जल जीवन मिशन बना “जल विहीन मिशन”, अफसर–ठेकेदार गठजोड़ पर उठे गंभीर सवाल
खबरी न्यूज नेशनल नेटवर्क सकलडीहा , चंदौली।
जिस योजना का नाम जल जीवन मिशन रखा गया, वही योजना आज हिंगुतरगढ़ गांव के लिए जल संकट का मिशन बन चुकी है। सरकार की मंशा थी—हर घर नल से शुद्ध जल, लेकिन हकीकत यह है कि करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा दिए गए और गांव आज भी पानी के लिए तड़प रहा है।
धानापुर विकास खंड के हिंगुतरगढ़ गांव की गलियों में जब आप कदम रखते हैं, तो सबसे पहले जो चीज़ दिखती है—वह है उखड़े खड़ंजे, अधूरी खुदाई, टूटी पाइपलाइन और लोगों के चेहरे पर गुस्सा।
यह गुस्सा सिर्फ पानी न मिलने का नहीं है, बल्कि उस व्यवस्था के खिलाफ है, जिसने जनता के हक का पानी भी निगल लिया।

410.62 लाख की योजना, ज़मीन पर शून्य परिणाम
वर्ष 2023 में आयब एक्सचेंज (इंडिया) लिमिटेड को 410.62 लाख रुपये की लागत से ग्राम समूह पुनर्गठन पेयजल योजना का ठेका मिला।
लक्ष्य स्पष्ट था—
- हिंगुतरगढ़ गांव की मुख्य बस्ती
- तीन मजरों
- कुल 8393 की आबादी
- 1197 परिवारों तक शुद्ध पेयजल
इसके लिए 35.80 किलोमीटर पाइपलाइन बिछाने का प्रस्ताव था।
लेकिन आज स्थिति यह है कि—
- चंद किलोमीटर पाइपलाइन डालकर काम ठप
- न पंप हाउस बना
- न टंकी का सही नवीनीकरण
- न एक भी घर तक नल से पानी पहुंचा
और सबसे बड़ा अपराध—
गांव की गलियों को उधेड़ कर ठेकेदार फरार।

खड़ंजा उजाड़, भरोसा टूटा
ग्रामीणों का कहना है कि पाइपलाइन डालने के नाम पर पूरे गांव की गलियों को खोद दिया गया।
खड़ंजे उखाड़ दिए गए, लेकिन—
- मरम्मत नहीं हुई
- रास्ते कीचड़ और गड्ढों में तब्दील
- बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं का निकलना मुश्किल
पानी तो मिला नहीं, ऊपर से चलना भी दूभर हो गया।
1980 से है व्यवस्था, फिर भी प्यासे क्यों?
बुजुर्ग ग्रामीण बताते हैं कि वर्ष 1980 में—
- जल निगम द्वारा
- दो अलग-अलग नलकूप
- और पानी की टंकियां स्थापित की गई थीं
समय के साथ पाइपलाइन जर्जर हो गई, पानी की आपूर्ति बाधित होने लगी।
इसी को देखते हुए सरकार ने जल जीवन मिशन के तहत नई व्यवस्था का आदेश दिया।
लेकिन यहां नई व्यवस्था के नाम पर सिर्फ कागजी खेल हुआ।
पुराना पंप हाउस, नया रंग—वाह रे सिस्टम!
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि—
- नया पंप हाउस बनाने की बजाय
- ठेकेदार ने पुराने भवन पर
- सिर्फ रंग-रोगन करा दिया
और उसे “नया निर्माण” बताकर सरकारी धन की बंदरबांट कर ली।
ग्रामीणों का सीधा आरोप है—
“यह सिर्फ लापरवाही नहीं, यह खुल्लम-खुल्ला भ्रष्टाचार है।”

जलनिगम केंद्र पर ताला, शिकायत जाए तो कहां?
हिंगुतरगढ़ जलनिगम केंद्र की हालत और भी शर्मनाक है।
- सरकारी कर्मचारी हटाए जा चुके हैं
- केंद्र पर हमेशा ताला लटका रहता है
- ग्रामीण शिकायत लेकर जाएं तो कोई सुनने वाला नहीं
कहने को एजेंसी द्वारा—
- कृष्णा (प्रसहटा निवासी)
- सरवर आलम (हिंगुतरगढ़ निवासी)
को ऑपरेटर रखा गया है, लेकिन—
- कई महीनों से मानदेय नहीं मिला
- संसाधन नहीं
- अधिकार नहीं
नतीजा—
व्यवस्था ठप, जवाबदेही गायब।
पानी नहीं, आक्रोश उबल रहा
गांव में हालात ऐसे हैं कि—
- महिलाएं दूर-दूर से पानी ढोने को मजबूर
- हैंडपंप सूखने की कगार पर
- निजी बोरिंग सबके बस की बात नहीं
लोग सवाल पूछ रहे हैं—
- जब पैसा खर्च हो गया, तो पानी कहां गया?
- पाइपलाइन का हिसाब कौन देगा?
- गुणवत्ता की जांच कब होगी?
ग्रामीणों की खुली मांग
हिंगुतरगढ़ के ग्रामीणों ने अब जिला प्रशासन से सीधी मांग की है—
- अब तक हुए कार्यों की उच्च स्तरीय गुणवत्ता जांच
- दोषी अधिकारियों और ठेकेदार पर कठोर कार्रवाई
- अधूरी योजना को तत्काल पूर्ण कराया जाए
- गांव की टूटी गलियों और खड़ंजों की मरम्मत
- ऑपरेटरों का बकाया मानदेय तत्काल भुगतान
जल जीवन मिशन या जल जीवन मज़ाक?
यह सवाल अब सिर्फ हिंगुतरगढ़ का नहीं रहा।
यह सवाल पूरे सिस्टम से है—
- क्या योजनाएं सिर्फ कागजों के लिए हैं?
- क्या ग्रामीणों का हक सिर्फ आंकड़ों तक सीमित है?
- क्या अफसर–ठेकेदार गठजोड़ यूं ही जनता को प्यासा रखेगा?
खबरी न्यूज़ का सवाल—जवाब कौन देगा?
खबरी न्यूज़ इस मुद्दे को सिर्फ खबर नहीं, जनहित की लड़ाई मानता है।
हम पूछते हैं—
- 410.62 लाख रुपये का हिसाब कौन देगा?
- बिना पानी आपूर्ति के भुगतान कैसे हुआ?
- गुणवत्ता प्रमाण पत्र किसने दिया?
जब तक इन सवालों के जवाब नहीं मिलते,
हिंगुतरगढ़ की प्यास और जनता का गुस्सा—दोनों बढ़ते रहेंगे।
**यह सिर्फ एक गांव की कहानी नहीं,
यह उस सिस्टम की तस्वीर है
जहां “जल” भी दलाली में बह जाता है।**
खबरी न्यूज़ –
सच बोलेगा, ज़ोर से बोलेगा, और तब तक बोलेगा
जब तक हिंगुतरगढ़ के हर घर में पानी नहीं पहुंचेगा।


