✍️ रिपोर्ट: के.सी. श्रीवास्तव (एडवोकेट एवं प्रधान संपादक, खबरी न्यूज़)
📍स्थान: डालिम्स सनबीम स्कूल, चकिया (चंदौली)
📅 अवसर: दीपोत्सव 2025 के पूर्व आयोजित विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम

जहाँ शिक्षा बनी संस्कृति – और स्कूल बना अयोध्या नगरी…!
सुबह की सुनहरी किरणों के साथ ही डालिम्स सनबीम चकिया के प्रांगण में कुछ अलग सी हलचल थी।
हर कोने में बच्चे व्यस्त थे — कोई दीप सजा रहा था, कोई पुष्पों की माला गूंथ रहा था, कोई शंख बजाने का अभ्यास कर रहा था।
ऐसा लग रहा था मानो किसी मंदिर का प्रांगण हो, न कि एक आधुनिक विद्यालय का।
आज का दिन विशेष था — क्योंकि डालिम्स सनबीम चकिया ने ठान लिया था कि “इस दीपावली हम केवल दीप नहीं जलाएंगे, बल्कि रामायण के प्रकाश को भी प्रज्ज्वलित करेंगे।”
विद्यालय द्वार बना “अयोध्या प्रवेश द्वार” — भावनाओं की बाढ़ में बहा हर दर्शक
विद्यालय का मुख्य द्वार जब सजकर “अयोध्या द्वार” बना, तो दृश्य देख हर किसी की सांस थम गई।
मंदिर जैसी सजावट, पुष्पों की वर्षा और सुगंधित धूप से वातावरण में भक्ति की मिठास घुल गई थी।
जब बच्चों ने प्रभु श्रीराम, माता जानकी और लक्ष्मण जी के रूप में प्रवेश किया —
चारों ओर से गूंज उठा:
“जय श्रीराम! जय सियाराम!”
उनके स्वागत में जैसे पूरी धरती झूम उठी।
बुढ़वल गाँव तक यह स्वर पहुंचा और हर घर से कोई न कोई “जय श्रीराम” की प्रतिध्वनि देता सुनाई दिया।
सच कहें तो वह पल केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि आस्था का महासंगम था।





👑 मुख्य अतिथि एस.डी.एम. विनय कुमार मिश्र का भावनात्मक स्वागत
विद्यालय के राजमहल जैसे मुख्य भवन तक जाते समय उप जिलाधिकारी विनय कुमार मिश्र, प्रबंधक डॉ. विवेक प्रताप सिंह और डॉ. सुधा सिंह का स्वागत ऐसे किया गया जैसे अयोध्या में प्रभु श्रीराम का किया गया होगा।
सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने गुलाल उड़ाते, पुष्पवर्षा करते और भजन गाते हुए उनका स्वागत किया।
शंखनाद के साथ जब उन्होंने द्वार पर आरती उतारी — तो चारों ओर दीपों की लहरें, भक्ति के स्वर और भावनाओं का ज्वार उठ खड़ा हुआ।
विद्यालय के अंदर पहुँचते ही रामराज्याभिषेक नाटक की प्रस्तुति शुरू हुई —
और मंच पर जब “राम राज्याभिषेक” का क्षण आया, तो तालियाँ नहीं, आँसू गिरे — आनंद के आँसू!
🕯️ सात्विक भोजन और दीयों की ज्योति – संस्कृति का जीवंत दर्शन
विद्यालय परिसर में बच्चों ने सात्विक भोजन की व्यवस्था की थी — बिना प्याज-लहसुन के प्रसाद स्वरूप थालियाँ, दीयों से सजी मेजें और भक्ति गीतों की धुनें।
हर कक्षा, हर दीवार, हर कोना दीपों से झिलमिला रहा था।
जगह-जगह पर बच्चों ने लिखा था — “राम हमारे संस्कार हैं, दीप हमारी पहचान।”
ऐसा लगता था मानो धरती पर अयोध्या उतर आई हो।
🧠 रामायण-दीपावली क्विज – ज्ञान और भक्ति का संगम
एक दिन पूर्व विद्यालय में आयोजित जी.के. क्विज प्रतियोगिता में रामायण, दीपावली और विज्ञान से जुड़े प्रश्न पूछे गए।
15 बच्चों ने शत-प्रतिशत अंक प्राप्त किए —
जिन्हें एस.डी.एम. विनय मिश्र और अध्यक्ष डॉ. वी.पी. सिंह ने विशेष उपहार देकर सम्मानित किया।
बच्चों की चमकती आँखें उस पल बता रही थीं — यह सम्मान केवल ट्रॉफी नहीं, संस्कार की जीत है।
🎨 अर्नव का कमाल – जिसने एस.डी.एम. को भावुक कर दिया
कक्षा 10 के छात्र अर्नव ने कार्यक्रम के बीच मंच पर बैठकर उप जिलाधिकारी श्री विनय मिश्र का जीवंत स्केच बनाया।
जैसे ही उन्होंने चित्र पूरा किया और उसे मंच पर भेंट किया, सभागार में तालियों की गूंज फूट पड़ी।
एस.डी.एम. साहब कुछ पल के लिए मौन रहे, फिर बोले —
“आज के इस मोबाइल युग में जहाँ बच्चे स्क्रीन में खो जाते हैं, वहाँ डालिम्स सनबीम के छात्र अपनी संस्कृति और कला में रम गए हैं — यह अद्भुत है।”
💬 उप जिलाधिकारी विनय कुमार मिश्र हुए भावविभोर – बोले, “यह कार्यक्रम जागरूकता का पहला अध्याय है”
कार्यक्रम के समापन पर उनका वक्तव्य हर दिल में उतर गया।
“कई विद्यालयों में कार्यक्रम होते रहते हैं,” उन्होंने कहा,
“पर इस विद्यालय ने जो किया, वह काबिले तारीफ़ है।
ऐसे कार्यक्रम बच्चों को यह समझाने का अवसर देते हैं कि हमारी संस्कृति क्या है, हमारे संस्कार कैसे पनपते हैं।
रामायण पर आधारित यह आयोजन न केवल मनोरंजन है, बल्कि जागरूकता का पहला अध्याय साबित होगा।
आज यहाँ जो देखा, उसने मुझे विश्वास दिलाया कि हमारी नई पीढ़ी अभी भी अपनी जड़ों से जुड़ी है।”
यह कहते हुए उनके चेहरे पर मुस्कान थी, और आँखों में गर्व का भाव।
विद्यालय प्रबंधक डॉ. विवेक प्रताप सिंह की दूरदृष्टि – “धर्म और विज्ञान दोनों जरूरी”
“हमारा उद्देश्य केवल शिक्षा देना नहीं है,
बल्कि बच्चों को संस्कार और संस्कृति से जोड़ना भी है।”
— डॉ. विवेक प्रताप सिंह
उन्होंने आगे कहा —
“हम चाहते हैं कि हमारे छात्र धर्म और विज्ञान दोनों में पारंगत हों।
जब तक बच्चों को अपनी जड़ों का बोध नहीं होगा, वे भविष्य का सही निर्माण नहीं कर सकते।”
उनके शब्दों में वह भाव था जो शिक्षा को साधना बना देता है।
🎭 शिक्षकों की एकजुटता ने बनाया आयोजन भव्य
उप-प्रधानाचार्य अभय कुमार त्रिपाठी और उनकी टीम — मोनिका, माधुरी, निधि, गौरव, अनामिका, अर्चना, अमित, संजय उपाध्याय और अमन — ने दिन-रात मेहनत करके यह आयोजन संभव बनाया।
सजावट से लेकर मंच-निर्देशन तक, हर कार्य शिक्षक-छात्र एक परिवार की तरह मिलकर कर रहे थे।
यही एकता डालिम्स सनबीम की पहचान है — जहाँ शिक्षा, सेवा और संस्कार एक सूत्र में पिरोए हैं।



🌠 छात्रों ने किया भावनाओं से अभिनय – हर दृश्य बना भक्ति का प्रतीक
अभिनव, आलोक, चंद्रदीप, आयुषी, राशि, प्रांजल, हरिओम जैसे छात्रों ने अपनी भूमिका इतनी जीवंत निभाई कि दर्शकों ने हर दृश्य में खुद को पाया।
जब “राम राज्याभिषेक” का दृश्य आया — तो पूरा सभागार खड़ा होकर “जय श्रीराम” के उद्घोष में डूब गया।
कुछ अभिभावक रो पड़े, कुछ शिक्षकों की आँखें भीग गईं — यह संवेदना का साक्षात् उत्सव था।
🙏 खबरि न्यूज़ की टिप्पणी – “यह केवल कार्यक्रम नहीं, संस्कृति की पुनर्स्थापना है”
आज जब डिजिटल युग में बच्चे “ट्रेंड” और “रील” की दुनिया में खोते जा रहे हैं,
डालिम्स सनबीम चकिया जैसे संस्थान यह याद दिला रहे हैं कि
“टेक्नोलॉजी जरूरी है, पर संस्कार सर्वोपरि हैं।”
यह आयोजन केवल दीपावली का उत्सव नहीं था, यह संस्कृति की दीपशिखा थी,
जो आने वाली पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का संदेश दे गई।
🌹 अंतिम दृश्य – दीपों की पंक्तियाँ और राम नाम की गूंज…
संध्या होते ही विद्यालय की दीवारें दीपों से चमकने लगीं।
आकाश में पटाखों की आवाज नहीं, बल्कि शंखनाद और भजन गूंज रहे थे।
जब सभी छात्र, शिक्षक और अतिथि हाथ जोड़कर एक स्वर में बोले —
“जय श्रीराम! जय सियाराम!”
तो लगा जैसे स्वयं अयोध्या धरती पर उतर आई हो।
दीपों की रेखाओं के बीच बच्चे मुस्कुरा रहे थे —
उनकी मुस्कान में था भविष्य का प्रकाश, संस्कृति का सम्मान और राष्ट्र की आत्मा का स्पंदन।
🌺 जय श्रीराम! जय सियाराम! 🌺
✍️ प्रस्तुतकर्ता: Khabari News Desk – Chakia Bureau
👤 सम्पादन: एडवोकेट के.सी. श्रीवास्तव (प्रधान संपादक, Khabari News)



