
अब गाँवों की बेटियाँ बनेंगी स्वास्थ्य जागरूकता की मिशाल



“स्वास्थ्य सशक्तिकरण की नई लहर”
📍खबरी न्यूज शिकारगंज / चकिया / चन्दौली | विशेष रिपोर्ट
👩⚕️ रोज़ा संस्थान और CRY का ऐतिहासिक अभियान
“जहाँ डॉक्टर नहीं पहुंचते, वहाँ अब पहुँचेंगी ये महिलाएं – ज्ञान, सेवा और संवेदना के साथ।”
चकिया ब्लॉक के शिकारगंज क्षेत्र में एक ऐसी अलख जगी है, जिसने ना केवल ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाया है, बल्कि उन्हें एक नए सामाजिक नेतृत्व की भूमिका भी सौंप दी है। रोज़ा संस्थान, और चाइल्ड राइट्स एंड यू (CRY) के संयुक्त प्रयास से, चकिया ब्लॉक की 11 ग्राम पंचायतों के 26 गांवों की 26 प्रशिक्षित महिलाओं को एक बार फिर ‘कम्युनिटी हेल्थ मोबिलाइज़र (CHM)’ के रूप में सशक्त किया गया है।
🏡 गाँव की बेटी अब गाँव की डॉक्टर जैसी बनेगी
इन महिलाओं को अब अपने-अपने गांवों में एक स्वयंसेवी स्वास्थ्य कार्यकर्ता की भूमिका निभानी है। इनके कंधों पर अब कुपोषण, शिशु देखभाल, किशोरियों का पोषण, मातृत्व स्वास्थ्य, मौसमी रोग, स्वच्छ जल और खान-पान संबंधी सुधार जैसी बड़ी ज़िम्मेदारियाँ हैं।
👉 इनका काम सिर्फ सलाह देना नहीं है, ये “घरों में जाकर घर-घर स्वास्थ्य ज्ञान का दीपक जलाएंगी।”
📚 प्रशिक्षण का उद्देश्य: सिर्फ ज्ञान नहीं, नेतृत्व की भावना भरना
प्रशिक्षण कार्यक्रम नेवाजगंज, चकिया स्थित परियोजना कार्यालय में संपन्न हुआ।
इसका लक्ष्य सिर्फ स्वास्थ्य शिक्षा देना नहीं था, बल्कि महिलाओं को “नेतृत्व, आत्मनिर्भरता और सामुदायिक सहयोग” का जज़्बा भी देना था।
👨🏫 प्रशिक्षण में क्या-क्या सिखाया गया?
रोज़ा संस्थान के कार्यक्रम समन्वयक ऋषभ पांडेय ने इन बिंदुओं पर विस्तार से बात की:
- कुपोषण की पहचान और उपचार
- नवजात व शिशु देखभाल
- किशोरियों में एनीमिया और पोषण जागरूकता
- गर्भवती महिलाओं की देखरेख
- मौसमी बीमारियों की रोकथाम
- मातृ-शिशु टीकाकरण की जानकारी
संस्था की काउंसलर संध्या देवी ने बताया:
- आशा और आंगनवाड़ी सेवाओं का समन्वय कैसे करें
- शुद्ध पेयजल की महत्ता और बीमारियों से संबंध
- किचन गार्डन – घर में ही पोषण का समाधान
🙋♀️ प्रशिक्षण में भाग लेने वाली 26 महिलाएं बनीं उम्मीद की किरण
इस प्रशिक्षण में भाग लेने वाली 26 महिलाओं के नाम हैं –
कौशल्या, मीरा, शीला, गायत्री, सरिता, सरोज, निर्मला, राधिका, सोनी, सलेहा, अर्चना, आदि।
इनके चेहरे पर न आत्मविश्वास की चमक थी, नये सफर की उत्सुकता और गाँव के प्रति कर्तव्यबोध की गंभीरता।
🎖️ सम्मान और प्रेरणा का संगम
प्रशिक्षण के अंत में सभी महिलाओं को प्रशस्ति पत्र और मोमेंटो प्रदान किया गया। यह केवल एक औपचारिकता नहीं थी – यह “उनके संघर्षों को सलाम करने का तरीका था।”
जैसे-जैसे एक-एक महिला अपने नाम से पुकारी जाती रही, पूरा हॉल तालियों से गूंज उठता रहा।
🤝 संगठन के जमीनी योद्धा भी रहे सक्रिय
प्रशिक्षण कार्यक्रम को सफल बनाने में संस्था के कार्यकर्ता रविन्द्र कुमार, पूजा देवी, खैरुन्निषा व सावित्री ने अहम भूमिका निभाई।
“इनका योगदान पर्दे के पीछे रहकर भी पूरे मंच को रोशन करने जैसा है।”
💬 भावुक पल – जब एक महिला ने कहा…
“अब हम सिर्फ घर नहीं संभालेंगी, अब हम अपने गाँव की सेहत संभालेंगी।”
– गायत्री देवी, प्रशिक्षण प्राप्त CHM
🔎 Khabari Viewpoint: क्यों है यह पहल जरूरी?
- चकिया, शिकारगंज और आस-पास के गांवों में स्वास्थ्य सेवाएं सीमित हैं।
- महिलाओं तक जानकारी नहीं पहुंच पाती – खासकर किशोरियों और गर्भवती महिलाओं तक।
- ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी कुपोषण, टीकाकरण और स्वच्छता की समस्याएं जड़ जमाए बैठी हैं।
- कम्युनिटी हेल्थ मोबिलाइज़र मॉडल इन सभी समस्याओं का स्थायी, स्थानीय और व्यावहारिक समाधान है।
🌱 “गाँव की बेटी, गाँव की शक्ति” – यही है नया मंत्र!
रोज़ा संस्थान और CRY की यह पहल सिर्फ एक प्रशिक्षण कार्यक्रम नहीं, बल्कि ग्राम्य भारत में स्वास्थ्य क्रांति की शुरुआत है।
Khabari News का मानना है –
“जब महिला जागरूक होती है, तो पूरा परिवार स्वस्थ होता है। और जब 26 महिलाएं एक साथ उठती हैं, तो पूरा गाँव बदल सकता है।”
✍️ समाप्ति टिप्पणी – K.C. Shrivastava (Editor-in-Chief, Khabari News):
“हम salute करते हैं उन ग्रामीण महिलाओं को, जिन्होंने खुद को, अपने गाँव को और समाज को बदलने की ठानी है। CRY और ROZA संस्थान को बधाई, जिन्होंने ज़मीनी बदलाव के इस यज्ञ में अपनी आहुति दी। Khabari News ऐसे हर प्रयास को मंच देता रहेगा, जो समाज में सकारात्मक बदलाव लाता है।”


