ब्रती माताओं के लिए विशेष चेंजिंग रूम, NDRF टीम, लाइफ जैकेट और नावों की पर्याप्त व्यवस्था
Editor-in-Chief: K.C. Shrivastava (Advocate)

खबरी न्यूज चकिया, चंदौली।
छठ महापर्व की शुरुआत का माहौल चकिया घाट पर कुछ अलग ही दिख रहा है। यह पर्व केवल सूर्य और माँ के प्रति श्रद्धा का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह समाज की एकता, प्रशासन की जिम्मेदारी और स्थानीय लोगों की भागीदारी का पर्व भी है। इस बार घाटों की तैयारियाँ और प्रशासनिक सतर्कता कुछ इस कदर देखने को मिली कि हर श्रद्धालु और स्थानीय निवासी इस आयोजन से जुड़ते हुए गौरवान्वित महसूस कर रहा है।
शुक्रवार को तहसीलदार देवेन्द्र कुमार यादव ने माँ काली मंदिर परिसर के तालाब और ऐतिहासिक रानी की बावली का स्थलीय निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने घाटों पर साफ-सफाई, प्रकाश व्यवस्था, सुरक्षा और श्रद्धालुओं की सुविधा का बारीकी से जायज़ा लिया।
इस मौके पर क्षेत्र के लोकप्रिय विधायक कैलाश आचार्य और माँ काली सेवा समिति के अध्यक्ष गुरूदेव चौहान भी मौजूद रहे। दोनों ने घाट की तैयारियों की सराहना की और स्थानीय लोगों से अपील की कि प्रशासन के साथ मिलकर छठ महापर्व को सुरक्षित और भव्य रूप से मनाया जाए।
आस्था और श्रद्धा का संगम
चकिया घाट इस बार हर दृष्टि से तैयार है। माँ काली मंदिर परिसर में सफाई अभियान पिछले सप्ताह से ही शुरू हो चुका था। स्थानीय स्वयंसेवकों ने तालाब के चारों ओर झाड़ू-पोछा किया, कूड़ा उठाया और घाट के मार्गों को साफ-सुथरा किया।
रानी की बावली घाट पर प्रशासन ने पुल, नाव घाट और जल सुरक्षा उपकरण की पूरी जांच करवाई। तहसीलदार देवेंद्र यादव ने अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को कठोर निर्देश दिए कि कहीं भी कोई कमी न आए। उन्होंने मीडिया से बातचीत में बताया कि ब्रती माताओं के लिए विशेष चेंजिंग रूम, NDRF टीम, लाइफ जैकेट और नावों की पर्याप्त व्यवस्था की जा रही है।
उनका कहना था,
“हम चाहते हैं कि कोई भी घटना या दुर्घटना श्रद्धालुओं के उत्साह और श्रद्धा को प्रभावित न करे। यह सिर्फ प्रशासनिक जिम्मेदारी नहीं, हमारी संवेदनशीलता भी है।”

सुरक्षा और सुविधा — प्रशासन की प्रतिबद्धता
तालाब और बावली घाट की तैयारियों में प्रशासन ने कोई कसर नहीं छोड़ी।
- तालाब के किनारे रेस्क्यू टीम तैनात की गई।
- हर नाव पर लाइफ जैकेट अनिवार्य किया गया।
- ब्रती माताओं के लिए प्राइवेट चेंजिंग रूम और शेड की व्यवस्था की गई।
- घाटों में साफ-सफाई और प्रकाश व्यवस्था पूरी तरह सुनिश्चित की गई।
इस तैयारी का उद्देश्य साफ है — श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित करना। यही वजह है कि प्रशासन और समाज ने मिलकर इस पर्व को एक सुरक्षित, स्वच्छ और श्रद्धामय अनुभव बनाने का संकल्प लिया है।
स्थानीय नेताओं और समाजिक योगदान
विधायक कैलाश आचार्य ने कहा,
“यह केवल प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं है। हमें सभी मिलकर सुनिश्चित करना है कि श्रद्धालु सुरक्षित और स्वच्छ माहौल में छठ पर्व मना सकें। यह हमारी परंपरा और आस्था की परीक्षा है।”
माँ काली सेवा समिति के अध्यक्ष गुरूदेव चौहान ने कहा,
“यह पर्व हमें याद दिलाता है कि हमारी आस्था केवल पूजा तक सीमित नहीं है। यह हमारी समाजिक जिम्मेदारी, हमारी संस्कृति और हमारी सुरक्षा का प्रतीक भी है। प्रशासन और समाज के सहयोग से हम छठ को सुरक्षित और भव्य बना सकते हैं।”
निरीक्षण के दौरान नायब तहसीलदार, राजस्व कर्मचारी, पुलिस बल और मीडिया प्रतिनिधि भी मौजूद थे। स्थानीय लोगों में उत्साह और श्रद्धा का माहौल साफ दिखाई दे रहा था। कई ग्रामीणों ने प्रशासन और समिति की तैयारी की सराहना की।
ब्रती माताओं की सुविधा
इस बार प्रशासन ने विशेष ध्यान दिया है कि ब्रती माताओं को पूरी सुविधा मिले।
- चेंजिंग रूम और शेड की व्यवस्था की गई।
- सफाई और पानी की सुविधा सुनिश्चित की गई।
- घाट के प्रवेश और निकासी मार्गों पर सुरक्षा और मार्गदर्शन के लिए कर्मचारी तैनात हैं।
तहसीलदार देवेंद्र यादव ने कहा कि ब्रती माताओं की सुविधा सिर्फ प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हमारे समाज की संवेदनशीलता और श्रद्धा की पहचान भी है।
साफ-सफाई और प्रकाश व्यवस्था
सफाई और प्रकाश व्यवस्था को लेकर प्रशासन और स्थानीय स्वयंसेवक पूरी तरह सक्रिय हैं।
- घाट और आसपास के क्षेत्रों में कूड़ा उठाने और सफाई अभियान चलाए गए।
- रानी की बावली और तालाब के चारों ओर प्रकाश व्यवस्था सुनिश्चित की गई।
- स्थानीय युवाओं ने भी अपने हिस्से का योगदान दिया।
इस तैयारी ने केवल छठ घाट को सुरक्षित ही नहीं बनाया, बल्कि इसे श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक भी बना दिया।
आस्था और समाज का मिलन
चकिया घाट पर यह दृश्य किसी प्रेरणा से कम नहीं है। सूर्य की पहली किरण पानी पर पड़ते ही घाट पर उपस्थित प्रशासनिक और सामाजिक टीम का प्रतिबिंब झलकता है। तहसीलदार देवेंद्र यादव, विधायक कैलाश आचार्य और गुरूदेव चौहान ने मिलकर यह संदेश दिया कि आस्था के साथ सुरक्षा और स्वच्छता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।
स्थानीय लोगों और स्वयंसेवकों की भागीदारी ने यह दिखा दिया कि यह पर्व केवल प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं, हम सबका मैटर है।
छठ पर्व का असली संदेश
छठ महापर्व केवल सूर्य और माँ काली की पूजा नहीं है। यह समर्पण, सेवा, सुरक्षा और अनुशासन का पर्व है। यह हमें याद दिलाता है कि हमारी आस्था तभी प्रकट होती है जब हम इसे सुरक्षित, स्वच्छ और संगठित ढंग से मनाएँ।
चकिया घाट इस बार तैयार है — आस्था से भरा, सुरक्षा से सजग, और प्रशासन और समाज के सहयोग से पूरी तरह संवेदनशील। 🌅🙏
तालाब की लहरों में बस एक ही दुआ गूंज रही थी — ‘जय छठी मईया!’
यह पर्व हमें याद दिलाता है कि हमारी संस्कृति, हमारी आस्था, और हमारी जिम्मेदारी सब एक साथ जुड़े हैं।
वेव-पोर्टल हाइलाइट्स:
- तहसीलदार देवेंद्र यादव ने छठ घाट का निरीक्षण किया।
- विधायक कैलाश आचार्य और गुरूदेव चौहान मौजूद रहे।
- ब्रती माताओं के लिए चेंजिंग रूम की विशेष व्यवस्था।
- NDRF टीम और नावों की सुरक्षा सुनिश्चित।
- सफाई और प्रकाश व्यवस्था पूरी।
- स्थानीय लोगों की सहभागिता और आस्था का संगम।
- संदेश: छठ महापर्व सिर्फ पर्व नहीं, हमारी जिम्मेदारी और पहचान है।






