




गोवंश से भरी बोलेरो तियरा गांव के पास नहर में जा गिरी 💥
एक तस्कर की मौके पर मौत, साथी फरार!
✍️ विशेष पड़ताल: खबरी न्यूज़ ब्यूरो, चंदौली | संपादन: एडिटर-इन-चीफ K.C. श्रीवास्तव (Adv.)
💥 सुबह-सुबह गूंजा चीख-पुकार का शोर… और नहर में उतरती मौत की परछाई
मंगलवार की सुबह, चंदौली जिले के शहाबगंज थाना क्षेत्र के तियरा गांव के पास का नज़ारा किसी फिल्मी दृश्य से कम नहीं था।
सुबह की हल्की धूप, खेतों के बीच से गुजरती सड़क, और अचानक एक तेज रफ्तार बोलेरो पिकअप की चीखती आवाज़—
फिर धड़ाम की गूंज के साथ सब कुछ थम गया।
गांव वालों ने देखा — गोवंश से भरी बोलेरो नहर में उलटी पड़ी थी।
गाड़ी के अंदर चीखें, पानी में तैरते गोवंश, और एक व्यक्ति का शव जो अब मौन हो चुका था।
कुछ देर बाद पता चला, ये वही गाड़ियां हैं जो रातों-रात गौ-तस्करी के लिए निकलती हैं और पुलिस से बचने के लिए तेज रफ्तार में चलती हैं।


🐄 गोवंश की तस्करी — रफ्तार में मौत, लेकिन धंधा जारी
ग्रामीणों के मुताबिक बोलेरो गाजीपुर की ओर से आई थी और मुगलसराय की दिशा में जा रही थी।
चालक ने जैसे ही मोड़ काटने की कोशिश की, गाड़ी फिसलकर सीधे नहर में जा गिरी।
स्थानीय लोगों ने तत्काल पुलिस को सूचना दी।
शहाबगंज थाने की पुलिस जब पहुंची, तब तक एक तस्कर की सांसें थम चुकी थीं,
और दूसरा साथी मौके का फायदा उठाकर अंधेरे की ओर भाग गया।
लेकिन सवाल उठता है — कब तक चलेगा ये खेल?
हर महीने चंदौली, सोनभद्र, गाजीपुर और बिहार की सीमा पर गौ-तस्करी के रूट बदलते रहते हैं,
लेकिन कानून के साए में ये कारोबार रुकने का नाम नहीं लेता।
🔍 खबरी न्यूज़ की पड़ताल — कौन चला रहा है गोवंश तस्करी का ये नेटवर्क?
खबरी न्यूज़ टीम ने घटनास्थल पर पहुंचकर स्थानीय ग्रामीणों, पुलिस सूत्रों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से बातचीत की।
जांच में पता चला — यह कोई एक गाड़ी की कहानी नहीं है।
यह एक संगठित नेटवर्क है, जिसमें चालक, दलाल, खरीददार और कभी-कभी प्रशासन के अंधे कोने भी शामिल रहते हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि रात के समय ट्रकों और बोलेरो पिकअप के जरिये गोवंश की तस्करी होती है।
गाड़ियां आमतौर पर छोटे लिंक रोड या खेतों के रास्ते से निकलती हैं ताकि मुख्य पुलिस चौकी से बचा जा सके।
हर गाड़ी में 6 से 10 तक गोवंश ठूंसकर भरे जाते हैं — बिना पानी, बिना सांस लेने की जगह!
और जब कोई हादसा होता है — तो
“एक तस्कर मर गया, साथी फरार” — बस यही लाइन खबर बनती है।
पर असली दर्द तो इन मूक पशुओं की आखों में होता है,
जो बिना किसी गलती के तड़प-तड़प कर दम तोड़ देते हैं। 😔
🚨 स्थानीय पुलिस की तत्परता — पर क्या सिस्टम जागेगा?
शहाबगंज थाना प्रभारी ने बताया कि बोलेरो को क्रेन की मदद से बाहर निकाला गया।
नहर से छह मरे हुए गोवंश बरामद किए गए, एक जिंदा मिला जिसे ग्रामीणों ने बाहर निकाल लिया।
मृतक तस्कर की पहचान की प्रक्रिया चल रही है,
वहीं फरार आरोपी की गिरफ्तारी के लिए कॉम्बिंग अभियान शुरू किया गया है।
लेकिन यह सवाल अब सोशल मीडिया पर गूंज रहा है —
👉 “क्या सिर्फ एक-दो गिरफ्तारियां करके गो-तस्करी रुक जाएगी?”
👉 “या फिर फिर से कुछ दिनों में कोई और बोलेरो, कोई और हादसा?”



😡 जनता में उबाल — सोशल मीडिया पर फूटा गुस्सा
खबरी न्यूज़ की रिपोर्ट सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर ग़ुस्से की लहर दौड़ पड़ी है।
लोगों ने प्रशासन से पूछा —
“हर रोज़ गौ-तस्कर गाड़ियां लेकर निकल जाते हैं, पुलिस चौकियों से गुजरते हैं, फिर भी पकड़ क्यों नहीं पाते?”
“अगर ये तस्कर पकड़े नहीं जाते, तो कहीं न कहीं सिस्टम में सेंध तो है ही…”
कई स्थानीय संगठनों ने मांग की है कि
🔹 जिले में एंटी-कैटल-ट्रांसपोर्ट सेल सक्रिय किया जाए।
🔹 रात्रि पेट्रोलिंग बढ़ाई जाए।
🔹 नहर किनारे CCTV और बैरियर चेकिंग प्वाइंट लगाए जाएं।
🌾 ग्रामीणों का दर्द — ‘सड़क पर खून, नहर में लाशें… अब तो रोक लगनी चाहिए’
तियरा गांव के किसान रामसुभाग यादव कहते हैं —
“हम तो रोज इसी रास्ते से जाते हैं। आज वही रास्ता खून से लाल दिखा। गाड़ी में बंधे बेजुबान जानवर तड़प रहे थे… किसी का पैर टूटा, किसी की गर्दन दब गई… मन कांप गया।”
दूसरी ओर, बुजुर्ग ग्रामीण शिवदत्त पांडेय ने कहा —
“पुलिस आती है, फोटो खींचती है, बयान देती है और फिर सब भूल जाते हैं। पर गोमाता का दर्द कौन समझेगा?”
📸 घटनास्थल की तस्वीरें वायरल — बोलेरो, नहर, और इंसानियत का मरता चेहरा
सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीरों में साफ़ दिखता है —
नहर के किनारे उलटी गाड़ी, आधे पानी में डूबे गोवंश के शव, और एक आदमी की निर्जीव देह।
लोगों ने पोस्ट में लिखा —
“ये हादसा नहीं, ये इंसानियत का एक्सीडेंट है।”
#StopCowSmuggling #JusticeForCows जैसे हैशटैग लगातार ट्रेंड कर रहे हैं।
⚖️ कानूनी पहलू — यूपी में गोवंश संरक्षण क़ानून सख्त, लेकिन लागू कौन करे?
उत्तर प्रदेश में गौवंश संरक्षण अधिनियम 1955 के तहत
गोवंश वध, परिवहन और अवैध व्यापार पर कड़ी सज़ा का प्रावधान है।
👉 दोषी पाए जाने पर 7 साल तक की जेल और ₹3 लाख तक का जुर्माना भी हो सकता है।
लेकिन जब अमल की बात आती है,
तो यह कानून भी सिर्फ फाइलों में दम तोड़ देता है।
🔥 खबरी न्यूज़ का सवाल — कब तक बिकती रहेगी जानवरों की जान?
एडिटर-इन-चीफ K.C. श्रीवास्तव (Adv.) ने कहा —
“हर बार जब कोई बोलेरो पलटती है, हमें सिर्फ खबर नहीं, इंसानियत की हार दिखती है।
गोवंश तस्करी सिर्फ अपराध नहीं, यह समाज की आत्मा पर धब्बा है।
प्रशासन अगर चाहे तो 24 घंटे में इस नेटवर्क का अंत कर सकता है,
लेकिन इसके लिए इच्छाशक्ति चाहिए — और वो हम सबको मिलकर बनानी होगी।”
🙏 खबरी न्यूज़ की अपील — आवाज उठाओ, चुप मत रहो!
अगर आप ऐसी किसी गतिविधि को देखें,
👉 तुरंत 112 या स्थानीय थाने में सूचना दें।
👉 सड़क पर या नहर किनारे संदिग्ध वाहनों की फोटो/वीडियो साझा करें।
👉 सोशल मीडिया पर जागरूकता फैलाएं — क्योंकि चुप रहना भी अपराध है।
💔 निष्कर्ष — मौत की इस नहर में सिर्फ एक तस्कर नहीं, इंसानियत डूब गई
शहाबगंज की यह घटना सिर्फ एक हादसा नहीं,
यह हमारी संवेदनहीनता का आईना है।
गोवंश तस्करी रुकती नहीं, कानून कमजोर नहीं — इरादे कमजोर हैं।
आज नहर में डूबी बोलेरो सिर्फ एक गाड़ी नहीं थी,
वो हमारी चेतना का प्रतीक थी — जो चीख रही थी कि
“अब बस करो… अब और जानवर नहीं मरने चाहिए।”
📢 खबरी न्यूज़ वेब पड़ताल
Editor-in-Chief: K.C. श्रीवास्तव (Adv.)
स्थान: चंदौली
रिपोर्टिंग: खबरी न्यूज़ सोशल मीडिया ब्यूरो
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