मनोज सिंह डब्लू का जनपद पुलिस पर फिर तीखा हमला, FIR से लेकर सिस्टम तक पर सवाल

डीडीयू नगर, चंदौली।
जनपद में अपराध की सच्चाई और पुलिस के दावों के बीच की खाई एक बार फिर अपराध खुलकर सामने आ गई है। समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू ने गुरुवार को जनपद पुलिस की कार्यप्रणाली पर ऐसा करारा प्रहार किया कि प्रशासनिक गलियारों में हलचल तेज हो गई। चोरी, लूट और छिनैती की लगातार बढ़ती घटनाओं को लेकर उन्होंने न केवल चिंता जताई, बल्कि सीधे-सीधे यह आरोप लगाया कि “अपराध कम दिखाने के लिए पुलिस एफआईआर दर्ज ही नहीं कर रही है।”
यह कोई पहली बार नहीं है। मनोज सिंह डब्लू इससे पहले भी सरकार और पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर लगातार सवाल उठाते रहे हैं। लेकिन इस बार मामला केवल बयानबाज़ी तक सीमित नहीं रहा—एक ताज़ा और भयावह घटना ने पुलिस के दावों की पोल खोल दी।

मध्यरात्रि की वारदात: स्टेशन से सर्विस लेन तक फैला डर
बुधवार की मध्यरात्रि।
चंदौली मझवार स्टेशन।
कोहरा, सन्नाटा और सुरक्षा के दावे।
बरहनी ब्लॉक के खुरहट गांव निवासी अर्जुन सिंह, जो मनोज सिंह डब्लू के रिश्तेदार हैं, ट्रेन से चंदौली मझवार स्टेशन पर उतरे। उन्होंने अपने बेटे को स्टेशन पर बुलाया, लेकिन घना कोहरा और रास्ते की दुश्वारियों के कारण बेटे ने ऑटो लेकर सैयदराजा आने की बात कही। अर्जुन सिंह स्टेशन परिसर से बाहर निकलकर सर्विस लेन पर ऑटो का इंतजार करने लगे।
यहीं से शुरू होती है वह कहानी, जो जनपद की कानून-व्यवस्था पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा करती है।
अचानक बाइक सवार दो अज्ञात युवक पहुंचे। बिना किसी चेतावनी के अर्जुन सिंह के साथ मारपीट की गई। उनका बैग, नकदी और मोबाइल फोन छीन लिया गया और आरोपी अंधेरे का फायदा उठाकर फरार हो गए।
कुछ ही देर में उनका बेटा मौके पर पहुंचा। पिता की हालत देखकर वह स्तब्ध रह गया। रात का सन्नाटा, घायल पिता और चारों ओर फैला डर—यह दृश्य किसी फिल्म का नहीं, बल्कि चंदौली की हकीकत है।

थाना पहुंचते ही टूटा भरोसा
घटना के तुरंत बाद दोनों पिता-पुत्र रात में ही चंदौली कोतवाली पहुंचे। उम्मीद थी कि पुलिस तत्काल कार्रवाई करेगी। लेकिन यहां जो हुआ, उसने पीड़ितों का भरोसा पूरी तरह तोड़ दिया।
- कोतवाल मौजूद नहीं थे
- शिकायत को तत्काल दर्ज नहीं किया गया
- पीड़ितों को आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला
मनोज सिंह डब्लू को जब सुबह घटना की जानकारी मिली, तो उन्होंने स्वयं चंदौली कोतवाल से बात की। इसके बाद अर्जुन सिंह को कोतवाली बुलाया गया, लेकिन वहां से उन्हें कस्बा पुलिस चौकी भेज दिया गया।
FIR नहीं, “गुमशुदगी” की तहरीर!
यहीं पर मामला और गंभीर हो जाता है।
कस्बा पुलिस चौकी में तैनात इंचार्ज देवेंद्र प्रताप सिंह ने कथित तौर पर पीड़ित की ओर से खुद ही मोबाइल गुम होने की तहरीर लिख दी।
मारपीट, लूट और छिनैती की बात—काग़ज़ों से गायब।
मनोज सिंह डब्लू का आरोप बेहद सीधा और गंभीर है—
“चोरी और लूट की घटनाओं को पुलिस जानबूझकर गुमशुदगी में बदल देती है, ताकि अपराध का ग्राफ कम दिखे।”
उनका कहना है कि यह कोई नई बात नहीं, बल्कि वर्षों से चली आ रही एक सोची-समझी रणनीति है।
“FIR नहीं तो जांच नहीं” – और बढ़ता अपराध
पूर्व विधायक ने साफ शब्दों में कहा—
- जब एफआईआर दर्ज नहीं होती
- तो जांच नहीं होती
- और जब जांच नहीं होती
- तो अपराधी बेखौफ हो जाते हैं
यही कारण है कि चंदौली ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में चोरी, लूट और छिनैती की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।
उन्होंने सवाल उठाया—
“आम जनता आखिर जाए तो जाए कहां? पुलिस थाने में सुनवाई नहीं, और अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं।”
जनता के मन में डर, पुलिस पर से उठता भरोसा
मनोज सिंह डब्लू ने कहा कि आज हालात ऐसे हैं कि
- स्टेशन सुरक्षित नहीं
- सड़कें सुरक्षित नहीं
- और थाने में भी न्याय की गारंटी नहीं
उन्होंने यह भी कहा कि आम नागरिक यह समझ ही नहीं पा रहा कि प्रदेश में आखिर चल क्या रहा है। सरकार अपराध नियंत्रण के बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन ज़मीनी हकीकत इन दावों से बिल्कुल उलट है।
एसपी चंदौली से सीधी मांग
पूर्व विधायक ने पुलिस अधीक्षक, चंदौली से मांग की है कि
- ऐसे मामलों का तत्काल संज्ञान लिया जाए
- संबंधित पुलिसकर्मियों की जवाबदेही तय हो
- और पीड़ितों को न्याय दिलाया जाए
उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि यदि इस तरह की घटनाओं पर पर्दा डालने की कोशिश जारी रही, तो इसका खामियाजा सरकार और प्रशासन—दोनों को भुगतना पड़ेगा।
राजनीति नहीं, जनता की सुरक्षा का सवाल
मनोज सिंह डब्लू ने यह भी स्पष्ट किया कि यह मुद्दा राजनीति का नहीं, बल्कि जनता की सुरक्षा का है।
उन्होंने कहा—
“मैं सरकार की बैंड इसलिए नहीं बजा रहा कि मैं विपक्ष में हूं, बल्कि इसलिए कि जनता डर के साए में जी रही है।”
उनका यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। लोग खुलकर अपनी नाराज़गी और अनुभव साझा कर रहे हैं।
खबरी न्यूज़ की टिप्पणी
यह मामला सिर्फ एक लूट की घटना नहीं है।
यह सवाल है—
- पुलिस की जवाबदेही का
- प्रशासनिक ईमानदारी का
- और आम नागरिक के भरोसे का
अगर अपराध को काग़ज़ों में दबा दिया जाएगा, तो सड़कों पर उसका साया और गहरा होगा।
और जब भरोसा टूटता है, तो केवल सरकार नहीं—पूरा सिस्टम कटघरे में खड़ा हो जाता है।
खबरी न्यूज़ पूछता है:
क्या अपराध कम हो रहे हैं, या सिर्फ दर्ज नहीं हो रहे?
क्या सुरक्षा सिर्फ आंकड़ों में है, या ज़मीन पर भी?
यह रिपोर्ट सिर्फ एक खबर नहीं—
यह चेतावनी है।


