

खबरी न्यूज नेशनल नेटवर्क
NCERT syllabus in madrasas:
लखनऊ। शिक्षा के क्षेत्र में एक और बड़ा कदम बढ़ाते हुए, प्रदेश और राजधानी के सभी मदरसों में नए शैक्षिक सत्र 2025-26 से राष्ट्रीय शैक्षिक और अनुसंधान प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम को लागू कर दिया गया है। इस बदलाव के साथ, मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को कक्षा 1 से 3 तक एनसीईआरटी की किताबें प्रदान की जाएंगी। यह कदम मदरसा शिक्षा परिषद द्वारा जारी किए गए आदेश के तहत उठाया गया है, जिसे शिक्षा के स्तर को और अधिक उत्कृष्ट बनाने के उद्देश्य से लागू किया गया है।
पाठ्यक्रम में बदलाव: एक कदम शैक्षिक सुधार की ओर
एनसीईआरटी पाठ्यक्रम के तहत बच्चों को उच्चतम शैक्षिक सामग्री प्रदान की जाएगी, जिससे उन्हें राष्ट्रीय शिक्षा मानकों के अनुरूप पढ़ाई करने का अवसर मिलेगा। अब तक, मदरसों में पारंपरिक पाठ्यक्रम का पालन किया जाता था, जो कुछ हद तक आधुनिक शिक्षा से मेल नहीं खाता था। हालांकि, अब यह कदम बच्चों को एक समान शैक्षिक आधार देने की दिशा में महत्वपूर्ण है, ताकि वे भविष्य में उच्च शिक्षा के स्तर पर बेहतर प्रदर्शन कर सकें।
NCERT syllabus पाठ्यक्रम की विशेषताएँ
एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम बच्चों के सर्वांगीण विकास पर केंद्रित है। इसमें न केवल अकादमिक विषयों का ध्यान रखा गया है, बल्कि नैतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक शिक्षा का भी समावेश किया गया है। यह पाठ्यक्रम बच्चों की सोचने की क्षमता को बढ़ाता है और उन्हें जीवन के विभिन्न पहलुओं से परिचित कराता है। इसमें विशेष ध्यान दिया गया है कि शिक्षा को मजेदार और सुलभ बनाया जाए, ताकि बच्चे आसानी से समझ सकें और उसमें रुचि बनाए रखें।
कक्षा 1 से 3 तक एनसीईआरटी किताबों का वितरण
नई व्यवस्था के तहत, मदरसों में कक्षा 1 से कक्षा 3 तक के बच्चों को एनसीईआरटी की किताबें वितरित की जाएंगी। इससे बच्चों को एक सशक्त और समृद्ध शैक्षिक अनुभव मिलेगा। इन किताबों में आधुनिक शिक्षण पद्धतियों को ध्यान में रखते हुए बच्चों के लिए रोचक तरीके से विषयों को प्रस्तुत किया गया है। इसके अलावा, किताबों में सरल भाषा, चित्र और गतिविधियों का समावेश किया गया है, जो बच्चों को बेहतर तरीके से विषयों को समझने में मदद करेगा।

शिक्षकों को प्रशिक्षण: एक आवश्यक पहल
एनसीईआरटी पाठ्यक्रम के सफल कार्यान्वयन के लिए शिक्षकों को भी विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। मदरसा शिक्षा परिषद द्वारा विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, जिसमें शिक्षकों को एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम और नई शिक्षण पद्धतियों के बारे में अवगत कराया जाएगा। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि शिक्षकों को नए पाठ्यक्रम के अनुसार पढ़ाने के लिए सभी आवश्यक संसाधन और ज्ञान उपलब्ध हो।
मदरसों में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम
यह निर्णय मदरसों में शिक्षा के स्तर को सुधारने की दिशा में एक बड़ा कदम है। अब तक, मदरसों में पढ़ाई का तरीका पारंपरिक और सीमित था, जबकि एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम में व्यापक दृष्टिकोण अपनाया गया है। इससे बच्चों को न केवल भारतीय संस्कृति और धर्म के प्रति गहरी समझ मिलेगी, बल्कि वे विज्ञान, गणित, सामाजिक अध्ययन और भाषा जैसे विषयों में भी बेहतर प्रदर्शन करेंगे।
मदरसा शिक्षा परिषद की भूमिका
मदरसा शिक्षा परिषद, जो मदरसों की शिक्षा व्यवस्था को नियंत्रित करती है, ने इस बदलाव को लेकर उत्साह व्यक्त किया है। परिषद के अनुसार, यह कदम मदरसों में पढ़ाई का स्तर ऊंचा करने के लिए जरूरी था और यह एक आधुनिक, समग्र और सर्वांगीण शिक्षा प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। परिषद के अधिकारियों का कहना है कि इस कदम से मदरसों में पढ़ाई करने वाले बच्चों को स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के समान अवसर प्राप्त होंगे, जिससे शिक्षा की समानता और गुणवत्ता में सुधार होगा।
मदरसों में शिक्षा की प्रगति और चुनौतियाँ
मदरसों में शिक्षा के सुधार के बावजूद, कई चुनौतियाँ अभी भी मौजूद हैं। सबसे बड़ी चुनौती यह है कि सभी मदरसों में एक समान शैक्षिक स्तर नहीं है। कुछ मदरसे पूरी तरह से परंपरागत तरीकों पर आधारित हैं, जबकि कुछ ने समय-समय पर शिक्षा में सुधार किए हैं। इस बदलाव के सफल कार्यान्वयन के लिए जरूरी होगा कि सभी मदरसों में समान स्तर की बुनियादी सुविधाएँ और संसाधन उपलब्ध हों।
इसके अलावा, मदरसों में शिक्षा के वातावरण को बदलने की आवश्यकता होगी। अब बच्चों को न केवल धार्मिक शिक्षा दी जाएगी, बल्कि उन्हें सामान्य शैक्षिक विषयों में भी अच्छी तरह से प्रशिक्षित किया जाएगा। इस उद्देश्य के लिए, सरकार और मदरसा शिक्षा परिषद को मिलकर काम करने की जरूरत होगी ताकि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो सके और बच्चों को बेहतर भविष्य मिल सके।

सरकार का समर्थन: एक मजबूत पहल
सरकार इस बदलाव में पूरी तरह से समर्थित है। सरकार ने मदरसों में शैक्षिक सुधार की दिशा में कई पहल की हैं और इसे एक सकारात्मक कदम मानते हुए, पूरे प्रदेश और राजधानी में इसे लागू करने का निर्णय लिया गया है। सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि मदरसों को आवश्यक संसाधन और बुनियादी ढाँचा प्रदान किया जाएगा, ताकि एनसीईआरटी पाठ्यक्रम का सफलतापूर्वक कार्यान्वयन हो सके।
भविष्य की दिशा: समावेशी और समान शिक्षा
एनसीईआरटी पाठ्यक्रम के लागू होने के बाद, मदरसों में शिक्षा का स्तर बढ़ने की उम्मीद है। यह कदम उन बच्चों के लिए एक बेहतर भविष्य की ओर कदम बढ़ाने जैसा होगा, जो अब तक पारंपरिक शिक्षा से वंचित रहे थे। इस सुधार के बाद, मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को वह सभी अवसर मिलेंगे, जो अन्य स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को मिलते हैं।
मदरसों में शिक्षा का स्तर सुधारने के साथ-साथ, इस कदम से भारतीय शिक्षा व्यवस्था में समावेशिता और समानता की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण बदलाव आएगा। अब हर बच्चे को, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या समुदाय से हो, समान शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार मिलेगा।
निष्कर्ष
मदरसों में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम का लागू होना एक महत्वपूर्ण शैक्षिक सुधार है, जो भविष्य में शिक्षा के स्तर को नई ऊँचाइयों तक पहुंचा सकता है। यह बदलाव शिक्षा के क्षेत्र में एक सकारात्मक कदम है, जो न केवल बच्चों को बेहतर शिक्षा देने में मदद करेगा, बल्कि पूरे समाज में समानता और समावेशिता को भी बढ़ावा देगा। अब यह देखना होगा कि इस बदलाव के बाद मदरसों में शिक्षा के स्तर में कितना सुधार आता है और कैसे यह कदम बच्चों के भविष्य को संवारने में मदद करता है।