
✍️ संपादक इन चीफ – एडवो. के.सी. श्रीवास्तव
📍 स्थान: चंदौली के गंगा तटीय क्षेत्र – कुंडाकला, नरौली, नियमताबाद, धानापुर
🗓️ तारीख: 6 जून 2025



🌪️ “कुंडाकला में उठी धूल नहीं थी, वह जनता के विश्वास की चिंगारी थी!”
गर्मी, लू और तपती दोपहर के बीच जब अधिकतर अधिकारी वातानुकूलित कार्यालयों में योजनाओं की फाइलें उलट-पलट रहे होते हैं, उस वक्त एक आदमी बूट पहन कर चप्पे-चप्पे की मिट्टी में अपनी जिम्मेदारी खोज रहा था।
मा. मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, उत्तर प्रदेश सरकार में जलशक्ति और सिंचाई मंत्री, चंदौली पहुंचे — और यह कोई “औपचारिक यात्रा” नहीं थी। यह था एक “ऑन-ग्राउंड ऑपरेशन” — जहाँ सवाल सिर्फ योजनाओं के नहीं थे, सवाल थे “लोगों की जान”, “गांवों की ज़िंदगी” और “गंगा की पवित्रता” का!
⚠️ “कार्य अगर ढीला हुआ, तो नौकरी भी जाएगी…” — मंत्री का दो टूक एलान

जैसे ही मंत्री जी कुंडाकला पहुँचे, वहां की स्थिति देखकर उनकी भौंहें तन गईं। पत्थरों के बीच छेद देखकर उन्होंने गुस्से में अधिकारियों को घेर लिया और कहा:
❝ ये कोई दीवार नहीं, सुरक्षा कवच है! और अगर इसमें छेद है, तो इसका मतलब है — किसी की जान को खतरा है। ❞
यह सिर्फ चेतावनी नहीं थी, यह एलान था — कि अगर सुरक्षात्मक कार्यों में कोई लापरवाही मिली, तो जिम्मेदार अफसरों पर गाज गिरेगी।
🌊 “नरौली में गूंजा आदेश: बाढ़ से पहले हर मोर्चा तैयार रहे!”
नरौली, जो चंदौली के सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में से एक है, वहां मंत्री जी का फोकस था:
- नालों का जैविक ट्रीटमेंट
- मलजल गंगा में सीधे न जाए
- बाढ़ पूर्व मॉक ड्रिल, नावें, सर्च लाइट, रिलीफ किट्स तैयार रहें
उन्होंने कहा:
❝ बरसात आ जाएगी, तब समझ आएगा कि नाव नहीं थी… लेकिन तब बहुत देर हो चुकी होगी। ❞
🌿 “तालाब पर कब्जा? अब नहीं!” — मंत्री का ज़मीनी आदेश
जब बात आई तालाबों की, मंत्री जी की आवाज़ में आक्रोश साफ था:
❝ तालाब सिर्फ पानी नहीं देते, वे गांवों की आत्मा हैं। उन्हें कब्जामुक्त कर पुनर्जीवित करें। ❞
उन्होंने हर संबंधित अधिकारी को निर्देश दिया कि अवैध कब्जों की सूची बने, और 15 दिन में तालाब खाली कराए जाएं।
💥 “यह निर्माण नहीं, जीवन रक्षा मिशन है” — मंत्री का मिशन मोड ऑन!
मंत्री जी का हर वाक्य, हर निरीक्षण, सिर्फ औपचारिकता नहीं था। यह था:
- ज़िम्मेदारी की आग
- पब्लिक सर्विस का जुनून
- और सिस्टम को हिला देने वाली स्पष्टता
उन्होंने साफ किया:
❝ ये सिर्फ पत्थर नहीं जुड़ रहे, ये लोगों की उम्मीदें जुड़ रही हैं। और अगर यह काम गड़बड़ हुआ, तो जुबान से नहीं, फाइलों से जवाब लूंगा। ❞
👁️🗨️ “जब भीड़ सन्न हो गई…”
एक दृश्य, जिसने सबका दिल छू लिया।
एक बुजुर्ग महिला मंत्री जी से हाथ जोड़कर बोली:
“बेटा, इस बार बाढ़ में मेरी बकरी ना बहे… बस यही चाहत है।”
मंत्री जी झुके, और बोले:
❝ इस बार कोई बकरी नहीं बहेगी… और न कोई माँ बेघर होगी। ये मेरा वादा है। ❞
🧭 बाढ़ पूर्व तैयारी चेकलिस्ट — मंत्री की सीधी नजर में
✅ नावों की स्थिति
✅ राहत शिविरों की सूची
✅ मेडिकल किट्स
✅ संचार व्यवस्था
✅ फायर ब्रिगेड संपर्क
✅ पशुधन की सुरक्षा
✅ जनसंवाद की रूपरेखा
🔥 “अगर काम नहीं सुधरा… तो नाम मिट जाएगा!”
मंत्री जी के बोलों में धमाका था:
❝ जो अफसर मौके पर नहीं आते, रिपोर्ट बनाते हैं — उनके नाम हट जाएंगे सिस्टम से। अब काम दिखेगा, कागज नहीं! ❞
🎤 मंच पर भीड़ नहीं, मिशन का बुलंद स्वर
निरीक्षण में मा. विधायक सुशील सिंह, रमेश जायसवाल, जिलाध्यक्ष काशीनाथ सिंह, सूर्यमुनि तिवारी और अन्य प्रमुख जनप्रतिनिधि साथ थे।
मंत्री जी ने सभी को साफ निर्देश दिया:
❝ हर जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र में हर तैयारी की मॉनिटरिंग करे — बाढ़ अब केवल मौसम नहीं, इमरजेंसी है! ❞
📽️ Khabari News की टिप्पणी | जब पत्रकारिता बनी जनसंवेदना की आवाज़
“खबरी न्यूज़” सिर्फ खबर नहीं दिखा रहा था। हम ज़मीन पर थे, जनता के साथ थे।
हमने देखा कैसे एक मंत्री बूट पहनकर, आंचल की मिट्टी पर सवाल कर रहा था।
हमने देखा — जब एक बुजुर्ग की आंखों में “डूबते गांव” की चिंता थी और एक नेता उसके माथे पर भरोसे की छांव रख रहा था।
🌐 आज का सवाल — क्या हम तैयार हैं?
- क्या प्रशासन अब बिना चेतावनी के काम करेगा?
- क्या हर गांव में नाव पहुंचेगी?
- क्या हर बच्चा सुरक्षित रहेगा?
अगर हाँ… तो “स्वतंत्र देव सिंह” की आज की यात्रा सिर्फ एक निरीक्षण नहीं थी, यह एक “क्रांति” की शुरुआत थी।
📌 “खबरी न्यूज़” का संकल्प:
❝ जब तक हर गांव बाढ़ से सुरक्षित नहीं,
हम रिपोर्ट करेंगे, हम उजागर करेंगे,
क्योंकि –
हम सिर्फ खबर नहीं, जनता की सांसें बचा रहे हैं। ❞
📢 इसे शेयर करें, ताकि हर नागरिक यह जान सके —
जनता के साथ खड़ा एक योद्धा है, जिसका नाम है: स्वतंत्र देव सिंह!


