
एक जिंदगी अस्पताल में संघर्षरत
✍️खबरी न्यूज Editor-in-Chief: K.C. Shrivastava (Advocate)
📰 हादसे का मंजर: चीखों-क्रंदन के बीच टूटी दो जिंदगियां
नौगढ़‚चंदौली। रविवार की सांझ का वक्त… सूरज ढल रहा था, गांवों की पगडंडियों पर रोज़मर्रा की चहल-पहल थी, लेकिन तभी नौगढ़–मद्धुपुर मार्ग पर बटौवा गांव के समीप एक दिल दहला देने वाला हादसा हुआ। दो बाइकों की आमने-सामने जोरदार भिड़ंत ने सबकुछ पलभर में खत्म कर दिया।
गांव के लोग सड़क किनारे दौड़े, चारों ओर अफरा-तफरी मच गई। मिट्टी और धूल के बीच घायल पड़े युवक तड़प रहे थे। किसी का खून बह रहा था, तो कोई सांसें थामे हुए मदद की आस में था। यह दृश्य जिसने भी देखा उसकी आंखों से आंसू निकल पड़े।



💔 पहली मौत: प्यारेलाल का सपना अधूरा रह गया
इस दर्दनाक हादसे में सबसे पहले बाघी गांव निवासी प्यारेलाल (30 वर्ष) की मौके पर ही मौत हो गई।
प्यारेलाल अपने पिता लालबरत के लिए जीवन से जूझ रहा था। पिता का हार्ट ऑपरेशन जीवित्पुत्रिका पर्व के बाद होना था और प्यारेलाल पैसों का इंतजाम करने के लिए प्रदीप कुमार के साथ बाइक से सोनभद्र के लोहरा गांव गया था।
रविवार को जैसे ही वह अपने घर लौट रहा था, तभी मौत ने उसे बीच रास्ते में रोक लिया। परिवार की उम्मीद, मां-पिता का सहारा, पत्नी का हमसफ़र और अजन्मे बच्चे का भविष्य – सब पलभर में खत्म हो गया।
घर में मातम पसरा है। मां पुन्नी देवी बेटे के शव से लिपटकर दहाड़े मार रही थीं –
“हे भगवान, तूने मेरा लाल क्यों छीना? मेरे बुढ़ापे का सहारा क्यों छीन लिया?”
पत्नी सुषमा देवी तो बिल्कुल बेसुध हो गई। रोते-बिलखते हुए वह बार-बार यही कह रही थी:
“मेरी दुनिया उजड़ गई… गर्भ में पल रहा बच्चा अपने बाप को कभी नहीं देख पाएगा…।”
यह शब्द सुनकर आसपास मौजूद हर किसी की आंखें नम हो गईं।
⚰️ दूसरी मौत: मुंशी भी न बच सका
इस भीषण टक्कर में दूसरी बाइक पर सवार मुंशी (24 वर्ष) पुत्र हीरालाल, निवासी सिकरवार गांव (थाना रायपुर, सोनभद्र) गंभीर रूप से घायल हो गया। स्थानीय लोगों की मदद से सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र नौगढ़ ले जाया गया। डॉक्टरों ने स्थिति नाजुक देखकर ट्रॉमा सेंटर वाराणसी रेफर कर दिया।
लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था… रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। एंबुलेंस चालक ने शव को मर्चरी हाउस चकिया में जमा कराया।
मुंशी के परिवार में कोहराम मचा हुआ है। माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल है। बहनें अपने भाई को अंतिम बार देखने के लिए तड़प रही हैं।
🏥 जंग लड़ रहा है प्रदीप कुमार
इस हादसे का तीसरा शिकार है बाघी गांव निवासी प्रदीप कुमार पुत्र चन्द्र देव, जो अभी भी जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा है। उसे ट्रॉमा सेंटर वाराणसी में भर्ती कराया गया है।
परिजन अस्पताल के बाहर टकटकी लगाए खड़े हैं – “भगवान, इसे बचा लो… दो मौतें झेल चुके गांव और सहन नहीं कर पाएगा।”

📸 हादसे के गवाह: चीखों से दहल उठा गांव
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया –
“दोनों बाइकों की रफ्तार इतनी तेज थी कि टक्कर के साथ ही पूरा मंजर बदल गया। आवाज सुनकर हम लोग दौड़े, किसी का सिर फटा था, किसी के शरीर से खून बह रहा था।”
गांव के युवाओं ने ही एंबुलेंस और पुलिस को सूचना दी और घायलों को अस्पताल पहुंचाया।
👮 पुलिस की कार्रवाई
सूचना मिलते ही प्रभारी निरीक्षक सुरेन्द्र कुमार यादव अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे।
उन्होंने शव को कब्जे में लेकर पंचनामा भरा और अग्रिम कार्रवाई शुरू की। पुलिस का कहना है –
“दोनों बाइक की टक्कर से यह हादसा हुआ है। मृतकों के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। घायल प्रदीप का इलाज वाराणसी में चल रहा है।”
🕯️ गांव में मातम: सन्नाटा और सिसकियां
बाघी और सिकरवार दोनों गांवों में मातम छा गया। जहां-जहां खबर पहुंची, वहां मातमी सन्नाटा फैल गया।
गांव के बुजुर्गों का कहना है:
“आज सड़क हादसे ने दो घरों को उजाड़ दिया। प्रशासन को चाहिए कि इस मार्ग पर तेज रफ्तार रोकने के लिए ठोस कदम उठाए।”
📢 सोशल मीडिया पर वायरल दर्द
जैसे ही खबर सोशल मीडिया पर फैली, लोगों ने श्रद्धांजलि संदेश लिखने शुरू कर दिए।
👉 किसी ने लिखा – “युवाओं की जान सड़क पर यूं नहीं जानी चाहिए।”
👉 तो किसी ने गुस्से में कहा – “प्रशासन कब जागेगा? रफ्तार पर लगाम कब लगेगी?”
👉 कई लोगों ने मृतकों के परिवार की आर्थिक मदद की अपील भी की।
Khabari News की इस रिपोर्ट को हजारों लोग शेयर कर रहे हैं। हर किसी के दिल में एक ही सवाल है –
“क्या हमारी सड़कें कब्रगाह बनती जा रही हैं?”


🚨 प्रशासन के लिए बड़ा सवाल
यह हादसा सिर्फ एक सड़क दुर्घटना नहीं, बल्कि प्रशासन और समाज दोनों के लिए एक चेतावनी है।
- आखिर क्यों सड़क पर स्पीड कंट्रोल का कोई इंतजाम नहीं?
- क्यों सड़क किनारे चेतावनी बोर्ड नहीं लगाए जाते?
- क्यों हेलमेट और ट्रैफिक नियमों का पालन कड़ाई से नहीं कराया जाता?
🕯️ श्रद्धांजलि अपील
Khabari News अपने पाठकों से अपील करता है कि मृतकों की आत्मा की शांति के लिए दो मिनट मौन रखें। साथ ही, परिवारों को सहारा देने के लिए आगे आएं।
“रफ्तार के इस खेल ने दो परिवारों से उनके लाल छीन लिए… अब वक्त है कि हम सब मिलकर सड़क सुरक्षा को लेकर गंभीर हों।”
✍️ निष्कर्ष
नौगढ़–मद्धुपुर मार्ग का यह दर्दनाक हादसा सिर्फ एक सड़क दुर्घटना की रिपोर्ट नहीं है। यह कहानी है एक बेटे के अधूरे सपनों की, एक पिता की टूटी उम्मीदों की, एक मां के आंसुओं की, और एक पत्नी के बिखरते जीवन की।
यह कहानी है उस गर्भस्थ शिशु की, जिसने जन्म से पहले ही अपने पिता को खो दिया।
आज सवाल सिर्फ इतना है –
“क्या हम इन हादसों को यूं ही स्वीकार करते रहेंगे, या फिर अब सच में बदलाव लाएंगे?”
👉 Khabari News – जहां सच होता है सबसे पहले, सबसे गहरा और सबसे असरदार!


