थन में, कुछ मुस्लिम बुद्धिजीवियों और संगठनों ने इसे एक सकारात्मक कदम बताया है, क्योंकि इससे वक्फ संपत्तियों का बेहतर उपयोग और संरक्षण सुनिश्चित होगा। उनका कहना है कि पारदर्शिता की कमी और प्रबंधन में अव्यवस्था की वजह से बहुत सी वक्फ संपत्तियाँ बेकार हो गई थीं।
लेकिन, इसके विरोध में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और अन्य कई मुस्लिम संगठनों ने इस विधेयक को अल्पसंख्यक अधिकारों पर हमला बताया है। उनका कहना है कि वक्फ बोर्डों की स्वायत्तता को कमजोर करना संविधान और धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ है।
इसी परिप्रेक्ष्य में, समाजशास्त्री और धार्मिक विचारक इसे एक ऐसी प्रक्रिया मानते हैं जो सांप्रदायिक खाई को और गहरा कर सकती है, खासकर तब जब इसे अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों के संदर्भ में देखा जाता है (Indian Express, 2024).
आंकड़े और वास्तविकता: क्या विधेयक समाधान दे पाएगा?
- 2023 में भारतीय Waqf बोर्ड ने करीब 1 लाख 2 हजार वक्फ संपत्तियों का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार किया था (Bureau of Waqf, 2023), लेकिन ये प्रयास अब तक पूरी तरह से सफल नहीं हो पाए थे।
- देश भर में संपत्ति विवादों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, जिनमें 50% वक्फ संपत्तियों से संबंधित हैं (Economic Times, 2020)। इस संदर्भ में, वक्फ (संशोधन) विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के डिजिटलीकरण और सर्वेक्षण द्वारा ऐसे विवादों का समाधान करना है।
निष्कर्ष: चुनौतियां और संभावनाएं
Waqf (संशोधन) विधेयक, 2024 केवल कानूनी बदलाव नहीं है, बल्कि यह एक प्रयास है, जो पुराने विवादों के समाधान के लिए एक नए दृष्टिकोण को पेश करता है। हालांकि, इसके लागू होने के बाद उत्पन्न होने वाली चुनौतियाँ भी महत्वपूर्ण हैं, जैसे कि इसे लागू करते समय पारदर्शिता, जवाबदेही और सभी पक्षों की स्वीकृति सुनिश्चित करना।
इस विधेयक के माध्यम से वक्फ संपत्तियों का एक नया युग शुरु हो सकता है, बशर्ते कि सरकार और संबंधित निकाय इसके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए सही दिशा में कदम उठाएं।
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