अब हार्ट अटैक से डर खत्म! चकिया अस्पताल में जिंदगी का इंजेक्शन, दो मरीज मौत के मुंह से लौटे”
खबरी न्यूज नेशनल नेटवर्क चकिया‚चन्दौली।
चकिया की सुबह उस दिन सिर्फ धुंध और ठंड नहीं लेकर आई थी, बल्कि एक ऐसी खबर लेकर आई थी जिसने पूरे तहसील क्षेत्र की सोच बदल दी। जिस हार्ट अटैक का नाम सुनते ही गांवों में मातम पसर जाता था, परिवारों की नींद उड़ जाती थी, और अस्पताल पहुंचने से पहले ही लोग उम्मीद छोड़ देते थे—आज उसी हार्ट अटैक पर सरकारी सिस्टम ने सीधा और निर्णायक प्रहार किया है।
अब जिला संयुक्त चिकित्सालय चकिया सिर्फ इलाज का केंद्र नहीं रहा, बल्कि मौत के खिलाफ आख़िरी नहीं, पहली लड़ाई का मोर्चा बन चुका है।
यह कोई कागजी दावा नहीं, न ही कोई भाषणबाज़ी। यह खबर है दो जिंदगियों के लौट आने की, यह खबर है सरकारी अस्पताल जिला संयुक्त चिकित्साय में 49,500 रुपये के इंजेक्शन के मुफ्त इस्तेमाल की, और यह खबर है उस भरोसे की, जो वर्षों बाद ग्रामीण जनता के दिल में फिर से धड़कने लगा है।


हार्ट अटैक: जो कल तक मौत था, आज चुनौती है
ग्रामीण भारत में हार्ट अटैक का मतलब सीधा-सादा होता है—
“अब कुछ नहीं हो सकता।”
लोग मान लेते थे कि—
- शहर ले जाने में देर हो जाएगी
- पैसे नहीं होंगे
- प्राइवेट अस्पताल लूट लेंगे
- और सरकारी अस्पताल सिर्फ रेफर करेगा
लेकिन चकिया में यह धारणा उसी दिन टूट गई, जिस दिन जिला संयुक्त चिकित्सालय में ट्रैनेक्सा प्लस (Tenecteplase Plus) इंजेक्शन उपलब्ध हुआ।
यह वही इंजेक्शन है—
- जो दिल की बंद नसों में जमे थक्के को घोल देता है
- जो हार्ट अटैक के बाद दिल को दोबारा सांस देता है
- और जो तीन घंटे के भीतर लग जाए, तो मौत को पीछे धकेल देता है

सरकार का साफ संदेश: अगर समय पर आया, तो बचेगा
सरकारी स्तर पर यह फैसला सिर्फ सुविधा बढ़ाने का नहीं था, बल्कि एक मानवीय हस्तक्षेप था। सरकार की मंशा साफ है—
“अब किसी को हार्ट अटैक से इसलिए नहीं मरना चाहिए कि वह गरीब है या गांव में रहता है।”
इसी सोच के तहत जिला संयुक्त चिकित्सालय चकिया को यह अत्याधुनिक जीवनरक्षक इंजेक्शन उपलब्ध कराया गया, जिसकी बाजार कीमत करीब 49,500 रुपये है, लेकिन सरकारी अस्पताल में यह पूरी तरह निःशुल्क लगाया जा रहा है।


CMS रामबाबू: भरोसे के साथ बोले शब्द
जब जिला संयुक्त चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. रामबाबू इस व्यवस्था पर बोलते हैं, तो शब्दों में प्रशासनिक जिम्मेदारी के साथ-साथ चिकित्सकीय आत्मविश्वास भी झलकता है।
डॉ. रामबाबू ने स्पष्ट शब्दों में कहा—
“अगर हार्ट अटैक का मरीज तीन घंटे के अंदर अस्पताल पहुंच जाता है, तो ट्रैनेक्सा प्लस इंजेक्शन देकर उसकी जान बचाई जा सकती है। यह इलाज प्रभावी है और परिणाम सामने हैं।”
यह बयान किसी फाइल का हिस्सा नहीं, बल्कि दो जिंदा उदाहरणों से निकला निष्कर्ष है।
मौत के मुंह से लौटी दो जिंदगियां
पहली जिंदगी: राम जी प्रसाद (बक्सर, बिहार)
राम जी प्रसाद, पिता दुर्गा प्रसाद—
निवासी सलेंजा, जिला बक्सर (बिहार)।
सीने में तेज दर्द, बेचैनी, पसीना और सांस लेने में तकलीफ। परिजन घबरा गए। दूर-दराज का इलाका, सीमित साधन—लेकिन समझदारी दिखाई गई। बिना देर किए मरीज को जिला संयुक्त चिकित्सालय चकिया लाया गया।
समय था—तीन घंटे के भीतर।
डॉक्टरों ने स्थिति को समझा, ट्रैनेक्सा प्लस इंजेक्शन लगाया—और दिल ने दोबारा धड़कना शुरू कर दिया।
आज राम जी प्रसाद जिंदा हैं।
आज उनका परिवार उजड़ने से बचा है।
दूसरी जिंदगी: ममता देवी (चंदौली)
ममता देवी, पत्नी अकबाल नारायण—
निवासी ग्राम चंडीपुर, बबुरी, जिला चंदौली।
एक साधारण ग्रामीण महिला। अचानक हार्ट अटैक। परिवार सदमे में। लेकिन गांव में अब जागरूकता है—लोगों को पता है कि चकिया अस्पताल में इलाज संभव है।
ममता देवी को समय रहते अस्पताल लाया गया।
इंजेक्शन लगा।
और मौत फिर हार गई।
आज ममता देवी अपने बच्चों के साथ हैं।
यह इलाज नहीं, पूरा घर बचने की कहानी है।

तीन घंटे की कीमत: जिंदगी
डॉक्टर इसे कहते हैं गोल्डन ऑवर, लेकिन आम आदमी की भाषा में यह जिंदगी की आख़िरी खिड़की है।
हार्ट अटैक के बाद—
- दिल की नसें बंद होने लगती हैं
- खून का प्रवाह रुक जाता है
- और हर मिनट नुकसान बढ़ता जाता है
ट्रैनेक्सा प्लस उसी थक्के को घोलता है, जो मौत की वजह बनता है।
यही कारण है कि—
देरी = खतरा
समय = जीवन
चकिया का सरकारी अस्पताल: अब आख़िरी नहीं, पहली पसंद
यह खबर इसलिए ऐतिहासिक है क्योंकि यह साबित करती है कि—
- सरकारी अस्पताल सिर्फ रेफर नहीं करते
- ग्रामीण क्षेत्र में भी अत्याधुनिक इलाज संभव है
- और सिस्टम अगर चाहे, तो जान बचाई जा सकती है
आज चकिया का जिला संयुक्त चिकित्सालय—
- गरीब के लिए वरदान है
- ग्रामीणों के लिए भरोसा है
- और पूरे क्षेत्र के लिए मिसाल है
खबरी न्यूज़ की अपील
अगर किसी को—
- सीने में असहनीय दर्द
- बाएं हाथ, कंधे या जबड़े में दर्द
- सांस लेने में परेशानी
- अचानक कमजोरी या पसीना
तो देरी न करें।
सीधे जिला संयुक्त चिकित्सालय चकिया पहुंचें।
तीन घंटे—और जिंदगी बच सकती है।
यह खबर नहीं, चेतावनी और उम्मीद दोनों है
यह रिपोर्ट सिर्फ सूचना नहीं देती, यह जागरूक करती है।
यह डर नहीं फैलाती, यह भरोसा देती है।
आज चकिया में दिल धड़क रहे हैं—
क्योंकि सिस्टम जाग रहा है।
✍️ Editor-in-Chief Version | खबरी न्यूज़
के. सी. श्रीवास्तव (एडवोकेट)
Editor-in-Chief, खबरी न्यूज़
“चकिया संयुक्त चिकित्सालय में ट्रैनेक्सा प्लस की उपलब्धता केवल एक मेडिकल सुविधा नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत के लिए जीवन का नया अध्याय है। खबरी न्यूज़ इस पहल को एक ‘लाइफ सेविंग मॉडल’ मानता है। हमारी अपील है कि प्रशासन इस व्यवस्था को निरंतर मजबूत करे और आम जनता समय रहते अस्पताल पहुंचने की समझ विकसित करे। एक जागरूक समाज ही मौत को हरा सकता है।”
खबरी न्यूज़ — सच के साथ, जीवन के साथ।


