
Keradih Chakia
Keradih Chakia गांव में गेहूं की फसल में लगी आग, तीन बीघा फसल जलकर राख — किसानों को भारी नुकसान
चकिया तहसील क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गांव केराडीह में गुरुवार दोपहर करीब 12:00 बजे की घटना सामने आई, जब गेहूं के गाज मे अचानक आग लग गई। इस भीषण अग्निकांड में गांव के पांच किसानों की लगभग तीन बीघा गेहूं की फसल जलकर पूरी तरह राख हो गई। किसानों और ग्रामीणों के लिए यह घटना किसी त्रासदी से कम नहीं है, क्योंकि अभी कटाई का समय चल रहा है और फसल तैयार अवस्था में थी।

किस-किस की फसल हुई बर्बाद
घटना में जिन किसानों की फसलें जलकर नष्ट हो गईं, उनमें यशोदा (पति स्व. छेदी), पप्पू (पुत्र स्व. छीदी), धर्मेन्द्र (पुत्र छेदी), उपेंद्र (पुत्र छेदी) और महेंद्र (पुत्र छेदी) का नाम प्रमुख रूप से सामने आया है। इन सभी किसानों की कुल मिलाकर लगभग तीन बीघा गेहूं की फसल जलकर पूरी तरह राख हो चुकी है। आग इतनी तेजी से फैली कि किसानों को कुछ भी संभलने का मौका नहीं मिला।
ग्राम पंचायत केराडीह में गेहूं की फसल में लगी भीषण आग, दो किसानों की फसल जलकर खाक : Fire in Wheat Crop
गांव वालों की सूझबूझ से टली बड़ी दुर्घटना
इस घटना के दौरान ग्रामीणों ने साहस और तेजी का परिचय देते हुए समय रहते आग पर काबू पाया। अगर ग्रामीण तत्परता न दिखाते, तो आग आसपास के खेतों में भी फैल सकती थी और नुकसान की मात्रा कई गुना बढ़ जाती। गांव के युवाओं और बुजुर्गों ने मिलकर मिट्टी, पानी और हरे पेड़-पौधों की मदद से आग को बुझाया, जिससे अन्य किसानों की फसलें बच सकीं।

एक सप्ताह पहले भी लगी थी आग
गौरतलब है कि केराडीह गांव में इससे पहले भी ऐसी ही एक घटना घट चुकी है। लगभग एक सप्ताह पहले भी गांव के ही एक खेत में गेहूं की फसल में आग लग गई थी। उस समय भी गांव वालों ने बहादुरी और सूझबूझ से आग पर काबू पाया था, जिससे एक बड़ी तबाही टल गई थी। लगातार दूसरी बार इस तरह की घटना ने किसानों में चिंता और डर का माहौल पैदा कर दिया है।
आग लगने का कारण अभी स्पष्ट नहीं
फिलहाल आग लगने के कारणों की पुष्टि नहीं हो सकी है। गांव वालों का कहना है कि हो सकता है किसी ने लापरवाही से बीड़ी-सिगरेट फेंकी हो या फिर बिजली के तारों से चिंगारी गिरी हो। हालांकि, यह जांच का विषय है और प्रशासन द्वारा इस पर जल्द कार्रवाई की उम्मीद है।
प्रशासन को दी गई सूचना
घटना की जानकारी मिलते ही ग्रामीणों ने तत्परता दिखाते हुए चकिया उपजिलाधिकारी (SDM) को इसकी सूचना दी। ग्रामीणों की मांग है कि जिन किसानों की फसलें जली हैं, उन्हें सरकार की ओर से उचित मुआवजा दिया जाए ताकि वे अपनी आजीविका को दोबारा संभाल सकें। गांव के लोगों का कहना है कि इन किसानों के पास सीमित साधन हैं और फसल का नुकसान उनके लिए आर्थिक तंगी लेकर आएगा।
मुआवजे की मांग उठी
किसानों का कहना है कि सरकार को चाहिए कि वह ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई करते हुए सर्वे कराए और तत्काल राहत प्रदान करे। जिन किसानों की फसल जली है, उन्हें मुआवजे के रूप में आर्थिक सहायता दी जाए ताकि वे अगली फसल की तैयारी कर सकें। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि क्षेत्र में फसल सुरक्षा के लिए विशेष निगरानी व्यवस्था की जाए, जिससे भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
ग्रामीणों में आक्रोश और भय का माहौल
लगातार हो रही आगजनी की घटनाओं से गांव के किसानों में गहरी चिंता और आक्रोश का माहौल है। किसानों का कहना है कि यदि इस तरह की घटनाएं बार-बार होती रहीं तो उनकी मेहनत और जीवन दोनों पर संकट आ जाएगा। फसलें ही उनकी आय का एकमात्र स्रोत हैं और जब वही जलकर राख हो जाएं, तो जीने का रास्ता बंद हो जाता है।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों से भी अपील
ग्रामीणों ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों और विधायक से भी अपील की है कि वे मौके पर पहुंचकर हालात का जायजा लें और किसानों की मदद के लिए जिला प्रशासन पर दबाव बनाएं। साथ ही, क्षेत्र में फायर सेफ्टी से संबंधित जनजागरूकता अभियान चलाया जाए ताकि लोग लापरवाही न बरतें और खेतों में किसी भी तरह की आग से बचा जा सके।
आवश्यक कदम उठाने की मांग
गांव वालों का यह भी कहना है कि अब समय आ गया है कि प्रशासन फसल सुरक्षा को लेकर गंभीर हो। खेतों के किनारे जल स्रोत, प्राथमिक फायर फाइटिंग उपकरण, और नियमित निगरानी जैसी व्यवस्थाएं की जाएं। साथ ही, ग्रामीणों को भी इस दिशा में जागरूक किया जाए कि वे फसल की कटाई के समय सतर्क रहें।
केराडीह गांव में हुई यह आगजनी की घटना न केवल किसानों के लिए आर्थिक नुकसान का कारण बनी, बल्कि इसने प्रशासन और समाज के सामने कई जरूरी सवाल भी खड़े कर दिए हैं। लगातार हो रही ऐसी घटनाएं यह दर्शाती हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में फसल सुरक्षा को लेकर गंभीरता की कमी है। अब जरूरत है कि सरकार, प्रशासन और ग्रामीण एकजुट होकर इस दिशा में कदम उठाएं ताकि किसानों की मेहनत सुरक्षित रह सके और उन्हें उनका हक मिल सके।
यदि प्रशासन समय रहते जरूरी कदम उठाता है और प्रभावित किसानों को मुआवजा मिलता है, तो यह ना सिर्फ आर्थिक राहत देगा बल्कि प्रशासन के प्रति विश्वास भी कायम करेगा। ग्रामीणों की बहादुरी और तत्परता सराहनीय है, लेकिन अब उन्हें सिस्टम की भी उतनी ही जरूरत है।