
खबरी न्यूज़ शाहजहांपुर
रविवार की शाम शाहजहांपुर मेडिकल कॉलेज में जो हुआ, वह किसी मेडिकल इमरजेंसी से ज़्यादा एक ‘इंसानी इम्तिहान’ बन गया।
जहां ऑक्सीजन से जिंदगी जुड़नी थी, वहां फॉर्मलिन की जहरीली गैस ने दहशत और दर्द फैला दिया।
जहां डॉक्टरों की डांट से मरीजों को भरोसा मिलता है, वहां अफवाहों के शोर ने इंसानियत को हिला दिया।





अचानक उठा Chemical Cloud… और मच गई चीख-पुकार
शाम करीब 4:30 बजे, ट्रॉमा सेंटर की ऑपरेशन थिएटर (OT) में सैनिटाइजेशन का काम चल रहा था। सूत्रों के अनुसार, फॉर्मलिन नामक केमिकल किसी कारणवश ज़मीन पर गिर गया और उसी से जहरीली गैस उठी।
AC और पंखों के चलते गैस तेजी से फैलने लगी, और देखते ही देखते पूरे परिसर में तेज दुर्गंध, आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ होने लगी।
लोग घबराए, डॉक्टर और स्टाफ भ्रमित हुए…
और फिर शुरू हुआ भगदड़ का वो दृश्य, जिसे सोचकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
ऑक्सीजन लीक की अफवाह बनी आग में घी
इसी अफरा-तफरी के बीच किसी ने चिल्ला दिया –
“ऑक्सीजन लीक हो गई है!”
बस, फिर क्या था…
मरीजों के तीमारदार उन्हें गोद में उठाकर, स्ट्रेचर पर घसीटकर, जान बचाने की जद्दोजहद में इधर-उधर भागने लगे।
किसी ने वॉशरूम में छुपकर दरवाजा बंद कर लिया।
किसी ने बच्चे को चादर में लपेटकर बाहर की ओर दौड़ लगाई।
कुछ बूढ़े मरीज बेहोश होकर वहीं गिर पड़े।
एक महिला चीख रही थी – “मेरे पापा ICU में हैं, मुझे उन्हें बाहर निकालना है!”
लेकिन अंदर कोई जाने को तैयार नहीं था… न डॉक्टर, न नर्स।
मौत की सन्नाटे में घुली अफवाह की चीख
खबर फैली कि एक व्यक्ति की मौत हो गई है।
थोड़ी देर में ये बात सोशल मीडिया पर फैल गई – “शाहजहांपुर मेडिकल कॉलेज में गैस रिसाव से मौत”
हालांकि प्राचार्य डॉ. राजेश कुमार ने बाद में साफ किया कि –
“जिस व्यक्ति की मौत की अफवाह थी, वह पहले से ही गंभीर हालत में लाया गया था। गैस से कोई मौत नहीं हुई।”
लेकिन सवाल ये नहीं है कि मौत हुई या नहीं।
सवाल ये है कि एक मेडिकल कॉलेज में कुछ मिनट की अफरा-तफरी ने कैसे इतना बड़ा तांडव खड़ा कर दिया?
सवाल ये है कि अफवाह को संभालने की क्या कोई तैयारी नहीं थी?
जैसे ही भगदड़ की खबर फैली, जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया।
DM धर्मेंद्र प्रताप सिंह और SP राजेश द्विवेदी मौके पर पहुंचे।
फायर ब्रिगेड, पुलिस बल और स्वास्थ्य विभाग की टीमें भेजी गईं।
DM ने कहा – “स्थिति नियंत्रण में है, कोई जनहानि नहीं हुई है। प्रथम दृष्टया फॉर्मलिन केमिकल के गिरने से गैस बनी है।”
बात सही हो सकती है, लेकिन सच्चाई ये है कि
गैस तो चंद मिनटों में उड़ गई, लेकिन लोगों के ज़ेहन में जो डर बैठा, वह शायद ज़िंदगी भर साथ जाएगा।
तीमारदारों की आंखों में सवाल, सिस्टम के पास जवाब नहीं




विनय मिश्रा, जिनकी मां वॉर्ड में भर्ती थीं, ने कहा:
“मैं मां को स्ट्रेचर पर लेकर जैसे-तैसे बाहर लाया। किसी डॉक्टर ने नहीं बताया क्या हो रहा है। डर के मारे सब दौड़ रहे थे। न गेट पर गार्ड था, न कोई गाइड करने वाला।”
आरती देवी, ICU में भर्ती पति को छोड़कर रोती हुई बाहर भागीं, बोलीं:
“हम तो इलाज कराने आए थे, यहां तो भगवान भरोसे छोड़ दिया हमें। मर जाते तो कौन जिम्मेदार होता?”
क्या अफवाह से ही तंत्र थम जाएगा?
अस्पताल जैसी जगहों पर आपात स्थिति से निपटने के लिए SOP (Standard Operating Procedure) होता है –
- अलार्म सिस्टम
- पब्लिक अनाउंसमेंट
- गाइडेड निकासी
- मेडिकल स्टाफ की मोर्चाबंदी
लेकिन यहां कोई सिस्टम एक्टिव नहीं दिखा।
जो दिखा, वह था घबराया हुआ स्टाफ, कांपते तीमारदार और चीखते मरीज।
खबरी न्यूज़ की मांग – सिर्फ बयान नहीं, ठोस एक्शन चाहिए!
हम सवाल पूछते हैं:
- क्या शाहजहांपुर मेडिकल कॉलेज जैसे संस्थान में गैस रिसाव जैसे मामलों के लिए ड्रिल होती है?
- अगर ये मामूली केमिकल था, तो प्रभाव इतना तीव्र क्यों था?
- अस्पताल प्रशासन ने तुरंत अफवाह रोकने की कोशिश क्यों नहीं की?
ये खबर नहीं, एक चेतावनी है पूरे सिस्टम के लिए!
आज शाहजहांपुर था, कल कोई और ज़िला होगा।
आज अफवाह से भगदड़ मची, कल सच में रिसाव हुआ तो क्या होगा?
क्या हम तब भी कहेंगे – “स्थिति नियंत्रण में है”?
खबरी न्यूज़ की सीधी अपील –
- स्वास्थ्य मंत्रालय और शासन तुरंत इस मामले की जांच कराएं।
- सभी मेडिकल संस्थानों में गैस, ऑक्सीजन, केमिकल रिसाव और अफवाह नियंत्रण के लिए SOP लागू हो।
- ऐसे अस्पतालों में हर महीने सुरक्षा ड्रिल हो – ताकि जिंदगी बचे, डर नहीं फैले।
“जहां इलाज मिले, वहां डर नहीं होना चाहिए – ये जनता का हक है, रहम नहीं!”
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रिपोर्ट: यूपी ब्यूरो | सम्पादन: एडवोकेट के.सी. श्रीवास्तव
खबरी न्यूज़ – सवाल उठाएगा, जवाब लाएगा!