
ज़िंदा बुज़ुर्ग को मृत दिखाकर रोकी गई पेंशन, सिस्टम पर उठे बड़े सवाल



✍️ खबरी न्यूज नेशनल नेटवर्क वाराणसी।
🎯 कहानी नहीं, सिस्टम का शर्मनाक सच है यह!
“मैं मरा नहीं हूँ बेटा… लेकिन सरकार कहती है कि मैं अब इस दुनिया में नहीं हूँ…” — ये शब्द हैं 70 वर्षीय दुर्गा प्रसाद पांडेय के, जो आज भी ज़िंदा हैं, मगर सरकारी फाइलों में मृत घोषित कर दिए गए। वजह? उन्होंने 10,000 रुपये घूस देने से मना कर दिया!
इस दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे पूर्वांचल में व्यवस्था की संवेदनहीनता और सरकारी भ्रष्टाचार की सड़ांध को उजागर कर दिया है।
💰 PM आवास योजना में घूस की मांग, फिर बदला लेने की घिनौनी साज़िश!
राजातालाब के आराजी लाइन विकास खंड का ये मामला सिर्फ एक व्यक्ति की लड़ाई नहीं है, बल्कि ‘तमाशा बन चुकी व्यवस्था’ का एक भयावह उदाहरण है। दुर्गा प्रसाद पांडेय को प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत आवास आवंटित हुआ था।
लेकिन इस इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली दास्तान यहीं से शुरू होती है:
🔹 ग्राम विकास अधिकारी अंजनी सिंह ने पहले 20,000 रुपये की रिश्वत ली।
🔹 फिर आवास की दूसरी किस्त के भुगतान में 10,000 रुपये की और डिमांड की।
🔹 बुज़ुर्ग ने इनकार किया, शिकायत उच्चाधिकारियों से कर दी।
➡️ और फिर शुरू हुआ ‘सिस्टम की बदले की कहानी’!
⚰️ ज़िंदा इंसान को कागज़ों में मरा दिखा दिया गया!
इस मामूली बुज़ुर्ग को झुकाने और सबक सिखाने के लिए VDO अंजनी सिंह और समाज कल्याण विभाग के ADO प्रमोद कुमार पटेल ने उन्हें ‘मृतक’ घोषित करवा दिया।
✖ उनकी वृद्धावस्था पेंशन रोक दी गई।
✖ उन्हें सरकारी सिस्टम में मृतक के तौर पर दर्ज कर दिया गया।
क्या कोई सोच सकता है कि एक गरीब बुज़ुर्ग को जीते जी मरा हुआ दिखाकर उसका हक छीन लिया गया?
📜 जांच में हुआ खुलासा – फर्जीवाड़े पर खुद अधिकारियों के हस्ताक्षर!
जब दुर्गा प्रसाद समाज कल्याण विभाग में अपनी पेंशन बंद होने की शिकायत लेकर पहुँचे, तो उन्हें पता चला कि वो तो सरकारी रिकॉर्ड में मरे हुए हैं!
जांच रिपोर्ट में खुद ADO प्रमोद कुमार पटेल और VDO अंजनी सिंह के हस्ताक्षर थे।
यानी साज़िश सुनियोजित थी।
⚖️ कई दरवाज़ों पर ठोकरें खाने के बाद अदालत बनी उम्मीद की आखिरी किरण
बुज़ुर्ग ने राजातालाब थाने में रिपोर्ट दर्ज करानी चाही — मगर पुलिस ने भी कोई संज्ञान नहीं लिया।
जब प्रशासन और कानून सब मौन रहे, तब ये 70 साल का वृद्ध मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में गया।
वहीं से न्याय की लौ जली।
अब अदालत के आदेश पर दोनों अफसरों पर जालसाज़ी और भ्रष्टाचार का केस दर्ज हुआ है।

💔 इंसानियत शर्मिंदा, सिस्टम बेजान – ये कैसा लोकतंत्र?
आज सवाल सिर्फ इस बुज़ुर्ग का नहीं है — सवाल उस हर गरीब का है, जो अपनी उम्मीदों की पोटली लिए सरकारी योजनाओं के सहारे जी रहा है।
और जब वही योजनाएं ‘घूस’ की भेंट चढ़ जाएं, तो लोकतंत्र का क्या मतलब रह जाता है?
📢 सोशल मीडिया पर उबाल – “ये सिर्फ भ्रष्टाचार नहीं, ये हत्या का प्रयास है”
सोशल मीडिया पर जनता का ग़ुस्सा फूट पड़ा है।
लोगों ने लिखा:
“एक ज़िंदा को मरा साबित करना मानवाधिकारों की हत्या है!”
“क्या सरकार ऐसे अफसरों की तनख्वाह के लिए टैक्स वसूलती है?”
“अब भी कोई कार्यवाही नहीं हुई तो जनता का भरोसा पूरी तरह टूट जाएगा।”
🚨 Khabari News की माँग – तुरंत निलंबन और FIR की निष्पक्ष जांच!
प्रधान संपादक एडवोकेट के.सी. श्रीवास्तव ने इस मुद्दे पर स्पष्ट कहा:
“ये प्रशासनिक लापरवाही नहीं, ये नैतिक अपराध है। सरकार को ऐसे अफसरों को तत्काल निलंबित कर कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए। वरना Khabari News इस मामले को राष्ट्रीय मंच तक ले जाएगा।”
🌍 इस सिस्टम को ठीक कौन करेगा?
जब सिस्टम खुद ही भ्रष्टाचार का सहायक बन जाए, जब कानून के रखवाले ही अन्याय को नज़रअंदाज़ करें – तो एक आम आदमी किसके पास जाए?
👉 क्या इसी दिन के लिए हमारे बुज़ुर्गों ने वोट दिया था?
👉 क्या यही है डिजिटल इंडिया, जहाँ घूस न देने पर डेटा से ही ज़िंदगी मिटा दी जाती है?
🙏 Khabari News का आव्हान –
🗣️ “हर नागरिक जागे! ऐसे हर अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाए!
अगर आज दुर्गा प्रसाद के लिए नहीं बोले, तो कल हर ‘हम’ दुर्गा प्रसाद बन जाएगा।”
📌 मुख्य बिंदु संक्षेप में:
🔸 PM आवास की घूस न देने पर ज़िंदा बुज़ुर्ग को मृत दिखाया गया
🔸 वृद्धावस्था पेंशन रोकी गई
🔸 VDO और ADO पर कोर्ट के आदेश से FIR
🔸 पहले भी ली जा चुकी है 20 हजार की रिश्वत
🔸 थाना-पुलिस चुप, अदालत में मिला इंसाफ
🔸 जनता में आक्रोश – प्रशासन पर सख्त कार्रवाई की माँग
🔎 Khabari News रिपोर्टिंग जारी रखेगा — जब तक मिलेगा इंसाफ!
👉 अपने क्षेत्र की कोई भी ऐसी घटना हमें भेजें – हम आपकी आवाज़ सरकार तक पहुँचाएँगे।


