फर्द से आपत्ति निकाल फेंकी और धड़ल्ले से कर दिया आदेश
दरअसल, नायब तहसीलदार शहाबगंज आशुतोष राय पर आरोप है कि उन्होंने नामांतरण वाद सं० टी 20191418020354 (अम्बरीश नारायण द्विवेदी बनाम रामदत्त द्विवेदी) की फर्दकाम दिनांक 21-1-2025 में खुद अपने हाथों से ‘कटिंग’ और ‘मोनोपोलेशन’ कर दिया। और तो और, फर्द से आपत्ति निकाल फेंकी और धड़ल्ले से आदेश भी पारित कर दिया!
Silver Bells
मामले की जड़:
विशुनपुरवा गांव की राधिका देवी, जो कि इस वाद से प्रभावित थी, ने 21-6-2021 को बाकायदा आपत्ति दाखिल की थी। अदालत ने भी उस दिन उसे फर्दकाम में दर्ज कर लिया था। लेकिन जैसे ही नायब तहसीलदार आए, पत्रावली से आपत्ति गायब और उसके बाद ‘ऑल क्लियर’ समझकर आदेश पास कर दिया गया!
महिला ने गुहार लगाई:
राजस्व परिषद बोर्ड लखनऊ,मंडलायुक्त वाराणसी,जिलाधिकारी चंदौली।लेकिन अफसरों के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। अंत में थकी हारी राधिका देवी ने सोशल मीडिया और मीडिया का दरवाजा खटखटाया।
सवालों की बौछार
जब न्याय के दस्तावेजों से आपत्तियां ‘डिलीट’ हो सकती हैं, तो आम जनता की आवाज कौन सुनेगा?
तहसील प्रशासन में बैठे अधिकारी कौन-से ‘कट-पेस्ट’ गुरुजी से दीक्षित हो रहे हैं?
राधिका देवी का एलान:
“अब सोशल मीडिया पर न्याय की लड़ाई लड़ी जाएगी…! जब तक न्याय नहीं मिलेगा, तब तक आवाज गूंजती रहेगी।”
खबरी न्यूज़ नेशनल नेटवर्क इस मुद्दे को जनता तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। यह मामला सिर्फ राधिका देवी का नहीं है, बल्कि हर उस नागरिक का है जो न्याय के नाम पर तहसीलों में भटकते हैं।