
खबरी न्यूज नेशनल नेटवर्क लखनऊ।
- उत्तर प्रदेश सरकार ने समाज कल्याण विभाग में बड़े स्तर पर फेरबदल किया है
- आज 22 जिला समाज कल्याण अधिकारियों (DSWO) के तबादलों का आदेश जारी हुआ है
- यह कदम राज्य शासन की जवाबदेही और कार्यकुशलता को बेहतर बनाने की कवायद का हिस्सा माना जा रहा है।



🔄 प्रमुख तबादलों की रूपरेखा
उत्तर प्रदेश समाज कल्याण निदेशक कुमार प्रशांत द्वारा जारी आदेश में उल्लेख है कि इंप्रूव्ड मॉनिटरिंग, पारदर्शिता व योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के लिए वर्तमान अधिकारियों को दोबारा नियुक्त किया गया है।
कुछ प्रमुख तबादलों में शामिल:
अधिकारी | स्थानांतरण में बदलाव |
---|---|
सुनीता सिंह | लखनऊ से मुख्यालय पर नियुक्त |
अंजनी कुमार | मुख्यालय से लखनऊ |
नीलम सिंह | उन्नाव से बाराबंकी |
श्रीप्रकाश पांडेय | बस्ती से उन्नाव |
ज्ञानेंद्र सिंह | चित्रकूट से सोनभद्र |
वैभव त्रिपाठी | सोनभद्र से चित्रकूट |
संदीप चौधरी | कुशीनगर से गाजियाबाद |
वेद प्रकाश मिश्रा | गाजियाबाद से कन्नौज |
सत्य प्रकाश सिंह | कन्नौज से गोंडा |
राजेश चौधरी | गोंडा से आजमगढ़ |
मोतीलाल | आजमगढ़ से सीतापुर |
हर्ष मवार | सीतापुर से मुरादाबाद |
वंदना | शाहजहाँपुर से खीरी |
रामजनम | खीरी से देवरिया |
प्रज्ञा पांडेय | प्रयागराज से हमीरपुर |
राम शंकर पटेल | हमीरपुर से प्रयागराज |
विनीत मालिक | मुजफ्फरनगर से अलीगढ़ |
कमलेश मिश्रा | सहारनपुर से मुजफ्फरनगर |
रविन्द्र कुमार शशि | इटावा से औरैया |
संध्या रानी बघेल | अलीगढ़ से इटावा |
🎯 बदलाव के उद्देश्य और असर
- उत्तरदायित्व पर फोकस — अपने क्षेत्र में योजनाओं, जैसे बाल संरक्षण, वृद्धजन सहायता, दिव्यांग सशक्तिकरण, आदि की प्रभावशील निगरानी सुनिश्चित करना।
- परफॉरमेंस आधारित तैनाती — उच्च प्राथमिकता वाले जिलों में अनुभवी अधिकारियों की तैनाती, जिससे “अधिकतम दिखावटी प्रवर्तन” की बजाय वास्तविक प्रभाव तेज़ हो।
- पारदर्शिता का इशारा — समय-समय पर अफसरों के तबादलों से प्रशासनिक सुस्ती कम होती है और भ्रष्टाचार की गुंजाइश भी घटती है।
विशेष रूप से लखनऊ, चित्रकूट, सोनभद्र जैसे कई जिलों का चयन प्रशासन की संज्ञान क्षमता का प्रतिबिंब है, जहाँ योजनाओं की सही निगरानी च्हेड़े से हो सके।
🗣️ विशेषज्ञों व स्थानीय प्रतिक्रियाएँ
- “आज की जमीनी कार्यवाही तभी पारदर्शी बन सकती है जब जिम्मेदारी समझने वाले अधिकारी सही बनें।”
- “देखना यह होगा कि क्या यह बदलाव सिर्फ आदेश ज्यादा, या ‘क्रियान्वयन’ की दिशा में औकात रखता है।”
प्रशासन ने साफ कहा है कि स्थानांतरण नियमित अंतराल पर ही नहीं बल्कि जरूरत के अनुरूप समयानुकूल रोटेशन की नीति का हिस्सा होगा — इसी की शुरुआत आज हो रही है ।
📌 अगली कार्रवाई पर क्या होगा ज़ोर?
- नए अधिकारियों की तैनाती के बाद विभागीय कार्य स्थगित नहीं होंगे — प्राथमिकता दी जाएगी योजनाओं की सतत निगरानी को।
- रिक्त पदों की प्रतियोगी भर्ती प्रक्रिया मीडिया और सामाजिक मंचों पर पारदर्शी ढंग से साझा की जाएगी।
- लोक शिकायत हैंडलिंग सिस्टम को और मजबूत किया जाएगा — हर ज़िल्हा अधिकारी से अपेक्षित प्रदर्शन रिपोर्टिंग करवाई जाएगी।
- नियमित फॉलोअप बैठकें होगी उच्चाधिकारियों द्वारा, जिससे अधिकारियों की जवाबदेही बनी रहे।
22 अधिकारियों का यह बड़ी संख्या में रोस्टर बदलाव यह बताता है कि सामजिक योजनाओं का उचित क्रियान्वयन पूरे प्रदेश में सुनिश्चित करने की चेतना सरकार के अन्दर है। यदि ये अधिकारियों को केवल “स्थानांतरित” करने से ज़्यादा “तैयार” करने का अभियान बन जाए, तो यह जरूर परिणाम देगा।
📢 खबरी न्यूज़ की आपसे अपील:
यदि आपके जिले/क्षेत्र से समाज कल्याण योजनाओं की क्रियान्वयन या अधिकारियों से जुड़ी कोई शिकायत या सुझाव हो — तो हमें लिखें। आपके फीडबैक से ही जिलों की क्रियान्वयन क्षमता सुधरती है।


