



रिपोर्ट: खबरी न्यूज नेशनल नेटवर्क लखनऊ।
एक मां…
जिसकी ममता की मिसालें दी जाती हैं।
जिसके आंचल की छांव में बच्चा खुद को सबसे सुरक्षित महसूस करता है।
जिसके स्पर्श से दर्द भी कम हो जाया करता है।
लेकिन जब वही मां अपनी ममता को मार दे, तो धरती कांप जाती है, आसमान थर्रा उठता है और इंसानियत शर्मसार हो जाती है।
मुजफ्फरनगर जिले के भोपा थाना क्षेत्र के रुड़कली तालाब अली गांव से ऐसी ही एक हृदयविदारक घटना सामने आई है, जिसने पूरे जनपद ही नहीं, सोशल मीडिया तक को झकझोर कर रख दिया है। एक मां ने प्रेम प्रसंग के चलते अपनी ही कोख से जन्मे दो मासूमों को ज़हर देकर मौत के घाट उतार दिया।
मासूमियत की कब्र में मां के हाथ
चार साल का अरहान और महज एक साल की अनाया—दोनों भाई-बहन उस उम्र में थे जहां शब्दों से ज़्यादा आंखें बोलती हैं, जहां भूख में रोना और गोद में सुकून होता है। लेकिन इस बार गोद ने ही मौत की ओर धकेल दिया।
गांव वालों के अनुसार, घटना वाले दिन मुस्कान अकेली थी। पति वसीम चंडीगढ़ में वेल्डिंग का काम करता है और हाल ही में काम पर लौटा था। घर में केवल मुस्कान और बच्चे थे। दोपहर होते-होते खबर आई कि दोनों बच्चों की तबीयत अचानक बिगड़ गई। गांव में हाहाकार मच गया। डॉक्टर बुलाए गए, लेकिन तब तक दोनों बच्चों की मौत हो चुकी थी।
मातम में छिपी थी साजिश
शुरुआत में बच्चों की मौत को सामान्य बीमारी या हादसा माना गया। परिजनों ने पोस्टमार्टम से इनकार कर दिया। लेकिन जब पुलिस को मामला संदिग्ध लगा, तो जांच के आदेश दिए गए। पोस्टमार्टम रिपोर्ट भले ही मौत का स्पष्ट कारण नहीं बता पाई, लेकिन पुलिस की कड़ाई से की गई पूछताछ ने सच्चाई को बाहर ला दिया।
मां मुस्कान ने स्वीकार किया कि उसने ही बच्चों को ज़हर दिया। कारण? प्रेम प्रसंग।
जी हां, बच्चों की मां, जो कभी उन्हें सीने से लगाकर सुलाती थी, अब किसी और के सीने से लगने की चाह में अपनी ही ममता को मार चुकी थी।
प्रेम में अंधापन या आत्मा का पतन?
पुलिस जांच में सामने आया है कि मुस्कान का गांव के ही एक युवक से प्रेम संबंध था। पति के बाहर रहने और मोबाइल के माध्यम से शुरू हुई बातचीत कब दिल के दरवाज़े तोड़ गई, पता ही नहीं चला। लेकिन यह प्रेम इतना अंधा था कि उसमें इंसानियत, रिश्ते, ममता—सब कुछ डूब गया।
बताया जा रहा है कि मुस्कान को लगता था कि बच्चे उसके नए जीवन में बाधा बन सकते हैं। और फिर, उस ‘बाधा’ को हटाने का जो तरीका चुना गया, वह रूह को कंपा देने वाला है।
मां के हाथों मासूमों की मौत – एक समाज का सवाल
मां के हाथों बच्चों की हत्या कोई आम अपराध नहीं है, यह सामाजिक मूल्यों का क्षरण है। एक समय था जब एक मां अपनी संतान के लिए मौत से लड़ जाती थी, आज वही मां अगर प्रेम के नाम पर संतान को मौत दे रही है, तो यह चेतावनी है कि हम नैतिक और मानसिक रूप से कितनी गिरावट की ओर बढ़ रहे हैं।
सोशल मीडिया में भावनाओं की सुनामी
जैसे ही यह खबर सामने आई, सोशल मीडिया पर एक इमोशनल तूफान आ गया। “मां या हैवान?”, “ममता हुई शर्मसार”, “अरहान और अनाया को इंसाफ दो” जैसे हैशटैग्स ट्रेंड करने लगे।
लोगों ने दिल को छू लेने वाले पोस्ट किए:
“जिस आंचल में छांव थी, उसी ने कब्र बना दी…”
“अरहान की मुस्कान और अनाया की किलकारी आज भी दिल तोड़ देती है…”
“प्यार अगर ज़हर बन जाए, तो सबसे पहले रिश्ते मरते हैं।”
गांव में मातम और सन्नाटा
रुड़कली गांव अब भी उस सन्नाटे में डूबा है, जो दो मासूमों की चीखों से पहले कभी नहीं हुआ था। हर घर में एक ही चर्चा—मां कैसे हत्यारिन बन गई? गांव की बुज़ुर्ग महिलाएं कहती हैं, “ऐसी औरत को तो धरती भी नहीं अपनाएगी।”
कानूनी प्रक्रिया और इंसाफ की उम्मीद
फिलहाल पुलिस ने मुस्कान को हिरासत में ले लिया है। धारा 302 के तहत हत्या का केस दर्ज किया गया है। पुलिस का मानना है कि इस मामले में उसका प्रेमी भी आरोपी हो सकता है, जिसकी भूमिका की जांच की जा रही है।
संवेदनाओं से परे होती जा रही दुनिया
यह घटना केवल एक खबर नहीं है। यह संकेत है कि हमारी दुनिया संवेदनाओं से दूर होती जा रही है। रिश्ते, जो कभी जीवन का आधार थे, अब स्वार्थ की सीढ़ियों पर चढ़ने का माध्यम बन गए हैं।
निष्कर्ष: यह केवल एक हत्या नहीं, समाज के गिरने की चीख है
अरहान और अनाया अब इस दुनिया में नहीं हैं। वे बोल नहीं सकते, चीख नहीं सकते, लेकिन उनका मौन अब हर संवेदनशील हृदय को झकझोर रहा है।
आज, ज़रूरत है introspection की।
ज़रूरत है यह पूछने की—क्या हम उस समाज की ओर जा रहे हैं, जहां प्रेम, ममता और रिश्ते स्वार्थ और विकृति की बलि चढ़ते रहेंगे?


