

शीतलहर के बीच चंदौली में जली इंसानियत की आग, अलाव से लेकर रैन बसेरों तक प्रशासन की रात-दिन की मुहिम
खबरी न्यूज नेशनल नेटवर्क चंदौली।
रात के करीब 12 बजे होंगे…सड़कों पर सन्नाटा था,
हवा में ठंड चाकू की तरह चुभ रही थी,
और गलियों में पसरा अंधेरा मानो पूछ रहा हो—
“क्या इस ठंड में कोई हमारा हाल भी पूछेगा?”

इसी सवाल का जवाब बनकर उस रात जनपद चंदौली का जिला प्रशासन सड़कों पर था।
शीतलहर की मार झेल रहे निराश्रित, असहाय और कमजोर वर्ग के लिए यह सिर्फ एक सरकारी आदेश नहीं था,
बल्कि मानवीय ज़िम्मेदारी थी।
जिलाधिकारी चन्द्र मोहन गर्ग के निर्देशन में जनपद भर में जो राहत कार्य चल रहे हैं,
वे कागज़ों तक सीमित नहीं, बल्कि ज़मीन पर महसूस किए जा सकते हैं—
अलाव की गर्मी में, रैन बसेरे की रजाई में और चाय के प्याले की भाप में। जिसके क्रम में शनिवार को चकिया तहसीलदार देवेन्द्र जी रैन बसेरे का निरीक्षण करने पहुॅच ही गये। और वहाँ पर मौके का जायजा लिया और आवश्यक दिशा निर्देश भी दिया।






112 जगह जली उम्मीद की आग
जब ठंड जानलेवा बन जाती है, तो एक अलाव सिर्फ आग नहीं होता—
वह ज़िंदगी की आख़िरी उम्मीद बन जाता है।
जनपद चंदौली में प्रशासन द्वारा नगर पालिकाओं और तहसीलों के माध्यम से
कुल 112 स्थलों पर अलाव जलवाए जा रहे हैं।
📍 चंदौली सदर – 25 स्थल
📍 पीडीडीयू नगर – 28 स्थल
📍 सैयदराजा – 20 स्थल
📍 चकिया – 22 स्थल
हर अलाव के पास खड़े लोग सिर्फ हाथ नहीं सेंक रहे, वे उस व्यवस्था पर भरोसा कर रहे हैं
जो उन्हें इस ठंड में अकेला नहीं छोड़ रही।
🏠 रैन बसेरा नहीं, सुकून की छत
शीतलहर में सबसे बड़ा खतरा उन लोगों को होता है जिनके पास सिर छुपाने की जगह नहीं होती।
इसी को ध्यान में रखते हुए
जनपद स्तर पर 06 रैन बसेरों का संचालन किया जा रहा है, जहां 112 लोगों के ठहरने की व्यवस्था की गई है।
इन रैन बसेरों में केवल चार दीवारें नहीं,
बल्कि ज़िंदगी की बुनियादी ज़रूरतें मौजूद हैं—
✔️ रजाई और कंबल
✔️ गद्दा और मैटी
✔️ पेयजल
✔️ शौचालय
✔️ बिजली
✔️ चाय-नाश्ता
✔️ गर्म पानी
पीडीडीयू नगर, चंदौली नगर पंचायत, सैयदराजा और चकिया—
हर जगह प्रशासन की निगरानी में रैन बसेरे संचालित हैं।
🌙 चकिया की वो रात… जब निरीक्षण सिर्फ औपचारिक नहीं था
लेकिन इस पूरी व्यवस्था की सबसे संवेदनशील और सस्पेंस से भरी तस्वीर सामने आई
चकिया नगर पंचायत से।
जब ज़्यादातर लोग गर्म रजाई में सो चुके थे,
उसी वक्त नगर पंचायत अध्यक्ष गौरव श्रीवास्तव
अकेले नहीं—
जिम्मेदारी के साथ रैन बसेरे की ओर निकल पड़े।
न कोई कैमरा, न कोई दिखावा,
बस एक सवाल—
“जो व्यवस्था बनाई गई है, क्या वह सही मायनों में काम कर रही है?”

👣 रात के सन्नाटे में रैन बसेरे का दरवाज़ा खुला…
चकिया के रैन बसेरे में जब अध्यक्ष गौरव श्रीवास्तव पहुंचे,
तो वहां मौजूद कर्मचारियों में हलचल हुई।
अंदर दाख़िल होते ही उन्होंने सिर्फ देखा नहीं—
पूछा, परखा और महसूस किया।
रैन बसेरे में उस समय सिर्फ एक व्यक्ति मौजूद था।
कोई भीड़ नहीं, कोई शोर नहीं—
बस ठंड से बचा हुआ एक इंसान।
🆔 आधार कार्ड भी देखा, नाम भी पूछा
गौरव श्रीवास्तव ने उस व्यक्ति से
सिर्फ हालचाल नहीं पूछा,
बल्कि उसका आधार कार्ड भी चेक किया।
👉 नाम क्या है?
👉 कहां से आया है?
👉 कब से यहां रुका है?
👉 खाने-पीने में कोई दिक्कत तो नहीं?
👉 रजाई-कंबल ठीक है या नहीं?
यह सवाल किसी औपचारिक निरीक्षण के नहीं थे,
बल्कि एक जिम्मेदार जनप्रतिनिधि के थे,
जो यह सुनिश्चित करना चाहता था कि
सरकारी सुविधा का लाभ सही व्यक्ति तक पहुंचे।
🗣️ गौरव श्रीवास्तव का वर्जन
नगर पंचायत अध्यक्ष गौरव श्रीवास्तव ने निरीक्षण के दौरान कहा—
“ठंड के इस मौसम में अगर कोई भी व्यक्ति
रैन बसेरे से वंचित रह जाए,
तो यह हमारी सामूहिक विफलता होगी।इसलिए मैंने स्वयं रात्रि में आकर
रैन बसेरे की व्यवस्था देखी,
वहां रुके व्यक्ति से बातचीत की,
उसका आधार कार्ड देखा
और सुविधाओं की जानकारी ली।हमारा प्रयास है कि
चकिया नगर पंचायत क्षेत्र में
कोई भी जरूरतमंद
ठंड के कारण परेशान न हो।”
उनकी यह बात सिर्फ बयान नहीं,
बल्कि उस रात की जीती-जागती हकीकत थी।
एक व्यक्ति… और हज़ार सवाल
रैन बसेरे में मौजूद वह एक व्यक्ति
शायद आंकड़ों में “एक” था, लेकिन उसके पीछे हज़ारों संभावित ज़िंदगियां थीं।
अगर वह नहीं होता? अगर उसे रैन बसेरा न मिलता? अगर उस रात कोई पूछने न आता?
यही वजह है कि गौरव श्रीवास्तव का यह निरीक्षण सिर्फ प्रशासनिक नहीं,
भावनात्मक और मानवीय बन गया।
🏛️ डीएम के निर्देश, ज़मीन पर असर
जिलाधिकारी चन्द्र मोहन गर्ग के स्पष्ट निर्देश हैं कि—
- अलाव नियमित रूप से जलें
- रैन बसेरों में सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हों
- कोई भी निराश्रित व्यक्ति ठंड में बाहर न सोए
- नगर निकाय और तहसील स्तर पर लगातार निगरानी हो
और चकिया का यह उदाहरण
इस बात का प्रमाण है कि
निर्देश सिर्फ फाइलों में नहीं,
बल्कि रात की सड़कों पर दिख रहे हैं।
❄️ शीतलहर के बीच एक संदेश
जब मौसम बेरहम होता है,
तब प्रशासन का संवेदनशील होना
सबसे बड़ी राहत बनता है।
चंदौली में
अलाव की लौ, रैन बसेरे की रजाई, और रात में किया गया निरीक्षण—
यह सब मिलकर एक ही संदेश दे रहे हैं—
👉 “आप अकेले नहीं हैं।”
✍️ विशेष रिपोर्ट | Khabari News
(ग्राउंड रिपोर्ट , जनहित में प्रकाशित)


